‘भारी वर्षा और बाढ़’ हुआ देश का ‘आपदा प्रबंधन फेल’

punjabkesari.in Thursday, Jul 30, 2020 - 01:38 AM (IST)

जैसा कि हम अक्सर लिखते रहते हैं कुछ समय से देश के हालात देखते हुए अनेक लोगों का यह कहना ठीक ही लगता है कि शनिदेव नाराज हैं और देश पर साढ़ेसाती आई हुई है। देश में ‘कोरोना’ संक्रमण से होने वाली मौतों के अलावा लगातार भूकंप, बाढ़, आसमानी बिजली आदि से जान-माल की भारी हानि हो रही है और इनमें सबसे अधिक सम्पत्ति की हानि तथा मौतें बाढ़ से हो रही हैं। अभी मानसून की शुरुआत ही हुई है और देश के 13 राज्यों में बाढ़ के कारण 700 से अधिक लोगों की मौत तथा लाखों लोग बेघर हो गए हैं। 

बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में बंगाल, असम, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं तथा मृतकों की संख्या और बढऩे की प्रबल आशंका है क्योंकि आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, नागालैंड और तेलंगाना आदि की सरकारों ने अपने यहां बाढ़ की स्थिति से हुई क्षति बारे रिपोर्ट अभी केंद्र सरकार को देनी है। बिहार के एक दर्जन से अधिक जिले जलमग्न हो चुके हैं। यही नहीं नेपाल द्वारा गंडक नदी में पानी छोडऩे के कारण बिहार में सारण तथा चंपारण तटबंध कई जगह टूट जाने से 34 गांव डूब गए हैं और कई जगह पानी बांध के ऊपर से बहने लगा जिससे स्थिति और खराब हो गई है। 

बाढ़ के साथ-साथ भूस्खलन, पुल और बांध आदि टूटने के कारण हालात और बिगड़ जाने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं तथा पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों का संपर्क देश के अनेक हिस्सों से कट गया है। असम में 28 जिले जलमग्न हो चुके हैं। वहां तटबंध टूटने से सैंकड़ों गांव टापुओं में बदल गए हैं, इंसानी जान-माल की क्षति के साथ-साथ बड़ी संख्या में वन्य जीव भी काल का ग्रास बने हैं। अकेले काजीरंगा नैशनल पार्क में ही 137 से अधिक वन्य जीवों की बाढ़ के कारण मौत हो चुकी है।

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल आदि में हालांकि अभी बाढ़ जैसी स्थिति नहीं बनी परंतु इन राज्यों में अनेक स्थानों पर वर्षा-आंधी आदि से फसलों को भारी क्षति पहुंच चुकी है जबकि अनेक स्थानों पर किसानों को पिछले साल हुई वर्षा से तबाही का मुआवजा भी अभी तक नहीं मिला। इस वर्ष बाढ़ से होने वाली जान-माल की तबाही गत वर्ष से कहीं अधिक होने की आशंका है जबकि गत वर्ष पूरे वर्षाकाल में लगभग 1700 लोगों की मौत तथा हजारों लोग लापता हुए थे। सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर आपदा प्रबंधन टीमें तैनात करने के बावजूद इतने बड़े स्तर पर तबाही से स्पष्ट है कि  हमारी आपदा प्रबंधन प्रणाली काफी सीमा तक विफल रही है। 

आज शहरों का विस्तार हो जाने के कारण वहां जनसंख्या तो बढ़ गई है परंतु फालतू पानी की निकासी के लिए सक्षम प्रणाली न होने के कारण पानी का जमाव होने से बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। लिहाजा पानी की निकासी के सही प्रबंधन और आपदा प्रबंधन को मजबूत करके ही ऐसी घटनाओं से होने वाले नुक्सान को रोकना संभव होगा। इसके साथ ही ढलवां भूमि पर वृक्षारोपण, नदी तटबंधों और जलाशयों के निर्माण के साथ-साथ जल निकासी का समुचित संतोषजनक प्रबंध करने की भी जरूरत है।—विजय कुमार 


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