अध्यापकों द्वारा छात्रों पर अमानवीय अत्याचारों का सिलसिला जारी

Wednesday, Dec 11, 2019 - 01:36 AM (IST)

जीवन में माता-पिता के बाद अध्यापक का ही सर्वोच्च स्थान माना गया है। वही अज्ञानता के शिकार बच्चों को सही शिक्षा देकर अज्ञानी से ज्ञानवान बनाता है परंतु आज चंद अध्यापक-अध्यापिकाएं अपनी मर्यादाओं को भूल स्कूली बच्चों पर अमानवीय अत्याचार कर रहे हैं। यहां पेश हैं मात्र 10 दिनों की अध्यापक-अध्यापिकाओं के हाथों छात्र उत्पीडऩ की घटनाएं : 

28 नवम्बर को आंध्र प्रदेश में अनंतपुर के ‘कदीरी’ में अध्यापिका ने पढ़ाई पर ध्यान न देने पर पांचवीं कक्षा के 2 बच्चों को बैंच से बांध दिया। 29 नवम्बर को लुधियाना में एक स्कूल के स्टाफ द्वारा छोटी पैंट और हेयर स्टाइल को लेकर बार-बार बैल्ट से पीटने और पैंट उतारने से दुखी ग्यारहवीं कक्षा के छात्र ने फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली। उक्त घटना के कुछ दिन बाद इसी स्कूल का 23 नवम्बर का एक वीडियो सामने आया जिसमें स्कूल की टीचर एक छोटी बच्ची की उंगलियों में पैंसिल डाल और दबा कर टार्चर करते हुए और उसे पीटती हुई दिखाई दे रही है। 

29 नवम्बर को पटियाला में अर्बन एस्टेट के सरकारी मॉडल एलीमैंटरी स्कूल के प्रबंधक नर्सरी कक्षा में पढऩे वाले एक बीमार बच्चे को छुट्टी के बाद क्लास रूम में ही बंद करके चले गए। 02 दिसम्बर को लुधियाना में ‘मेहरबान’ के सरकारी स्कूल में छठी कक्षा में चूहा घुसने पर बच्चों के शोर मचाने पर गुस्से में आकर अध्यापक ने बच्चों को थप्पड़ मारे।

03 दिसम्बर को नालासोपारा (मुम्बई) में एक मदरसे के मौलाना ने 12 वर्षीय छात्र को गर्म कड़छी से कई जगह दाग कर झुलसा दिया। 05 दिसम्बर को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में ‘गेरालडीन’ स्थित एक स्कूल में नौवीं कक्षा के छात्र को वर्दी न पहनने पर बुरी तरह पीटा गया।  06 दिसम्बर को कुरुक्षेत्र में पांचवें समैस्टर की परीक्षा दे रहे एक छात्र को नकल करने के संदेह में डिप्टी सुपरिंटैंडैंट ने एक कमरे में ले जाकर नंगा करके तलाशी ली और जब कोई पर्ची नहीं मिली तो उसे गालियां देना और धक्के मारना शुरू कर दिया।

08 दिसम्बर को हिसार में एक प्राइवेट स्कूल के स्टाफ ने परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन न करने पर चौथी कक्षा के कुछ छात्र-छात्राओं का मुंह काला करके उन्हें शर्मिंदा करने के लिए स्कूल में घुमाया। और अब 09 दिसम्बर को हरिद्वार के श्यामपुर गांव में इंटर कालेज के एक शिक्षक के प्रताडि़त करने पर बारहवीं कक्षा के एक छात्र ने आत्महत्या कर ली। गांव वालों ने इसके विरुद्ध आंदोलन की चेतावनी दी है। ये तो अध्यापक-अध्यापिकाओं द्वारा छात्र-छात्राओं पर किए जाने वाले अत्याचारों के चंद नमूने मात्र हैं जो अध्यापक वर्ग में भी बढ़ रही नैतिक गिरावट का ही परिणाम हैं जिसे रोकने के लिए आवश्यक पग उठाने की तुरन्त आवश्यकता है।—विजय कुमार 

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