सीवरेज सफाई कर्मचारियों की लगातार हो रही मौतें

Tuesday, Apr 04, 2017 - 10:19 PM (IST)

जल-मल आदि की निकासी के लिए बनाए गए भूमिगत सीवरेज को बंद होने से रोकने के लिए समय-समय पर उसकी सफाई करनी पड़ती है और इसके लिए अक्सर सफाई कर्मियों को बिना समुचित सुरक्षा प्रबंधों व गैस मास्क के जान हथेली पर रख कर गंदगी और खतरनाक बैक्टीरिया से भरे गटरों व मैनहोलों में उतार दिया जाता है। 

इसके परिणामस्वरूप वे गंभीर त्वचा रोगों के अलावा दस्त, टाईफाइड, हैपेटाइटिस-बी, सांस और पेट की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। ‘टैटनी’ नामक बैक्टीरिया इनके खुले घावों को टैटनस में बदल देता है। चूंकि सीवरेज की सफाई करने वाले अधिकांश कर्मचारियों को मैनहोलों में सुरक्षा उपकरणों के बगैर ही उतर कर सफाई करनी पड़ती है, इसलिए जहरीली गैसों व दम घुटने के कारण उनकी मौत भी हो जाती है। 

फरीदाबाद में 29 मार्च को एक सीवरेज की सफाई करते समय विषैली गैस चढ़ जाने के परिणामस्वरूप एक बाप-बेटे सहित म्यूनिसीपल कार्पोरेशन के एक ठेकेदार के तीन कर्मचारियों की मृत्यु हो गई, जबकि उन्हें बचाने की कोशिश में 2 अन्य सफाई कर्मचारी बेहोश हो गए। अगले ही दिन 30 मार्च को करनाल में जींद-कैथल रोड पर सीवरेज की सफाई करते समय एक 32 वर्षीय सफाई कर्मचारी की मृत्यु हो गई जबकि दो अन्य विषैली गैस चढऩे से बेहोश हो गए। 

सीवरेज में विषैली गैस चढऩे से होने वाली दुखद मौतों के ये कोई इक्के-दुक्के उदाहरण नहीं हैं बल्कि अक्सर ऐसी घटनाएं होती ही रहती हैं क्योंकि सीवरेज में सफाई के लिए उतरे कर्मचारियों को बचाव के लिए जरूरी गैस मास्क व अन्य सुरक्षात्मक उपकरण उपलब्ध नहीं करवाए जाते। अत: इस बात की अत्यधिक आवश्यकता है कि सीवरेज कर्मियों को सफाई आदि के लिए समुचित सुरक्षा प्रबंधों के साथ गैस मास्क देकर ही सीवरेज में उतारा जाए और यदि उन्हें गैस मास्क उपलब्ध न किए जाएं तो कर्मचारी सीवर में उतरने से इंकार कर दें। 

जब तक ऐसा नहीं किया जाएगा, इस तरह की घटनाएं होती ही रहेंगी और गरीबों के परिवार उजड़ते रहेंगे। दुर्घटना के बाद सरकार द्वारा मृतकों के परिवारों को कुछ लाख रुपए राहत देकर कत्र्तव्य की इतिश्री मान लेना काफी नहीं है। —विजय कुमार 

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