आजादी के 71वें वर्ष में बाधाओं के बावजूद प्रगति की राह पर बढ़ रहा है देश हमारा

Monday, Aug 14, 2017 - 09:54 PM (IST)

आज 15 अगस्त को हम अपनी स्वतंत्रता के 71वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। हमने अपने देश के महान सपूतों छत्रपति शिवाजी, तात्या टोपे, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी आदि हजारों स्वतंत्रता के दीवानों के सतत् संघर्ष और बलिदानों के बाद आजादी की नेमत पाई है। 

लेकिन इस आजादी के लिए हमें देश के विभाजन के रूप में भारी कीमत भी चुकानी पड़ी। पाकिस्तान के रूप में आधा पंजाब और सीमांत प्रदेश तथा बंगलादेश वाला हिस्सा हमसे छिन गया। भारत-पाकिस्तान के विभाजन के चलते होने वाले साम्प्रदायिक दंगों के परिणामस्वरूप विश्व के इतिहास का सबसे बड़ा पलायन हुआ जिस दौरान हजारों लोग न सिर्फ मारे गए बल्कि लाखों लोगों को अपनी धरती से उजड़ कर देश के दूसरे हिस्सों में जाकर बसना पड़ा। असीम बलिदानों से प्राप्त आजादी के बाद भी देश को शांति से बैठना नसीब न हुआ तथा हमारे देश ने पाकिस्तान और चीन की ओर से 5 बड़े हमलों का सामना किया जिस दौरान जान-माल की भारी हानि हुई। 

आज भी पाकिस्तान और चीन की ओर से खतरा यथावत कायम है परंतु देश की एकता और अखंडता को हमारे शत्रु देशों द्वारा पेश की जाने वाली चुनौतियों के बावजूद आज भारत प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। आज जहां अस्थिरता के एक लम्बे दौर के बाद बंगलादेश में राजनीतिक स्थिरता आई है वहीं पाकिस्तान तो अपनी पैदाइश से आज तक सेना की कृपा पर आश्रित और राजनीतिक दृष्टि से एक अस्थिर देश ही बना हुआ है जहां कोई भी निर्वाचित सरकार 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी। भारत में स्थिति इसके सर्वथा विपरीत है। यहां केंद्र और राज्यों में सदैव शांतिपूर्वक सत्ता परिवर्तन होता आ रहा है, सरकारें अपना कार्यकाल पूरा करती हैं और विकास के मार्ग में आने वाली अनेक बाधाओं के बावजूद हमारा देश आगे बढ़ रहा है। 

स्वतंत्रता के समय हम अपनी खाद्यान्न की आवश्यकता की पूर्ति के लिए विदेशी सहायता पर निर्भर थे परंतु अब हम न सिर्फ खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो गए हैं बल्कि दूसरे देशों को निर्यात भी कर रहे हैं। इसी अवधि में देश में वाहनों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है जिसके कारण सड़कों पर जाम भी अक्सर लगते रहते हैं। घर-घर में टैलीविजन, मोटरसाइकिल, स्कूटर, एयरकंडीशनर, कारें और अधिकांश हाथों में मोबाइल पहुंच चुके हैं, और कई लोगों के पास 2-2 मोबाइल देखे जा रहे हैं। देश में कम्प्यूटर क्रांति आई है तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत का विश्व में दबदबा बना है। अनेक अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों पर भारतीयों का वर्चस्व बढ़ा है और विदेशों में बसने वाले भारतीयों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। ‘पैप्सीको’, ‘गूगल’ तथा ‘माइक्रोसाफ्ट’ जैसी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के प्रमुखों के पदों पर भारतीय इंदिरा नूई, सुंदर पिचाई और सत्य नडेला विराजमान हैं। 

हमारी साक्षरता दर 75.06 प्रतिशत तक पहुंच गई है जो 1947 में मात्र 18 प्रतिशत थी तथा केरल द्वारा शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य प्राप्त करने के बाद अब हिमाचल प्रदेश भी शत-प्रतिशत साक्षरता के निकट पहुंच गया है। देश में लोगों का जीवन स्तर उन्नत हुआ है, हवाई अड्डों का विस्तार हुआ है, सड़कों के संजाल और रेल मार्गों में वृद्धि हुई है। मेरे जैसे जिन लोगों ने 1947 का वह भयावह दौर देखा है उन्हें यह एक सपने जैसा लगता है। इन सब उपलब्धियों के बीच देश में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा अन्य क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के अभाव तथा अनेक अड़चनों, भ्रष्टाचार, लाकानूनी, अपराध, रिश्वतखोरी, सीमाओं पर खतरा और घरेलू आतंकवाद आदि बुराइयां हमारे सफल लोकतंत्र के माथे पर एक काले धब्बे की तरह दिख रही हैं। आज स्वतंत्रता दिवस व श्री कृष्ण जन्माष्टमी की दोहरी खुशी के मौके पर हम देशवासियों को बधाई देते हुए आशा करते हैं कि आने वाले दिनों में हमें उक्त तमाम नकारात्मक बातों से मुक्ति मिलेगी तथा यह स्वतंत्रता दिवस पहले से भी अधिक सुख, समृद्धि और शांति लाने वाला होगा।—विजय कुमार 

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