प्रधानमंत्री की रैली रद्द होने पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने

punjabkesari.in Thursday, Jan 06, 2022 - 05:09 AM (IST)

किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद पंजाब विधानसभा चुनावों के सिलसिले में भाजपा के चुनाव अभियान की शुरूआत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 जनवरी को दोपहर 1 बजे फिरोजपुर में रैली करने वाले थे जिसके दौरान उन्होंने पंजाब के लिए 42,750 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास करना था। 

प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान किसानों द्वारा उनके विरुद्ध प्रदर्शन की योजना की खबरों के बीच 4 जनवरी रात को किसान मजदूर संघर्ष समिति के राज्य प्रधान सतनाम सिंह पन्नू व अन्य किसान नेताओं की केंद्रीय मंत्री व भाजपा के पंजाब चुनाव प्रभारी गजेंद्र शेखावत से फिरोजपुर में भेंट के बाद यह कहा गया था कि प्रधानमंत्री मोदी की रैली का विरोध टाल दिया गया है। 

प्रधानमंत्री की रैली के लिए 10,000 के लगभग सुरक्षा कर्मचारी लगाए गए थे तथा रैली स्थल पर लगभग 50,000 कुर्सियां लगाई गई थीं परंतु बताया जाता है कि रैली में दो-अढ़ाई हजार लोग ही पहुंच सके। हालांकि 5 जनवरी सुबह तक सब कुछ ठीकठाक दिखाई दे रहा था परंतु बाद दोपहर अचानक रैली रद्द करने की घोषणा कर दी गई और श्री मोदी वापस दिल्ली चले गए। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने रैली रद्द होने का कारण प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक बताया है। उनके अनुसार श्री मोदी ने बठिंडा हवाई अड्डे पर उतरने के बाद खराब मौसम के चलते 20 मिनट इंतजार करके सड़क मार्ग से हुसैनीवाला स्थित शहीद स्मारक तक जाने का फैसला किया। 

जब काफिला शहीद स्मारक से 30 किलोमीटर दूर था तब रास्ते में एक फ्लाईओवर पर प्रदर्शनकारियों ने रास्ता रोका हुआ था। इससे श्री मोदी का काफिला अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में 15-20 मिनट तक फंसा रहा। इसे गृह मंत्रालय ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में बड़ी चूक माना है तथा पंजाब सरकार से इसकी रिपोर्ट भी मांग ली है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि इसकी जिम्मेदारी तय की जाएगी। 

सुरक्षा में हुई इस चूक के बाद काफिला बठिंडा एयरपोर्ट की ओर मोड़ लिया गया जहां पहुंच कर श्री मोदी ने वहां के अधिकारियों से कहा,‘‘मैं एयरपोर्ट तक जिंदा पहुंच गया इसके लिए अपने मुख्यमंत्री को मेरा धन्यवाद कहना।’’ भाजपा ने इसे कांग्रेस की साजिश बताया है।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, ‘‘कांग्रेस को मोदी से नफरत है। पंजाब सरकार ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक की और उनकी जान को जोखिम में डाला। कांग्रेस के खूनी इरादे आज नाकाम रहे हैं। कांग्रेस तथा पंजाब सरकार इसके लिए माफी मांगें।’’ विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने आरोप लगाया है कि ‘‘रैली में आने वाली 800 बसों को रोका गया तथा कुछ बसों पर पथराव किया गया ’’ 

भाजपा ने सवाल उठाया है कि ‘‘बठिंडा से मोदी हैलीकाप्टर की बजाय सड़क मार्ग से जा रहे थे। अंतिम समय पर परिवर्तित कार्यक्रम की जानकारी केवल पंजाब पुलिस को थी। फिर उनका रूट कैसे रोका गया? श्री मोदी के यात्रा मार्ग पर खड़े किसानों को पंजाब पुलिस ने हटाया क्यों नहीं तथा किसान यदि हटने को तैयार नहीं थे तो प्रधानमंत्री का रूट बदला क्यों नहीं गया?’’ याद रहे कि खराब मौसम के कारण हैलीकाप्टर की बजाय सड़क मार्ग से जाना एक सही निर्णय था क्योंकि अभी 8 दिसम्बर को खराब मौसम के कारण हुई हैलीकाप्टर दुर्घटना में हमने सी.डी.एस. बिपिन रावत तथा अन्य वीरों को खोया है। 

प्रधानमंत्री के रूट पर आंदोलनकारियों के आने से पंजाब पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसा इसलिए है कि हैलीकॉप्टर यात्रा का कार्यक्रम रद्द होने के बाद जब सड़क मार्ग से जाने की बात आई तो पंजाब पुलिस ने प्रधानमंत्री के सुरक्षा काफिले को सड़क का रूट दिया लेकिन यह रूट सुरक्षित नहीं था। चन्नी सरकार ने स्पष्ट किया है कि पहले प्रधानमंत्री ने हैलीकॉप्टर के जरिए जनसभा स्थल तक जाना था लेकिन मौसम खराब होने के कारण वह अचानक सड़क मार्ग से जनसभा स्थल के लिए निकले। 

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब इस रूट की जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय को नहीं थी और यह रूट अचानक तय किया गया तो आंदोलनकारियों को इसकी जानकारी कैसे मिली और वे सड़क पर कैसे उतर आए। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक पर खेद जताया और कहा है कि ‘‘मैं प्रधानमंत्री का पूरा सम्मान करता हूं तथा कोरोना पाजिटिव के संपर्क में होने के कारण उनके कार्यक्रम में नहीं गया। उन्हें पंजाब से वापस लौटना पड़ा, इसका मुझे दुख है। हमने खराब मौसम और किसानों के विरोध के कारण यात्रा रद्द करने के लिए कहा था।’’ पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि ‘‘प्रधानमंत्री के साथ जो भी हुआ वह अस्वीकार्य एवं पंजाबियत के विरुद्ध है।’’ 

बहरहाल अब जबकि प्रधानमंत्री वापस लौट गए हैं, इस रैली के रद्द होने के कारणों की उच्च स्तरीय जांच होगी कि क्या यह रैली मौसम के बदलते मिजाज या उपस्थिति कम होने के कारण रद्द हुई या इसके लिए सरकार या पुलिस की लापरवाही जिम्मेदार है। यदि इंसानी लापरवाही के कारण रैली रद्द हुई है तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी के इस सुझाव पर भी विचार करने की जरूरत है कि ‘‘कोरोना काल में रैलियों पर प्रतिबंध लगना चाहिए।’’—विजय कुमार 


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