पड़ोसियों की मदद के बहाने चीन द्वारा भारत को घेरने की साजिश

Sunday, Jun 14, 2020 - 02:45 AM (IST)

जहां भारत सरकार विश्व के अनेक देशों से दोस्ताना संबंध बढ़ा रही है, वहीं नेपाल, चीन, पाकिस्तान आदि नजदीकी पड़ोसियों के साथ इसके संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। यहां तक कि पड़ोसी नेपाल की सरकार भी भारत विरोधी निर्णय ले रही है :

* 14 दिसम्बर, 2018 को नेपाल सरकार ने 500 तथा 2000 रुपए और 27 जून, 2019 को 200 रुपए मूल्य वाले भारतीय नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया। 
* 04 अगस्त, 2019 को भारतीय मूल के 8 लोगों की नागरिकता रद्द कर दी। 
* 08 मई, 2020 को नेपाल सरकार ने भारत द्वारा लिपुलेख दर्रे तक सड़क बिछाने के विरुद्ध रोष व्यक्त किया। 

* 19 मई को नेपाल सरकार ने देश के अपने नए नक्शे में भारत के 3 इलाकों ‘लिपुलेख’, ‘कालापानी’ व ‘लिंपियाधुरा’ को नेपाली क्षेत्र में दिखा दिया तथा इससे संबंधित संशोधन विधेयक को 13 जून को नेपाल की संसद ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी। 
* 19 मई को ही नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने नेपाल में कोरोना के प्रसार के लिए भारत को दोषी ठहराया। 
* 08 जून को नेपाल ने चीन की ‘वन चाइना पालिसी’ का समर्थन करके फिर अपने भारत विरोधी रवैये का संकेत दिया जबकि समूचा विश्व हांगकांग की स्वायत्तता के मुद्दे पर चीन की नीतियों का विरोध कर रहा है। 

* 10 जून को नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने दूसरी बार दोहराया कि लिपिंयाधुरा, लिपुलेख और कालापानी की जमीन हमारी है। 

* 12 जून को बिहार के सीतामढ़ी से सटी नेपाल सीमा पर पुलिस के जवानों ने सीमा पर अपनी नेपाली बहू से बात कर रहे कुछ लोगों पर गोली चला दी जिससे एक भारतीय नागरिक की वहीं मृत्यु हो गई।
भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी पैठ बढ़ाने और भारत को घेरने की रणनीति के अंतर्गत चीन हमारे पड़ोसी पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका आदि साधनहीन देशों को अत्यधिक आर्थिक सहायता से अपने कर्ज तले दबाकर उन्हें भारत विरोधी तेवर अपनाने के लिए उकसा रहा है। 

जहां ऐसा करके चीन इन देशों के माध्यम से भारत विरोधी गतिविधियों द्वारा भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है वहीं इन देशों को सस्ता सामान बेचकर वह अपने देश में उद्योग व्यवसाय और नौकरियां भी बढ़ा रहा है। 

‘सार्क’ संगठन टूटने से इन देशों में पैदा हुई संवादहीनता भी कहीं न कहीं नेपाल के साथ भारत के संबंधों में खटास का कारण बन रही है और मन में यह आशंका भी पैदा होती है कि कहीं हमारी सरकार की ओर से कोई लापरवाही तो नहीं हो रही? इस बात में तो संदेह ही नहीं है कि जहां भारत सरकार विश्व के अनेक देशों से संबंध मजबूत करने में सफल हुई है परंतु अपने छोटे-छोटे पड़ोसी देशों के मामलों में इसकी विदेश नीति क्यों विफल हो रही है इस ओर भारतीय सत्ताधारियों को तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।—विजय कुमार

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