कंगना के बयान पर विवाद ‘1947 में आजादी भीख में मिली’

Saturday, Nov 13, 2021 - 04:53 AM (IST)

अभिनेत्री कंगना रनौत को 8 नवम्बर को फिल्मों और कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री अलंकरण प्रदान किए जाने के 2 ही दिन बाद एक समारोह में उनके इस बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया जिसमें उन्होंने कहा कि ‘‘भारत को असली आजादी 2014 में मिली जब नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई, वहीं 1947 में देश को जो स्वतंत्रता मिली थी वह ‘भीख’ में मिली थी।’’ कंगना रनौत की इस टिप्पणी पर समारोह की संचालिका (एंकर) ने कहा, ‘‘इसलिए सब कहते हैं कि आप भगवा हैं।’’  इसके उत्तर में कंगना बोलीं, ‘‘अभी इस बात के लिए मुझ पर 10 केस और होने वाले हैं।’’ 

कंगना के उक्त बयान को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है। जहां विपक्षी दलों से लेकर सिने जगत से जुड़े लोग और आई.ए.एस. अधिकारी तक कंगना पर भड़के हुए हैं वहीं भारतीय जनता पार्टी के पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी ने कंगना के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वरुण गांधी ने कहा, ‘‘यह राष्ट्र-विरोधी कृत्य है और इसे ऐसा नहीं कहना उन लोगों से विश्वासघात होगा जिन्होंने अपना खून बहाया और आज हम एक देश के रूप में तन कर आजाद खड़े हो सकते हैं। लोग कभी भी हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के असंख्य बलिदानों को नहीं भूल सकते।’’ 

‘‘कभी गांधी जी के त्याग व तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान और अब शहीद मंगल पाण्डे से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार। इस सोच को मैं पागलपन कहूं या फिर देशद्रोह?’’ इसके बाद वरुण गांधी के ट्वीट को इंस्टाग्राम स्टोरी पर लगाते हुए कंगना ने लिखा,‘‘गांधी को आजादी भीख में मिली थी। जा अब और रो। मैंने बिल्कुल साफ लिखा है कि 1857 की क्रांति पहला स्वतंत्रता संग्राम थी जिसे दबा दिया गया और इसके चलते अंग्रेजों के जुल्म और बढ़ गए तथा एक शताब्दी के बाद हमें गांधी जी के भीख के कटोरे में आजादी दी गई।’’ 

अपने बयान में कंगना ने 1947 में मिली अजादी को ‘भीख में मिली’ बताया परंतु वह देश को एकसूत्र में पिरोने वाले भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को भी भूल गईं जिनकी देश के प्रति सेवाओं और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को सम्मान देते हुए श्री नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार ने उनकी 182 मीटर ऊंची मूॢत गुजरात की नर्मदा घाटी के नर्मदा नामक स्थान पर स्थापित करवाई है। 

‘स्टेच्यू आफ यूनिटी’ नामक यह मूर्ति अमरीका के ‘स्टेच्यू आफ लिबर्टी’ (93 मीटर) से लगभग दोगुनी ऊंची है। सरदार वल्लभ भाई पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पर 31 अक्तूबर, 2018 को इस मूर्ति की पूजा-अर्चना के बाद इसे राष्ट्र को समर्पित करते हुए अपने भाषण में श्री मोदी ने कहा था : 

‘‘सरदार पटेल ने जब खंडित पड़े देश को एकसूत्र में बांधा तब मां भारती 550 से अधिक रियासतों में बंटी हुई थी। दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति बहुत निराशा थी। विश्व समुदाय को लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से बिखर जाएगा। तब सभी को सिर्फ एक ही किरण दिखाई देती थी-सरदार वल्लभ भाई पटेल।’’ 

‘‘5 जुलाई, 1947 में सरदार पटेल ने रियासतों के शासकों को कहा था कि विदेशी हमलावरों के सामने हमारे आपसी झगड़े, आपसी दुश्मनी, वैर का भाव, हमारी हार की बड़ी वजह थी अब हमें इस गलती को नहीं दोहराना है और न ही किसी का गुलाम होना है। देखते ही देखते भारत एक हो गया। सरदार पटेल के कहने पर सभी रजवाड़े एक साथ आए।’’ इसी बीच स्वतंत्रता सेनानियों के संगठनों तथा विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा कंगना के बयानको देशद्रोही कृत्य, ङ्क्षनदनीय और लज्जाजनक करार देते हुए पुणे, गाजियाबाद, हापुड़, इंदौर तथा देश के अन्य भागों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। गाजियाबाद के कवि नगर थाने में प्रदर्शनकारियों ने कंगना की फोटो पर स्याही पोती और उनके विरुद्ध केस दर्ज करने की तहरीर दी। 

प्रदर्शनकारियों द्वारा उनका पुतला फूंकने के अलावा सरकार से उन्हें फांसी पर लटकाने तक की मांग की जा रही है। मुम्बई में कांग्रेस तथा एन.एस.यू.आई. के कार्यकत्र्ताओं ने उनके घर के बाहर प्रदर्शन किया और धरना दिया। राकांपा नेता नवाब मलिक ने कहा है कि,‘‘यह बयान देते समय शायद कंगना हशीश की हैवी डोज़ लेकर बैठी होंगी।’’
राजस्थान के अलवर में महिला कांग्रेस की नेताओं ने अरावली थाने में जाकर कंगना के विरुद्ध देशद्रोह के आरोप में केस दर्ज करने की मांग की और  कहा,‘‘अवार्ड भीख में मिल सकते हैं लेकिन आजादी नहीं।’’ अनेक शहरों में उनके विरुद्ध केस दर्ज करवाए गए हैं। 

दिल्ली भाजपा के नेता शंकर कपूर ने भी कंगना के बयान को स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया तथा उनके विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है। कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने कहा है कि, ‘‘ऐसे लोगों को पद्मश्री दिलवाने वाले मोदी जी जवाब दें...क्या हम कुर्बानियों में मिली आजादी के 75वें वर्ष का जश्न मना रहे हैं या आपके भक्तों के अनुसार भीख में मिली आजादी का।’’  

हमने अपने 12 नवम्बर को प्रकाशित संपादकीय में लिखा था कि नेताओं को अवांछित बयानबाजी से संकोच करना चाहिए ताकि समाज का सौहार्द न बिगड़े पर कई बार ऐसा लगता है कि इस तरह की बेसिर-पैर की बयानबाजी पार्टी के शीर्ष नेताओं को खुश करके चुनावों में अपना नाम आगे करने के लिए तो नहीं की जा रही? इससे उन्हें या उनकी पार्टी को लाभ पहुंचेगा या हानि होगी, इसका फैसला तो देशवासी ही करेंगे!—विजय कुमार 

Advertising