देश को ‘घुन की तरह खा रहे’‘भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी’

Sunday, Jan 28, 2024 - 03:32 AM (IST)

भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार की ‘जीरो टालरैंस’ नीति के दावे के बावजूद चंद सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा रिश्वतखोरी के मामलों में कोई कमी नजर नहीं आ रही। यह बुराई भारतीय अफसरशाही में कितनी गहरी जड़ें जमा चुकी है, यह इसी माह की निम्न चंद घटनाओं से स्पष्ट है : 

* 3 जनवरी को सतर्कता विभाग द्वारा धुब्री (असम) जिले के ‘कुमारपाटा’ गांव में एक ग्राम प्रधान ‘मनवर इस्लाम’ को शिकायतकत्र्ता से उसके भूमि वर्गीकरण में संशोधन के बदले में 3 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। 
* 20 जनवरी को जयपुर (राजस्थान) में सी.बी.आई. ने सैंट्रल जी.एस.टी. के इंस्पैक्टर सहित 3 आरोपियों को 10 लाख रुपए की रिश्वत लेते तथा भ्रष्टïाचार निरोधक ब्यूरो ने एक आई.एस.ए. अधिकारी सहित 2 अधिकारियों को 35000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। 
* 23 जनवरी को पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने फिरोज गांधी मार्कीट, लुधियाना स्थित आई.डी.एफ.सी. बैंक के कलैक्शन मैनेजर बिक्रमजीत सिंह को शिकायतकत्र्ता से 40,000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। 

* 24 जनवरी को सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) के अधिकारियों ने फतेहपुर में भू-संरक्षण विभाग के जूनियर ड्राफ्ट्समैन विवेक कुमार को शिकायतकत्र्ता से 1.1 लाख रुपए की सबसिडी जारी करने के बदले में 12,000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों दबोचा। 
* 24 जनवरी को ही प्रतापगढ़ (राजस्थान) में एक जूनियर इंजीनियरआशुतोष सुथार को एक लैबोरेटरी के निर्माण के लिए एक ठेकेदार का 82 लाख रुपए का बिल पास करने के बदले में डेढ़ लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। 

* 25 जनवरी को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की 14 टीमों ने तेलंगाना सरकार में रियल एस्टेट रैगुलेटरी अथारिटी के सैक्रेटरी शिव बालाकृष्ण के राज्य में 20 ठिकानों पर छापेमारी कर 100 करोड़ से अधिक की अघोषित सम्पत्ति जब्त की। उसके पास से 40 लाख रुपए नकद, 2 किलो सोना, 60 महंगी घडिय़ां, 14 स्मार्टफोन, 10 लैपटॉप के अलावा अचल सम्पत्तियों से संबंधित कई दस्तावेज और नोट गिनने वाली मशीनें जब्त की गईं तथा अभी और सम्पत्ति मिलने की आशा है। उसके नाम पर मिले 4 बैंक लॉकरों को अभी खोलना बाकी है। 

रिश्वतखोरी की उक्त चंद घटनाओं से स्पष्टï है कि भ्रष्टï अधिकारी अपने कृत्यों से किस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था को घुन की तरह खोखला कर रहे हैं। अत: ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध फास्ट ट्रैक अदालतों में मुकद्दमे चला कर उन्हें कठोरतम सजा देने की जरूरत है, ताकि इस बुराई पर रोक लगे तथा दूसरे अधिकारियों को नसीहत मिले।—विजय कुमार   

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