भारत में  ‘कोरोना ने निगले रोजगार’ जी.डी.पी. में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट

Thursday, Aug 13, 2020 - 03:27 AM (IST)

‘कोरोना’ महामारी से समस्त जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है तथा आॢथक और सामाजिक ढांचा बुरी तरह चरमरा जाने से विश्वभर में रोजगार के अवसरों में भारी कमी आई है। भारत में बेरोजगारी की दर पिछले 5 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच कर 9 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में 8.67 प्रतिशत हो गई। पलायन कर गए श्रमिकों की वापसी शुरू होने के बावजूद मैन्युफैक्चरिंग और टैक्सटाइल सैक्टर में मंदी ने बेरोजगारी की समस्या को और बढ़ा दिया है क्योंकि मांग कम होने के कारण उत्पादन में गिरावट आ गई है। 

इससे देश का जी.डी.पी. (सकल घरेलू उत्पाद) बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका विश्व की तमाम एजैंसियों द्वारा जताई जा रही है। हाल ही में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांत दास भी इस वर्ष जी.डी.पी. में गिरावट की प्रबल आशंका व्यक्त कर चुके हैं। अब 11 अगस्त को देश की अग्रणी आई.टी. कम्पनी ‘इन्फोसिस’ के संस्थापक एन.आर. नारायणमूर्ति ने आशंका जताई है कि कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष देश की आॢथक दशा 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सबसे खराब स्थिति में होगी जो 5 प्रतिशत तक गिर सकती है। 

नारायणमूर्ति के अनुसार इस स्थिति का मुकाबला करने के लिए इसे जल्द से जल्द वापस पटरी पर लाने के प्रयास करने होंगे। इसके लिए एक ऐसी नई प्रणाली विकसित करनी होगी जिसमें देश की अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में प्रत्येक कारोबारी को पूरी क्षमता के साथ काम करने की अनुमति हो। मूर्ति के अनुसार कुल मिलाकर 14 करोड़ कर्मचारी इस वायरस से प्रभावित हो चुके हैं इसलिए समझदारी इसी में है कि वायरस से लड़ते हुए अर्थव्यवस्था को वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ाने वाली एक नई सामान्य व्यवस्था को पारिभाषित किया जाए। 

इसके साथ ही नारायण मूर्ति ने लोगों को महामारी के परिणामस्वरूप बदले हुए हालात में रोग पैदा करने वाले विषाणुओं के बीच जीवित रहने के लिए स्वयं को तैयार करने की आवश्यकता पर भी बल दिया है। देश इस समय जिस आर्थिक मंदी और महामारी से गुजर रहा है, उसमें श्री नारायण मूर्ति के विचार मायने रखते हैं लिहाजा देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए इन पर विचार करना समय की जरूरत है।—विजय कुमार  

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