केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की दो टूक ‘देश को ऐसे समाज की जरूरत’ ‘जहां लिंग, जाति या धर्म आधार पर भेदभाव न हो’

punjabkesari.in Saturday, Mar 08, 2025 - 04:45 AM (IST)

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी भाजपा के स्पष्टïवादी नेताओं में से एक हैं, जो अपने काम का प्रचार करने की बजाय चुपचाप उसे अंजाम देने में विश्वास रखते हैं। उनके इसी गुण के कारण उनके काम की प्रशंसा सहयोगी ही नहीं, विरोधी दलों के नेता भी करते हैं। श्री नितिन गडकरी जहां अपने मंत्रालय में प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं वहीं अपने भाषणों में समय-समय पर राजनीति को लेकर तीखे कटाक्ष करते रहते हैं और अपने दल के नेताओं का भी लिहाज नहीं करते। यही नहीं वह सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों, सामाजिक समानता, महिलाओं व बच्चों की स्थिति और कौशल विकास आदि विषयों पर भी अपने बेबाक विचार व्यक्त करते रहते हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने नई दिल्ली में 6 मार्च को एक कार्यक्रम में बोलते हुए एक ऐसे समाज की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें लिंग, जाति या धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव न हो। 

उन्होंने कहा कि भारत में एक ऐसे समाज की जरूरत है जहां किसी को भी जाति, लिंग या धर्म के आधार पर भेदभाव महसूस न हो। 8 मार्च को मनाए जाने वाले ‘महिला दिवस’ के उपलक्ष्य में समाज में असामान्य योगदान देने वाली महिलाओं को ‘लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर महिला सम्मान’ प्रदान करते हुए श्री नितिन गडकरी ने उपरोक्त टिप्पणी की। 

‘कमला अंकिबाई घमंडीराम गोवानी ट्रस्ट’ मुम्बई द्वारा आयोजित किए जाने वाले इस समारोह में बोलते हुए श्री गडकरी ने कहा कि ‘‘दुनिया अब बदल गई है तथा महिलाओं को अपने लिंग के आधार पर सीमित महसूस नहीं करना चाहिए।’’ ‘‘जहां योग्यता मौजूद है वहां महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं तथा शीर्ष उपलब्धि प्राप्त करने वालों में 75 प्रतिशत महिलाएं हैं। हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए जहां किसी को भी जाति, लिंग, धर्म या सामाजिक स्थिति के आधार पर न आंका जाए।’’ इससे पूर्व इसी वर्ष 3 जनवरी को नितिन गडकरी ने नागपुर में राष्ट्रीय क्रीड़ा स्पर्धा के पुरस्कार वितरण समारोह में कहा कि स्कूल एवं कॉलेज, आदि विधायक एवं विधायक के साथ रहने वाले लोगों को अलाट करना बंद किया जाए।

उन्होंने कहा कि : ‘‘जब मैं महाराष्ट्र में मंत्री था, तब मैंने भी स्कूल, कॉलेज बांटे, लेकिन लोगों से कहा था कि बच्चों को अच्छी शिक्षा दो, उन्हें अच्छा खाना दो, वे अपने पैरों पर खड़े हों, इसका ध्यान रखो। दो पैसे तुम कमाओ, लेकिन सभी पैसे अपनी जेब में रखो और आदिवासी विकास की बात करो, यह नहीं चलेगा।’’सबको अच्छा काम करने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘तुम्हें अच्छा काम करना चाहिए, बच्चों को अच्छी तरह सिखाना चाहिए, उन्हें उत्तम नागरिक भी बनाना चाहिए।’’

‘‘जो अच्छा काम करेगा, उसे प्रोत्साहन दीजिए, जो खराब काम करेगा उसे सिस्टम से बाहर करें। इससे गुणवत्ता सुधरेगी, गुणवत्ता सुधरेगी तो भविष्य में अच्छे नागरिक ,अच्छे खिलाड़ी, अच्छे बच्चे तैयार होंगे।’’ श्री नितिन गडकरी ने देश में कौशल विकास की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए कहा कि, ‘‘एक पांच सितारा होटल का शैफ जो सब्जी बनाता है, उसे 15 लाख की तनख्वाह मिलती है। यह उसका कौशल है।’’ ‘‘सभी लोग सब्जियां बनाते हैं, लेकिन सबकी सब्जी हर आदमी को पसंद नहीं आती। एक गली में नाले के किनारे पकौड़े बनाने वाले के पास लाइन लगती है और होटल में एयर कंडीशन में उत्तम फर्नीचर होने के बावजूद कोई ग्राहक वहां झांक कर भी नहीं देखता।’’ राजनीतिक लीक से हट कर श्री नितिन गडकरी के उक्त बयान समाज को नई दिशा देने वाले हैं जिसके लिए वह साधुवाद के पात्र हैं। नि:संदेह ङ्क्षलग, जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव रहित समाज की स्थापना करके प्रगति के नए द्वार खोले जा सकते हैं।—विजय कुमार


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