हिमाचल के सरकारी स्कूलों में दाखिलों में आ रही गिरावट

Sunday, Feb 18, 2018 - 04:03 AM (IST)

हालांकि लोगों को सस्ती और स्तरीय शिक्षा एवं चिकित्सा, स्वच्छ पानी और लगातार बिजली उपलब्ध करवाना केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है परंतु वे इसमें विफल ही रही हैं। 

इसका मुख्य कारण शिक्षा एवं चिकित्सा दोनों ही क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और अन्य सुविधाओं का भारी अभाव है जिससे प्राइवेट स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों में बच्चों के दाखिले की दर में तेजी से कमी आ रही है। हिमाचल के सरकारी स्कूलों में मुफ्त वर्दियां और पुस्तकें बांटने व मिड-डे मील देने के बावजूद वहां पढऩे के लिए आने वाले बच्चों के दाखिले में कमी के कारणों का पता लगाने का हिमाचल सरकार ने ‘स्टेट कौंसिल फार एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग’ (एस.सी.ई.आर.टी.) को आदेश दिया था। 

अब इसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले 10 वर्षों में प्रदेश के स्कूलों में छात्रों के दाखिले में भारी कमी सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर का परिणाम है तथा इसी कारण माता-पिता अब अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढऩे के लिए भेज रहे हैं। रिपोर्ट में खेल मैदानों की कमी, नर्सरी व किंडरगार्टन (के.जी.) कक्षाओं के लिए सुविधाओं तथा अध्यापकों का अभाव और सत्र के दौरान अध्यापकों का तबादला प्रदेश के स्कूलों में कम दाखिलों का मुख्य कारण बताया गया है। 

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज के अनुसार शिक्षा विभाग अब इस रिपोर्ट का अध्ययन करके इसमें बताई गई त्रुटियों को दूर करने का प्रयास करेगा। निश्चय ही यह एक अच्छा निर्णय है परंतु इसके साथ ही प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में अध्यापक-अध्यापिकाओं, नेताओं तथा कर्मचारियों के लिए यह अनिवार्य किया जाए कि वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाएंगे, ऐसा करके भी सरकारी स्कूलों के शिक्षा स्तर में कुछ सुधार अवश्य लाया जा सकेगा।—विजय कुमार

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