‘राजस्थान’ की कांग्रेस ‘सरकार’ का ‘संकट फिलहाल टला’

punjabkesari.in Tuesday, Jul 14, 2020 - 02:48 AM (IST)

जब 17 दिसम्बर, 2018 को कांग्रेस हाईकमान ने अधिक अनुभवी होने के नाते अशोक गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बना दिया तो 2014 से प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चले आ रहे सचिन पायलट ने, जिनके नेतृत्व में ही कांग्रेस ने 2018 का चुनाव लड़ा था, इस शर्त पर उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार कर लिया कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर कायम रखा जाएगा। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में संकट उसी दिन शुरू हो गया था और तभी से गहलोत तथा पायलट में तनातनी चली आ रही है। यह भी चर्चा है कि दोनों में असली झगड़ा अध्यक्ष पद को लेकर है क्योंकि अशोक गहलोत हर हालत में सचिन पायलट को हटाकर अपने किसी कृपापात्र को यह पद देना चाहते हैं जिसके लिए सचिन पायलट तैयार नहीं हैं। 

इन दोनों में व्याप्त तनाव उस समय खुलकर सामने आ गया जब हाल ही में राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा द्वारा कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश बारे अशोक गहलोत के आदेश पर पुलिस थाने में दर्ज रिपोर्ट के आधार पर राजस्थान पुलिस के एस.ओ.जी. (स्पैशल आप्रेशन गु्रप) ने 10 जुलाई को पूछताछ के लिए सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के अलावा 13 निर्दलीय विधायकों को नोटिस दे दिया। एस.ओ.जी. ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश में शामिल 2 भाजपा नेताओं को गिरफ्तार भी किया है तथा अशोक गहलोत ने भाजपा नेताओं सतीश पुनिया और राज्यवद्र्धन राठौर पर कांग्रेस के विधायकों को 25 करोड़ रुपए में खरीदने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। 

बहरहाल, एस.ओ.जी. के नोटिस पर सचिन पायलट और उनके समर्थकों में नाराजगी के चलते पायलट सहित 22 विधायक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर अपनी बात रखने के लिए दिल्ली पहुंच गए और मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान की गहलोत सरकार पर भी संकट के बादल मंडराने लगे। इसी बीच 12 जुलाई को सचिन पायलट ने कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया से नई दिल्ली में भेंट की जिसके बाद कयास लगाए जाने लगे कि सचिन पायलट भी 13 जुलाई को भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं परंतु सचिन पायलट ने ऐसी अटकलों को खारिज कर दिया। 12 जुलाई रात को ही जयपुर में अशोक गहलोत ने कांग्रेस के विधायकों की बैठक बुलाई जिसमें 107 में से 75 कांग्रेस विधायक/मंत्री पहुंचे। इस बैठक के बाद कांग्रेस विधायक राजेंद्र गुड्डा ने कहा, ‘‘गहलोत जी के पास बहुमत है। हम भाजपा विधायकों के संपर्क में हैं। जितने विधायक जाएंगे, हम उनसे ज्यादा भाजपा विधायक ले आएंगे।’’ 

13 जुलाई को दिल्ली और राजस्थान में जारी राजनीतिक हलचल के बीच गहलोत ने पुन: कांग्रेस विधायकों की बैठक बुला कर शक्ति प्रदर्शन किया। इसमें सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक नहीं पहुंचे परन्तु इसमें गहलोत ने विक्ट्री चिन्ह दिखाकर संकेत दिया कि सरकार नहीं गिरेगी। इस बीच बताया जाता है कि डैमेज कंट्रोल में उतरे कांग्रेस के नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, पी. चिदम्बरम, अहमद पटेल और के.सी. वेणुगोपाल ने पायलट से बात करके उन्हें समझाने और दोनों में समझौता करवाने की कोशिश की और उन्हें जयपुर जाने के लिए कहा। यही नहीं प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री गहलोत से भी बात की और सचिन पायलट को कांग्रेस न छोडऩे के लिए राजी कर लिया। गहलोत सरकार का संकट सुलझाने जयपुर पहुंचे कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुर्जेवाला ने 13 जुलाई सुबह प्रैस से कहा था कि सचिन पायलट के लिए कांग्रेस के दरवाजे खुले हैं और यदि उन्हें कोई शिकायत है तो वह उसे पार्टी बैठक में रखें। सुर्जेवाला ने कहा कि पिछले 48 घंटों में उन्होंने कई बार सचिन पायलट से बात की है। 

चर्चा है कि पायलट अब सौदेबाजी के मूड में आ गए हैं और उन्होंने अपने समर्थक मंत्रियों को गृह और वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग देने तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी अपने पास ही रखने की शर्त रखी है। इसी बीच प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने प्रदेश कांग्रेस के कुछ विधायकों में मतभेदों को स्वीकार किया है। हालांकि राजस्थान कांग्रेस में व्याप्त यह संकट फिलहाल टल गया दिखाई देता है परंतु समाप्त नहीं हुआ तथा कांग्रेस ने अपने विधायकों को टूटने से बचा चिंतन करके ऐसा निर्णय लेना चाहिए जिससे गहलोत और पायलट दोनों संतुष्ट हो जाएं। ऐसा न हो कि पायलट की नाराजगी कांग्रेस पर भारी पड़े तथा इसके हाथ से एक और राज्य निकल जाए।—विजय कुमार 


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