‘नहीं थम रहा’ प्रभावशाली लोगों की ‘दबंगई का सिलसिला’

Friday, Jun 05, 2020 - 10:46 AM (IST)

सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े अधिकारियों, राजनीतिज्ञों और उनके परिजनों से आशा की जाती है कि वे कोई भी कानून विरोधी कार्य नहीं करेंगे और स्वयं को सच्चा जनसेवक सिद्ध करते हुए आम लोगों की मुश्किलें सुलझाने में मदद करेंगे परंतु आज यही लोग बड़े पैमाने पर दबंगई तथा गलत कामों में शामिल पाए जा रहे हैं जिसके हाल ही के चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

17 मई को नरसिंहपुर में कांग्रेस नेता नरेंद्र राजपूत के भतीजों ने एक सरकारी अधिकारी को बंधक बनाकर न सिर्फ उसके साथ मारपीट की बल्कि उसके बाद उसकी सोने की चेन और पैसे भी लूट लिए।

24 मई को उत्तर प्रदेश के हरदोई में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक पूर्व पदाधिकारी कैलाश नारायण गुप्ता के विरुद्ध एक पिता-पुत्र को बंधक बना कर उनके कपड़े उतारने, उनके साथ मारपीट करने, 33,000 रुपए नकद एवं 86 ग्राम सोने के गहने लूटने और उन्हें मुर्गा बनाकर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने के आरोप में केस दर्ज किया गया।

 30 मई को नोएडा के सैक्टर-22 में एक भाजपा नेता और इमारत के मालिक नरेश शर्मा के विरुद्ध किराया नहीं देने पर अपने किराएदारों की लाठी-डंडों से पिटाई करने के आरोप में पुलिस ने केस दर्ज किया है।

 01 जून को छत्तीसगढ़ में कोरबा जिले के बांगोथाना क्षेत्र के कांग्रेस नेता एवं पूर्व जनपद उपाध्यक्ष सर्बजीत सिंह पर एक कंस्ट्रक्शन कम्पनी ने बजरी के 200 से अधिक ट्रक चुराने का आरोप लगाया। 

03 जून को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में आई.ए.एस. अधिकारी जनक पाठक के विरुद्ध एक महिला की शिकायत पर बलात्कार के आरोप में केस दर्ज किया गया है। महिला का आरोप है कि जनक पाठक ने उसे काम दिलाने के बहाने उसके साथ बलात्कार किया। 

 03 जून को लखनऊ के हजरतगंज में एक सपा विधायक के गनमैन धर्मेंद्र कुमार ने एक रिक्शा चालक को बुरी तरह पीट डाला। 

 03 जून को ही निहालसिंहहवाला के सबडिवीजन की सरपंच ममता रानी के पति एवं यूथ कांग्रेस के नेता वरुण जोशी के विरुद्ध इसी के गांव में तैनात एक नर्स को कथित रूप से ब्लैकमेल करने और किसी सुनसान स्थान पर ले जाकर उससे बलात्कार करने के आरोप में केस दर्ज किया गया। 
उक्त घटनाओं से स्पष्टï है कि सभी दलों में ऐसे तत्व मौजूद हैं जो अपनी पोजीशन का अनुचित लाभ उठा रहे हैं और अपनी पार्टी के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं। निश्चय ही यह एक खतरनाक रुझान है। यदि इसे नहीं रोका गया तो आम लोग भी प्रतिक्रिया स्वरूप इनकी ही तरह कानून अपने हाथ में लेने को विवश होंगे और इसका नतीजा सभी पक्षों के लिए दुखद ही होगा ।—विजय कुमार

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