केरल में अत्याधुनिक बंदरगाह के निर्माण को लेकर लगातार बढ़ रहा विवाद

punjabkesari.in Monday, Dec 05, 2022 - 03:30 AM (IST)

भारत में छोटे-छोटे बंदरगाह तो हैं जिन पर छोटे जहाज ही आते हैं परंतु बड़े कंटेनरों को लाने वाले जहाजों के रख-रखाव योग्य बंदरगाह नहीं हैं। इसी कमी को पूरा करने के लिए केरल में अडाणी समूह द्वारा 2015 से ‘विझिनजम बंदरगाह’ नामक एक मैगा बंदरगाह का निर्माण किया जा रहा है। 

इस बंदरगाह की अनुमानित लागत 7700 करोड़ में से 2500 करोड़ गौतम अडाणी अदा करेंगे जबकि 4600 करोड़ केरल सरकार द्वारा अदा किया जाएगा और बाकी का 818 करोड़ वायाब्लिटी गेप फंडिंग के माध्यम से जुटाया जाएगा। निजी क्षेत्र वाली इस बड़ी बंदरगाह में 2015 में एक प्रतियोगी नीलामी के अंतर्गत अनुबंध हासिल किया था। गौतम अडाणी इस परियोजना के लिए अकेले ही बोलीकत्र्ता थे तथा इसका अनुबंध केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमान चांडी (कांग्रेस) के नेतृत्व वाली यूनाइटिड डैमोक्रेटिक फ्रंट (यू.डी.एफ.) गठबंधन सरकार के अंतर्गत किया गया था।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इसके पहले चरण का निर्माण 2019 में पूरा हो जाना चाहिए था परंतु इसके निर्माण में प्रदर्शनों, पत्थरों की कमी और कोविड-19 महामारी के चलते देरी हुई है। इस परियोजना को रोकने के लिए जोसेफ विजयन नामक एक सामाजिक कार्यकत्र्ता ने अदालत में याचिका भी दायर कर रखी है। और अब जब किसी तरह यह बनना शुरू हुआ है तो पिछले चार महीनों से इसके विरोध और समर्थन में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। अधिकांशत: ईसाई समुदाय से संबंध रखने वाले केरल के मछुआरों का कहना है कि इस बंदरगाह के बन जाने से उनका धंधा बिल्कुल समाप्त हो जाएगा। उनका यह भी कहना है कि इस बंदरगाह के निर्माण से समुद्र तट को नुक्सान पहुंचने के कारण समुद्री पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है। 

इसी सिलसिले में पिछले दिनों बंदरगाह परियोजना का विरोध कर रहे लोगों ने निर्माण सामग्री ले जा रहे वाहनों को रोक दिया जबकि एक अन्य घटना में मछुआरों ने जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, एक पुलिस थाने पर धावा बोल दिया जिसमें कई पुलिस कर्मचारी घायल हो गए। उल्लेखनीय है कि केरल के मछुआरों पर वहां के लैटिन कैथोलिक चर्च का अत्यधिक प्रभाव है जिनका निर्माण भारत आए पुर्तगालियों द्वारा किया गया था यहां तक कि  अभी भी वहां मौसम आदि से सम्बन्धित घोषणाएं चर्च से ही की जाती हैं। इसी कारण वहां के चर्च मछुआरों का समर्थन कर रहे हैं।

केरल के रोजाना जीवन में धर्म एक बड़ी भूमिका अदा करता है। यह पहली बार है कि 2 विभिन्न विचारधारा वाली पाॢटयां भाजपा और माकपा एक साथ इस परियोजना के समर्थन में आई हैं बल्कि माकपा एक पूंजीवादी गौतम अडाणी का समर्थन भी कर रही है। ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर भाजपा तथा मुसलमान एक ओर तथा ईसाई दूसरी ओर आमने-सामने हैं तथा इस परियोजना के कारण खराब हो रही कानून व्यवस्था के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वामपंथी मीडिया ने इस परियोजना के विरोधियों पर विदेशों से धन लेने का आरोप लगाया है। 

यह भी एक विडम्बना है कि एक आर्थिक मुद्दे पर राज्य में धार्मिक आधार पर विभाजन हो गया है। यह सामान्य से एक भिन्न स्थिति है। अब तक भाजपा और मुस्लिमों के बीच एक दूरी बनी रही है परंतु इस बार इसके विपरीत स्थिति है। हाल ही में तिरुवनंतपुरम में दोनों पक्षों की ओर से धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया इसमें एक ओर हिन्दुओं का धार्मिक संगीत बज रहा था तो दूसरी ओर ईसाई भाईचारे के सदस्य प्रदर्शन कर रहे थे। मछुआरे अपनी नौकाओं के लिए मिट्टी के तेल की सबसिडी की मांग भी कर रहे हैं क्योंकि उन्हें गहरे समुद्र में जाकर मछलियां पकडऩी पड़ेंगी।

विवाद के कारण जहां केरल का बंदरगाह प्रोजैक्ट संकट में फंसा हुआ है वहीं इसी अवधि के दौरान चीन ने श्रीलंका में बहुत बड़ा बंदरगाह बना भी दिया जहां दूसरे देशों से बड़े-बड़े कंटेनर जहाज सामान लेकर आते हैं जो यहां से आगे विभिन्न देशों को भेजा जाता है। सिंगापुर और दुबई में भी ऐसे कई बड़े-बड़े बंदरगाह हैं जिनसे वे काफी कमाई कर रहे हैं। 

उल्लेखनीय है कि इस समय बड़े कंटेनर जहाज दुबई, सिंगापुर और कोलम्बो में ठहरते हैं और ये सभी बंदरगाह विदेशों से भारत आने और भारत से विदेशों को निर्यात किए जाने वाले सामान ले जाने के केंद्र भी हैं जिनसे वे भारी कमाई करते हैं। यदि हमारा यह बंदरगाह निर्धारित समयावधि में बन कर तैयार हो जाता तो यहां विदेशों से सामान लेकर आने वाले बड़े जहाजों का लंगर डालना संभव हो जाने से विदेश से आने वाले सामान की ढुलाई की लागत में किसी सीमा तक कमी हो सकती थी जिससे हमें बहुत लाभ होता। 

केरल के मछली पालन मंत्री अब्दुस रहमान की आलोचना करते हुए ईसाई धर्म गुरु फादर थियोडिशियस डिक्रूज ने कहा है कि उनके तो नाम में ही एक आतंकवादी है जिस पर विवाद खड़ा हो गया है। ऐसे में एक तरफ की बंदरगाह का होना भी जहां जरूरी है वहीं इस बात को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पर्यावरण को लेकर कोई छेड़छाड़ न हो। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का भी कहना है कि यदि इस परियोजना को बंद कर दिया गया तो इससे राज्य की प्रासंगिकता बुरी तरह से प्रभावित होगी। इस समस्या को एक और छोटी बंदरगाह बनाकर सुलझाया जा सकता है जहां मछुआरे मछलियां पकडऩे का अपना काम कर सकें।


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