निर्माताओं को ‘मास्क’ के फालतू स्टाक के निर्यात की अनुमति दी जाए

punjabkesari.in Tuesday, Jun 09, 2020 - 10:23 AM (IST)

‘कोरोना’ महामारी के चलते देश-विदेश में सुरक्षात्मक मास्क, सैनीटाइजर एवं अन्य संबंधित वस्तुओं, वैंटीलेटरों आदि की भारी कमी पैदा हो जाने के कारण संबंधित देशों की सरकारों के लिए भारी समस्या उत्पन्न हो गई थी। यहां तक कि विकसित देशों तक को इस समस्या का सामना करना पड़ा। इस कारण भारत सरकार ने मार्च में सभी तरह के मास्क के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और भारतीय चिकित्सा उपकरणों के निर्माताओं ने मास्क, सैनीटाइजर आदि का उत्पादन बढ़ा कर इनकी कमी जल्दी ही दूर कर दी।

इसी कारण 16 मई को विदेश व्यापार मंत्रालय ने सिवाय चिकित्सा और सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले मास्क के अन्य सभी प्रकार के मास्क के निर्यात की अनुमति दे दी थी लेकिन चिकित्सा और सर्जरी से संबंधित मास्क के निर्यात पर प्रतिबंध अभी जारी है।  इस बीच देश में मास्क के निर्माण में भारी वृद्धि होने से निर्माताओं के पास इनका अत्यधिक स्टाक जमा हो जाने के कारण मास्क निर्माताओं ने सरकार से एन-95 मास्क को छोड़ कर सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले तीन परत वाले मास्क के निर्यात की अनुमति मांगी है तथा कहा कि उन्होंने कुछ दिनों से या तो इनका उत्पादन कम कर दिया है या पूरी तरह रोक दिया है। 


उद्योग के नेताओं के अनुसार मास्क निर्माताओं के पास घरेलू जरूरत पूरी करने की क्षमता है अत: इस अतिरिक्त स्टाक को निकालने के लिए जरूरतमंद देशों को इसके निर्यात की अनुमति दी जानी चाहिए जिससे उत्पादन फिर से शुरू करके वे आॢथक संकट से भी मुक्त हो सकें। जहां देश में मास्क निर्माताओं द्वारा इनके निर्यात की अनुमति मांगना उचित है वहीं इससे मास्क निर्माताओं में प्रतिस्पर्धा से इनकी क्वालिटी में और सुधार होगा, उद्योग को कुछ राहत मिलेगी, लोगों को कुछ रोजगार मिल सकेगा और सरकार को विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी।     —विजय कुमार


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