‘ग्रामीणों की लापरवाही से’‘गांवों में बेकाबू हो रहा कोरोना’

punjabkesari.in Sunday, May 23, 2021 - 05:28 AM (IST)

शहरी इलाकों के साथ-साथ अब गांवों में भी कोरोना महामारी का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। संक्रमण की दर में कुछ कमी दिखाई देने के बावजूद स्थिति गंभीर बनी हुई है।
गांवों में जांच करने के लिए पहुंचने वाली स्वास्थ्य विभाग की टीमों के साथ सहयोग करने की बजाय गांव वासी उनका विरोध ही नहीं उन पर हमले तक कर रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा सहयोग नहीं करने के कारण डाक्टर वहां कम सैंपल ही ले पा रहे हैं। 

भादसों (पंजाब) की सीनियर मैडीकल ऑफिसर डा. दविन्द्रजीत कौर  का कहना है,‘‘ग्रामीण, खासतौर पर युवा, टैस्टिंग का यह कहते हुए विरोध करते हैं कि उन्हें कोई समस्या नहीं है। यहां तक कि जांच में पॉजिटिव आ जाने पर भी वे यह बात स्वीकार करने को तैयार नहीं होते।’’ अनेक स्थानों पर तो स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षा के लिए अपने साथ पुलिस ले जानी पड़ रही है। लोगों के विरोध के कारण कई जगह पर ‘आशा वर्करों’ ने गांवों में जाना ही छोड़ दिया है। 

* 6 अप्रैल को पटियाला के ‘दुधन साधां’ ब्लाक के गांव ‘चाबूत’ में एक कोरोना संक्रमित मृतक के परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार करने गए डाक्टर को ही पीट डाला, जिससे वह सदमे में चला गया।
* 24 अप्रैल को सहारनपुर के ‘कोटा’ गांव में शिविर लगाकर कोरोना टैस्ट कर रही स्वास्थ्य विभाग की टीम पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया जिससे एक कर्मचारी घायल हो गया।
* 12 मई को कानपुर के निकट ‘सिंडोस’ गांव में कोरोना की जांच करने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम को ग्रामीणों ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा।
* 16 मई को मध्यप्रदेश में ‘मुरैना’ के ‘बलालपुर’ में बुखार की दवा देने गईं ‘आशा वर्करों’ पर ग्रामीण महिलाओं ने हमला कर दिया और किसी ने भी उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की। 

* 16 मई को उत्तर प्रदेश में ‘औरैया’ के एक गांव में कोविड वैक्सीन लगाने पहुंचे डाक्टरों से गांव वासियों ने न सिर्फ गाली-गलौच किया बल्कि उन पर लाठी-डंडों से हमला करके गांव से भगा दिया।
* 16 मई को अलीगढ़ के थाना टप्पल क्षेत्र के गांव ‘शाह नगर सोरौला’ में गई स्वास्थ्य विभाग की टीम पर ग्रामीणों ने हमला करके टीम के सदस्यों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, जिससे टीम के 2 सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए। ग्रामीणों ने सैंपलिंग का रिकार्ड रखने वाला रजिस्टर भी फाड़ दिया तथा जांच के सैंपल भी नष्ट कर दिए।  
* 16 मई को उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर के सितारगंज में ‘खुनसरा’ गांव के माइक्रो कंटेनमैंट जोन में जांच करने के लिए गई स्वास्थ्य विभाग की टीम पर गांव वालों ने दराती और लाठियों से हमला कर दिया जिसके चलते टीम के सदस्यों को जांच किए बगैर लौटना पड़ा। 

* 17 मई को पटियाला के निकट ‘पसियाणा’ गांव में जब स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम, जिसमें मैडीकल आफिसर डा. असलम परवेज शामिल थे, जांच करने के लिए गई तो अनेक लोग इससे बचने के लिए अपने घरों को ताले लगाकर चले गए। 

* 21 मई को हरियाणा में हिसार के ‘सिंघवा राघो’ गांव में बने कोविड सैंटर में टीके लगाए जाने थे परन्तु ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को वापस भेज दिया तथा कोविड सैंटर पर ताला लगा दिया। गांववासियों ने लॉकडाऊन का पालन न करने का भी निर्णय किया। उक्त गांव के अलावा भी राज्य में खानपुर सिंघड़, उमरा, महजद, माझरा, छान, लितानी, मसूदपुर, डाटा, करसिंधु आदि गांवों में भी लॉकडाऊन का बहिष्कार किया गया। गांवों में हैल्थ कर्मियों का आना-जाना बंद हो जाने से जहां डोर-टू- डोर सर्वे, वैक्सीनेशन तथा सैंपलिंग का काम रुक गया है, वहीं कुछ गांवों में लोगों ने हरियाणा के सत्तारूढ़ दल के किसी सदस्य को गांव में न घुसने देने का भी निर्णय किया है। 

इस समय जबकि कोरोना महामारी से लोगों को बचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा गांवों में घर-घर टैस्टिंग करने पर जोर दिया जा रहा है और स्वास्थ्यकर्मी अपनी जान हथेली पर रख कर सेवा कर रहे हैं, उन्हें रोकना सरासर अनुचित है। इससे जहां स्वास्थ्यकर्मी हतोत्साहित होंगे, वहीं महामारी के खतरे में और वृद्धि होगी, जिसके परिणामस्वरूप पहले ही बड़ी सं या में परिवारों के परिवार उजड़ते जा रहे हैं। अत: इस मामले में पंचायतों के प्रमुखों को ग्रामीणों को ऐसे नकारात्मक पग उठाने से स ती पूर्वक रोकना चाहिए ताकि ग्रामीण इस महामारी से बच सकें।-विजय कुमार


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