महाराष्ट्र में देवेंद्र फडऩवीस ने दिया इस्तीफा अब गेंद शिवसेना के पाले में

Saturday, Nov 09, 2019 - 12:34 AM (IST)

अंतत: महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच चल रही रस्साकशी के चलते जारी नाटक का 8 नवम्बर को बाद दोपहर पटाक्षेप हो गया जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने राजभवन में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भेंट करके अपना त्यागपत्र दे दिया जिसे राज्यपाल ने स्वीकार करके उन्हें अगली व्यवस्था होने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा है।

चुनावों में भाजपा ने 105, शिवसेना ने 56, राकांपा ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती हैं परंतु भाजपा और शिवसेना को बहुमत के लिए वांछित 145 सीटों के आंकड़े के मुकाबले 161 सीटें मिलने के बावजूद एक पखवाड़े से मुख्यमंत्री पद के बंटवारे को लेकर सरकार गठन में गतिरोध बना हुआ था।

उल्लेखनीय है कि 24 अक्तूबर को महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव परिणामों के रुझानों में ही अपनी मजबूत स्थिति भांप कर शिवसेना ने भाजपा नेतृत्व को सत्ता बंटवारे के 50-50 सिद्धांत की याद दिलाते हुए कह दिया था कि भाजपा पहले ही इस पर सहमति दे चुकी है। दोनों दल अढ़ाई-अढ़ाई वर्ष के लिए मुख्यमंत्री पद बांटेंगे और उन्हें इससे कम कुछ भी स्वीकार नहीं होगा।

भाजपा ने इससे इंकार करते हुए शिवसेना को उपमुख्यमंत्री का पद देने पर तो सहमति व्यक्त की परंतु मुख्यमंत्री पद देने से इंकार कर दिया और तब से ही दोनों दलों के बीच इस मुद्दे पर तकरार जारी थी। इस बीच हालांकि कांग्रेस और राकांपा के साथ शिवसेना के मेल-मिलाप की खबरें भी सुनाई दीं परंतु सोनिया गांधी और राकांपा सुप्रीमो शरद पवार दोनों ने ही शिवसेना के साथ सरकार बनाने की अटकलों को खारिज कर दिया था।

भाजपा नेता सुधीर मुनघंटीवार द्वारा 3 नवम्बर को गठबंधन सरकार न बन पाने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के संकेत देने पर शिवसेना नेता भड़क उठे और उन्होंने सवाल उठा दिया कि क्या राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं? संजय राऊत ने दोहराया कि अगला मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा और ट्वीट किया ‘‘साहिब, मत पालिए अहंकार को इतना, वक्त के सागर में कई सिकंदर डूब गए।’’  उन्होंने यह भी कहा ‘‘यदि भाजपा के पास नंबर हैं तो वह राज्यपाल के पास जाए और सरकार बनाने का दावा पहले पेश करे...हमारी भी तैयारी पूरी है और यह तब पता चलेगा जब हम राज्यपाल के पास जाएंगे।’’

इसके बाद 4 नवम्बर को उर्दू के प्रसिद्ध शायर वसीम बरेलवी के एक शे’र का हवाला देते हुए कहा :
‘‘उसूलों पर जहां आंच आए टकराना जरूरी है,
जो जिंदा हो तो फिर जिंदा नजर आना जरूरी है।’’
8 नवम्बर को महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा पेश करने के अंतिम दिन तक दोनों दलों में अनिश्चितता बनी हुई थी और ‘हॉर्स ट्रेङ्क्षडग’ से बचाने के लिए शिवसेना ने सभी विधायकों को मुम्बई के एक होटल में ठहरा दिया था जहां से उनके जयपुर पहुंचने की अटकलें हैं। शिवसेना ने कहा कि भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए पर्दे के पीछे कार्यवाहक सरकार के प्रावधान का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए तथा देवेंद्र फडऩवीस को अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए क्योंकि वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 9 नवम्बर को समाप्त हो रहा है।

इस तरह की चल रही गतिविधियों के बीच राकांपा नेता नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि ‘‘भाजपा महाराष्ट्र को राष्ट्रपति शासन की दिशा में ले जा रही है तथा राज्य की जनता इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगी।’’कांग्रेस नेता विजय वडेटीवार ने भी आरोप लगाया है कि ‘‘महाराष्ट्र में पार्टी बदलने के लिए विधायकों को 25 करोड़ रुपए से लेकर 50 करोड़ रुपए तक की पेशकश की जा रही है। शिवसेना ने दावा किया है कि उनके एक विधायक को पार्टी बदलने के लिए 50 करोड़ रुपए तक की पेशकश की गई थी।’’

खैर, अब जबकि देवेंद्र फडऩवीस अपने पद से त्यागपत्र दे चुके हैं, शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने कहा है कि चुनावों से पहले भाजपा ने उनके साथ बड़ी मीठी-मीठी बातें कीं। उनकी अमित शाह और देवेन्द्र फडऩवीस के साथ 50-50 पर बात हुई थी और डिप्टी सी.एम. पर कोई बात नहीं हुई थी। देवेन्द्र फडऩवीस पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि झूठ बोलने वालों को आर.एस.एस. हिन्दू नहीं मानती और मैं धूर्त लोगों से बात नहीं करता।

गेंद अब शिवसेना के पाले में आ गई है और यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में महाराष्ट्र की राजनीति कौन सी करवट लेती है तथा शिवसेना अब किस प्रकार सरकार बनाती है।     —विजय कुमार 

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