बंगलादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमले

punjabkesari.in Wednesday, Oct 20, 2021 - 03:13 AM (IST)

बंगला देश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर बहुसंख्यक समुदाय द्वारा हिंसा के कारण उनकी आबादी जो 1901 में (जब यह भारत का हिस्सा था) वहां की आबादी का 32 प्रतिशत थी, अब घट कर 8 प्रतिशत रह गई है। पाकिस्तान से मुक्ति के बाद 4 नवम्बर, 1972 को स्वीकार किए गए नए संविधान में बंगलादेश ने खुद को एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, लोकतांत्रिक देश घोषित किया था परन्तु यह अधिक समय तक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र नहीं रह सका व 7 जून, 1988 को इसने स्वयं को इस्लामिक देश घोषित कर दिया। जनवरी, 2013 से इस वर्ष सितम्बर तक वहां हिंदुओं पर 3679 हमले हो चुके हैं तथा उनके धर्मस्थलों पर तोड़-फोड़ व आगजनी के कम से कम 1678 मामले सामने आए हैं। 

गत 14 अक्तूबर को कोमिल्ला में दुर्गा पूजा समारोहों में कुछ शरारती तत्वों द्वारा सोशल मीडिया पर फर्जी खबर फैलाने से भड़की हिंसा अभी तक जारी है जिसमें एक दर्जन के लगभग हिंदुओंं की जानें जा चुकी हैं। सरकार द्वारा सैंकड़ों लोगों को गिरफ्तार करने के बावजूद हिंसा थम नहीं रही। नवीनतम घटनाक्रम में 17 अक्तूबर की रात को बंगलादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों ने रंगपुर जिले के ‘मांझीपाड़ा’ गांव में हिंदुओं के 29 घरों को आग लगा दी तथा 66 घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया। ‘बंगलादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद’ का आरोप है कि हाल ही में चांदपुर और नोआखली में हुए हमलों में 4 हिंदू भक्तों की मौत हुई है। 

ढाका में ‘इस्कॉन स्वामीबाग आश्रम’ के नेतृत्व में हिंदुओं तथा अन्य धार्मिक संगठनों के 2000 से अधिक सदस्यों ने ढाका विश्वविद्यालय के सैंकड़ों छात्रों के साथ इन घटनाओं के विरुद्ध प्रदर्शन किया। कोलकाता और वाशिंगटन में भी इन घटनाओं के विरुद्ध प्रदर्शन किए गए। बंगलादेश के गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने इन हमलों को बंगलादेश का धार्मिक सौहार्द खराब करने का पूर्व नियोजित षड्यंंत्र बताया है। बंगलादेश से निष्कासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि ‘‘अब बंगलादेश ‘जेहादिस्तान’ बनता जा रहा है। यहां सभी सरकारों ने राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का इस्तेमाल किया। इस्लाम को राजधर्म बना देने से यहां हिंदुओं और बौद्धों की स्थिति दयनीय हो गई है।’’ 

बंगलादेश में हिंदुओं पर लगातार जारी हमलों ने वहां उनकी सुरक्षा पर प्रश्रचिन्ह लगा दिया है जिसके जारी रहने पर जहां न सिर्फ भारत और बंगलादेश के दोस्ताना संबंधों में दरार आ सकती है, वहीं बंगलादेश से एक बार फिर भारत में हिंदुओं का पलायन शुरू हो सकता है, जैसा 1972 में बंगलादेश के जन्म के समय हुआ था। लिहाजा इस संबंध में बंगलादेश सरकार को कठोरतम कदम उठाने की आवश्यकता है।—विजय कुमार 


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