अपनी बीमार मां को अस्पताल में छोड़ नृत्य निर्देशक बेटा खिसक गया

Friday, Jun 02, 2017 - 11:21 PM (IST)

भारत में 9 करोड़ के लगभग बुजुर्ग हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 90 प्रतिशत बुजुर्गों को अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी संतानों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है और अपने बेटों-बहुओं, बेटियों तथा दामादों से दुव्र्यवहार एवं अपमान का शिकार होना पड़ता है। 

अक्सर ऐसे बुजुर्ग मेरे पास आते रहते हैं जिनसे उनकी संतानों ने उनकी जमीन, जायदाद अपने नाम लिखवा कर उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है। उनकी दुखद कहानी मैं अक्सर अपने लेखों में लिखता रहता हूं। ऐसा करने वालों में आम परिवारों के साथ-साथ अमीर घरानों के सदस्य भी शामिल हैं और आज मैं ऐसे ही बुजुर्गों की चर्चा यहां करने लगा हूं जिन्हें ‘जीवन की संध्या’ में उनकी अमीर संतानों ने बेसहारा छोड़ दिया है। इनमें से एक हैं गुजरे जमाने की अभिनेत्री गीता कपूर। ‘पाकीजा’ और ‘रजिया सुल्ताना’ जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुकी दो बच्चों की मां गीता कपूर सवा महीने से मुम्बई में गोरेगांव स्थित एस.आर.वी. अस्पताल में लावारिस हालत में उपचाराधीन पड़ी हैं। 

21 अप्रैल को उनका बेटा लगातार घट-बढ़ रहे उनके ब्लड प्रैशर का इलाज करवाने के बहाने उन्हें उक्त अस्पताल में लाया। उसने अस्पताल के अधिकारियों से कहा कि वह सेना में है। फिर वह ए.टी.एम. से पैसे निकलवाने के बहाने वहां से खिसक गया और वापस नहीं लौटा। गीता कपूर के बेटे राजा के पास पैसे की कमी नहीं। वह बॉलीवुड में कोरियोग्राफर है तथा मुम्बई में ही गीता कपूर की एयर होस्टैस बेटी भी रहती है लेकिन दोनों में से किसी ने भी अपनी मां की सुध नहीं ली। रो-रोकर बेहाल गीता कपूर के लिए कुछ वाक्य भी लगातार बोलना मुश्किल है। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि उनका बेटा उन्हें कमरे में बंद कर पीटता था व चार-पांच दिनों में कभी-कभी ही खाना देता था। 

डा. दीपेंद्र त्रिपाठीके अनुसार जब से गीता कपूर का बेटा उन्हें अस्पताल में छोड़ कर गया है तब से वहअस्पताल के स्टाफ के माध्यम से उसे लगातार संदेश भिजवा रही हैं। शुरू-शुरू में तो वह अस्पताल वालों को आश्वासन देता रहा कि किसी दिन आकर वह अस्पताल का बिल चुकता करके अपनी मां को घर ले जाएगा परंतु बाद में ये आश्वासन मिलने भी बंद हो गए। डाक्टरों के अनुसार गीता को जब अस्पताल में लाया गया वह बुरी तरह अवसाद ग्रस्त तथा कुपोषित थीं। वह अक्सर खाना खाने से इंकार कर देतीं और हमेशा बेटे के लिए घंटों रोती हुई कहती रहती हैं,‘‘उसे बुला दो।’’ 

इस बीच फिल्म निर्माता रमेश तौरानी, अभिनेता रितेश देशमुख तथा सी.बी.एफ.सी. के सदस्य अशोक पंडित सहित फिल्म बिरादरी के अनेक लोग गीता कपूर की सहायता के लिए आगे आए हैं। उनका कहना है कि उन्होंने गीता कपूर के इलाज के बिलों की अदायगी कर दी है तथा आगे भी करते रहेंगे जिससे उनका इलाज जारी रखा जा सके। वे लोग अब गीता कपूर को किसी वृद्ध आश्रम में भेजने की तैयारी कर रहे हैं जहां उनकी अच्छी तरह से देखभाल हो सके। इसके लिए वे पुलिस की अनुमति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसी प्रकार गत वर्ष ही प्रसिद्ध मराठी गायक अरुण दाते का बेटा संगीत दाते पुणे में एक फुटपाथ पर चीथड़ों में लिपटा सोता पाया गया। उसकी मौत के बाद उसके वारिसों ने उसका शव लेने से भी इंकार कर दिया और संगीत के एक जान-पहचान वाले ने उसका अंतिम संस्कार किया। 

उक्त उदाहरणों से पुन: इस बात की पुष्टिï हुई है कि बुजुर्गों के रहने के लिए भारत कोई अच्छी जगह नहीं और यहां बड़ी संख्या में बुजुर्ग अपनी ही संतानों द्वारा उपेक्षित, अपमानित और उत्पीड़ित हैं। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार तथा कुछ राज्य सरकारों ने बुजुर्गों के हितों की सुरक्षा तथा संतानों द्वारा उनका शोषण रोकने के लिए कुछ कानून बनाए हैं परंतु इन कानूनों तथा अपने अधिकारों की अभी तक ज्यादा बुजुर्गों को जानकारी नहीं है। अत: इनका व्यापक प्रचार करने की आवश्यकता है। —विजय कुमार

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