देश में धरने-प्रदर्शन, मूर्ति भंजन और साम्प्रदायिक उपद्रव जारी

Sunday, Apr 01, 2018 - 02:48 AM (IST)

इन दिनों देश एक विचित्र दौर से गुजर रहा है। जहां विभिन्न मुद्दों को लेकर लोगों द्वारा धरने, प्रदर्शनों का सिलसिला लगातार जारी है, वहीं असामाजिक और राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा देश में साम्प्रदायिक उपद्रव फैला कर और मूर्तियां तोड़ कर माहौल बिगाडऩे की कोशिशें भी जारी हैं। 

देश में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.ई.) का 10वीं का गणित और बारहवीं का अर्थशास्त्र का प्रश्रपत्र लीक होने को लेकर देश के एक बड़े छात्र वर्ग में असंतोष फैला हुआ है। इस संबंध में पूछताछ जारी है और अनेक गिरफ्तारियां भी हुई हैं। छात्र संगठनों द्वारा प्रदर्शन किए जा रहे हैं। उनका कहना है कि बोर्ड की लापरवाही की सजा हम क्यों भुगतें? 30 मार्च को मैसूरू में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की सभा में लोगों ने केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के विरुद्ध नारे लगाए जो हेगड़े द्वारा संविधान बारे दिए गए बयान पर विरोध जता रहे थे जिसमें उन्होंने संविधान में बदलाव के संकेत दिए थे और इसके बाद यह आशंका जताई गई थी कि सरकार आरक्षण व्यवस्था में बदलाव कर सकती है। 

30 मार्च को ही अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उत्पीडऩ प्रतिरोधक कानून पर सुप्रीमकोर्ट के एक फैसले से खफा दो युवकों ने सुरक्षा व्यवस्था को भेदते हुए पानीपत में हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की कार पर पथराव भी कर दिया जिससे कार का शीशा टूट गया और वह बाल-बाल बचे। इस समय देश के कम से कम 2 राज्य सांप्रदायिक उपद्रवों की चपेट में हैं। रामनवमी पर बंगाल में रानीगंज, कांकीनारा, बेलदी, आसनसोल तथा अन्य स्थानों पर हुए उपद्रवों में कम से कम 5 लोग मारे गए। पुलिस चौकियों पर पत्थरों और बमों से हमले किए गए जिसमें एक पुलिस अधिकारी का हाथ भी उड़ गया। 

इसी प्रकार पड़ोसी बिहार 17 मार्च से ही सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में आया हुआ है तथा इसके कम से कम 8 जिले सांप्रदायिक ङ्क्षहसा से प्रभावित हुए हैं। वहां रामनवमी के बाद भी इसके जलूस निकालने का रिवाज है जिनके दौरान भागलपुर, औरंगाबाद, समस्तीपुर, बिहार शरीफ, मुंगेर और नालंदा जिलों में सांप्रदायिक दंगे भड़के हुए हैं। इस सिलसिले में 2 भाजपा नेताओं सहित बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में लिया गया है। इन दंगों में बड़ी संख्या में आम लोग व पुलिस कर्मी घायल हुए, दर्जनों दुकानों, मकानों, वाहनों आदि को आग लगा दी गई। कई जगह उग्र भीड़ ने हमलों के लिए कच्चे बमों का भी इस्तेमाल किया। 

इस बीच 29 मार्च को गुजरात में सूरत के कोसाड में 2 समुदायों के बीच हुई ङ्क्षहसक झड़प के बाद ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाते हुए जमकर एक-दूसरे पर पत्थरबाजी की गई जिस पर काबू पाने के लिए पुलिस को आंसू गैस का प्रयोग करना पड़ा। अभी इन दंगों की आग बुझी भी नहीं थी कि 30 मार्च को बिहार के ‘नवादा’ में एक धार्मिक स्थल में मूर्ति तोड़े जाने से भड़की हिंसा के दौरान कई दुकानों को जला दिया गया और वाहनों में भी तोडफ़ोड़ की गई। देश में मूर्तियां तोडऩे का सिलसिला अभी भी जारी है और भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अम्बेदकर के नाम में ‘राम जी’ जोड़े जाने पर विवाद के बीच 31 मार्च को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में झूंसी के शांतिपुरम तथा सिद्धार्थनगर जिले के गोहनिया गांव में बाबा साहेब की मूर्तियां तोड़े जाने की घटनाओं के बाद तनाव फैल गया है और प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। 

31 मार्च को कर्मचारी चयन आयोग की संयुक्त ग्रैजुएट लैवल परीक्षा में हुई धांधली के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई और इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग पर बल देने के लिए बड़ी संख्या में देश भर से आए परीक्षार्थी दिल्ली के संसद मार्ग पर जमा हुए जिन्हें खदेडऩे के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिससे कई छात्रों को चोट पहुंची और एक छात्र का सिर फट गया। ये घटनाएं  देश में लगातार बढ़ रही असहनशीलता और उसके खतरनाक परिणामों की ओर इशारा कर रही हैं जिससे देश का सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक ताना-बाना टूट रहा है, अत: केंद्र एवं राज्यों की संबंधित सरकारों को इस संबंध में त्वरित कार्रवाई करते हुए माहौल सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।—विजय कुमार

Pardeep

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