‘कोरोना’ ने बदल डाले सामाजिक ‘रस्मो-रिवाज’ छिन्न-भिन्न कर दिया ‘विवाह उद्योग’

punjabkesari.in Sunday, Jul 12, 2020 - 03:16 AM (IST)

कोरोना के महासंक्रमण में जहां तमाम व्यापारिक और औद्योगिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है वहीं इसने सामाजिक ताने-बाने को भी बुरी तरह प्रभावित किया है जिससे लोगों की जीवनशैली काफी बदल गई है। कोरोना संकट के कारण शादियां टलने से शादी से जुड़े व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। सामाजिक दूरी के नियम और अन्य बंदिशों के कारण लोग अनेक रस्मों को त्यागने को विवश हो गए हैं और इसी कारण विवाह समारोहों में गीत-संगीत,नृत्य आदि का आयोजन कम हो गया है। 

विवाह समारोहों में निमंत्रण पत्र बांटने की औपचारिकता लगभग समाप्त हो जाने से विवाह के कार्ड छापने वालों का लाखों रुपए का कारोबार भी ठप्प हो गया है। इस कारण शादी के निमंत्रण पत्रों की छपाई आदि से जुड़े हजारों कामगारों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। शादी के लिए पंडितों की बुकिंग और समारोह आयोजित करने वाली कम्पनियों का काम भी ठप्प हो गया है क्योंकि आज अधिकांश लोग शादी के कार्यक्रम आयोजित कर ही नहीं सकते। 

इसी प्रकार दुल्हनों का शृंगार, मैरिज पैलेसों और हलवाइयों का काम-धंधा भी लगभग ठप्प है और इन व्यवसायों से जुड़े लोग बेरोजगार हो गए हैं। चूंकि घोड़ा-बग्घी वालों की ज्यादातर कमाई शादी-बारात के दिनों में ही होती है अत: अकेले राजधानी दिल्ली में ही घोड़ा-बग्घी का कारोबार भी चौपट हो जाने के कारण इस धंधे से जुड़े लोग और उनके घोड़ा-घोड़ी भी भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। 

बैंड बाजा और डी जे वालों का काम भी ठप्प हो जाने के कारण इनसे जुड़े हजारों लोगों के सामने भी रोजी-रोटी का प्रश्र खड़ा हो गया है। हालांकि मजबूरीवश ही सही, लोग सादे विवाहों के लिए प्रेरित हुए हैं परंतु कोरोना के महासंक्रमण ने जहां व्यवसाय और उद्योग को प्रभावित किया है वहीं ‘विवाह उद्योग’ को भी भारी क्षति पहुंची है और लोग अपनी सदियों पुरानी परम्पराओं तथा रीति-रिवाजों को त्यागने पर विवश हो गए हैं।—विजय कुमार 


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