‘नाबालिगों में बढ़ रही अपराध वृत्ति’‘रोकने के लिए बालिग होने की उम्र घटाना जरूरी’

Thursday, Mar 18, 2021 - 02:51 AM (IST)

समाज में खुलापन आने के साथ-साथ अपराध भी बढ़ रहे हैं और छोटी उम्र के नाबालिग भी तरह-तरह के अपराधों में संलिप्त पाए जा रहे हैं जिनमें हत्या, मारपीट, बलात्कार और वाहन दुर्घटनाएं करना तक शामिल है। 
‘राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो’ के अनुसार भारत में 2019 में हर आठ घंटों में एक नाबालिग को किसी महिला या लड़की के साथ बलात्कार करने के आरोप में पकड़ा गया जबकि नाबालिगों द्वारा किए जाने वाले अन्य अपराध इनके अलावा हैं जिनमें से कुछ निम्र में दर्ज हैं : 

* 26 अगस्त, 2020 को पुणे में 2 नाबालिगों ने शराब के अहाते में हुई लड़ाई के दौरान तेजधार हथियार से एक व्यक्ति की हत्या कर दी। 
* 12 दिसम्बर को आंध्र प्रदेश के ‘कडप्पा’ में एक अनुसूचित जाति महिला की हत्या के आरोप में 2 नाबालिगों को गिरफ्तार किया गया।
* 26 दिसम्बर को बेंगलूर में 14-15 वर्षीय 3 दोस्तों में किसी बात पर लड़ाई के दौरान 2 लड़कों ने मिल कर अपने तीसरे दोस्त पर हमला करके उसे मार डाला। 
* 12 जनवरी, 2021 को आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में साइबराबाद की पुलिस ने एक आटो चालक की हत्या के आरोप में 2 नाबालिगों को पकड़ा। 

* 12 फरवरी को लुधियाना में एक 13 वर्षीय लड़के को अपनी 7 वर्षीय बहन से बलात्कार करने के आरोप में पकड़ा गया। 
* 17 फरवरी को नोएडा के एक गांव में हुई एक छात्र की हत्या के आरोप में पुलिस ने 2 नाबलिग छात्रों को गिरफ्तार किया जिन्होंने हत्या करने से पूर्व उक्त लड़के के साथ कुकर्म करने की बात भी स्वीकार की। 
* 4 मार्च को अलीगढ़ पुलिस ने एक दलित युवती से बलात्कार करने के आरोप में एक नाबालिग को गिरफ्तार किया।
* 5 मार्च को मध्य प्रदेश में जबलपुर के गांव ‘बालखेड़ा’ में एक 10 वर्षीय लड़के ने अपनी बहन से दोस्ती करने वाले 15 वर्षीय एक लड़के की हत्या करके लाश नर्मदा नदी में फैंक दी। 

* 6 मार्च को चंडीगढ़ में 6 वर्षीय एक बच्ची की हत्या के आरोप में एक 12 वर्षीय बालक को गिरफ्तार किया गया।
* 6 मार्च को ही अलीगढ़ में 13 वर्षीय एक बच्चे के साथ कुकर्म करने के आरोप में 2 नाबालिगों के विरुद्ध पर्चा दर्ज किया गया।
* 9 मार्च को राजस्थान के झालावाड़ में एक 15 वर्षीय लड़की के अपहरण के बाद 8 दिनों तक उससे बलात्कार करने के आरोप में 2 नाबालिगों सहित 4 लोगों को पकड़ा गया।
* 10 मार्च को लुधियाना में मोबाइल पर वीडियो बनाने के साथ-साथ तेज रफ्तार से कार चला रहे एक नाबालिग ने सड़क के किनारे पानी पी रहे 2 बच्चों को कुचल दिया जिसके परिणामस्वरूप एक बच्चे की मृत्यु हो गई। 
* 12 मार्च को नकोदर पुलिस ने 2 लड़कों द्वारा एक 12 वर्षीय बालक के साथ कुकर्म करने के आरोप में उनके विरुद्ध केस दर्ज किया। 

* 14 मार्च को लुधियाना में 8 वर्षीय बच्चे के साथ कुकर्म करने के आरोप में छठी कक्षा के 3 नाबालिग छात्रों को बाल सुधार घर भेजा गया।
* 15 मार्च को हरियाणा के जींद में 14 वर्षीय किशोर को अपनी 12 वर्षीय बहन से बलात्कार करके उसे गर्भवती कर देने के आरोप में पकड़ा गया। 
* 16 मार्च को दिल्ली में दो व्यक्तियों पर छुरों से वार करके उनकी हत्या करने के आरोप में एक नाबालिग व उसके दोस्त को गिरफ्तार किया गया 

किसी भी आरोप में गिरफ्तार किए गए नाबालिगों पर नियमित अदालत की बजाय ‘किशोर न्याय कानून’ के अंतर्गत केस चलाया जाता है जिसके अंतर्गत कम सजा का प्रावधान है। इसी कारण आमतौर पर वयस्क अपराधियों जैसे गंभीर अपराध करने के बावजूद नाबालिग अपराधी कठोर दंड से बच जाते हैं जैसा कि 2012 के दामिनी बलात्कार कांड में हुआ जिसमें युवती के साथ सर्वाधिक दरिंदगी करने वाला किशोर अपराधी नाबालिग होने की आड़ में मृत्युदंड से बच निकला जबकि उसी केस में शामिल अन्य अपराधियों को मृत्युदंड दिया गया। 

इसी कारण 16 मार्च को संसद की गृह मामलों की स्थायी समिति ने केंद्र सरकार से यौन अपराधों से ‘बच्चों का संरक्षण कानून’ (पोक्सो) के तहत बालिग होने की उम्र 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष करने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि यौन अपराध संबंधी छोटी घटनाओं के मद्देनजर किशोर अपराधी को उचित सलाह दिए बिना और बिना कार्रवाई छोड़ देने पर किशोर यौन अपराधी अधिक गंभीर तथा जघन्य अपराध कर सकते हैं। समिति की उक्त सिफारिश व्यावहारिक है जिसे अन्य अपराधों के मामले में भी लागू किया जाना चाहिए। जैसा कि उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है किशोर अपराधी सिर्फ यौन अपराधों में ही नहीं बल्कि हत्या जैसे अन्य गंभीर अपराधों में भी सक्रियतापूर्वक संलिप्त होकर बालिगों जैसा आचरण ही कर रहे हैं। 

सर्वोच्च न्यायालय की ‘किशोर न्याय समिति’ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर का कहना है कि ‘‘किशोर अपराधियों को बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों में मृत्युदंड जैसे सर्वोच्च दंड नहीं दिए जा सकते।’’ हमारे विचार में मृत्युदंड भले ही न सही किशोर अपराधियों को अधिक कठोर और शिक्षाप्रद दंड देने की आवश्यकता तो अवश्य ही है। 

उल्लेखनीय है कि नाबालिगों को वाहन चलाने की अनुमति देने के लिए  उनके अभिभावकों को जिम्मेदार ठहराते हुए 2019 में केंद्र सरकार ने एक कानून बना कर वाहन चलाते पकड़े जाने वाले नाबालिगों के माता-पिता के लिए 25000 रुपए जुर्माने तथा तीन वर्ष कैद का प्रावधान किया था लेकिन राज्य सरकारों द्वारा इसका पालन कहीं किया जा रहा अत: इसके पालन को यकीनी बनाया जाना चाहिए। अनेक लोगों का इस सम्बन्ध में कहना है कि यदि बालिग होने की उम्र 15 वर्ष कर दी जाए तो अधिक अच्छा होगा क्योंकि ऐसी जितनी भी घटनाएं हो रही हैं उनमें ज्यादातर 14-15 वर्ष आयुवर्ग के नाबालिग ही संलिप्त पाए जा रहे हैं।—विजय कुमार

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