संबंधित पक्षों के विचार जाने बिना निर्णय ले रही भाजपा सरकार

Thursday, Apr 21, 2016 - 02:00 AM (IST)

इसी सप्ताह 2 महत्वपूर्ण निर्णयों पर केंद्रीय सरकार को भारी आलोचना के चलते पलटी मारनी पड़ी और ज्वैलरों की हड़ताल बारे भी सकारात्मक रवैया न अपनाने के कारण इसे फजीहत झेलनी पड़ी।

 
सरकार ने 10 फरवरी, 2016 को अधिसूचना जारी करके 2 महीने या उससे अधिक समय से बेरोजगार रहने वाले कर्मचारियों के प्रॉवीडैंट फंड की अपनी पूरी राशि निकालने पर रोक लगा दी और वे प्रॉवीडैंट फंड से केवल अपना योगदान तथा उस पर ब्याज ही निकाल सकते थे। 
 
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद कर्मचारी वर्ग में भारी रोष फैल गया। देश में विभिन्न स्थानों पर कर्मचारी संगठनों ने प्रदर्शन किए और 19 अप्रैल को इसने ङ्क्षहसक रूप धारण कर लिया जब बेंगलूर में प्रदर्शनकारियों ने अनेक वाहन जला डाले। इस पर एक ही दिन में 3 बार पलटी मारते हुए केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय को अपना यह निर्णय वापस लेने को मजबूर होना पड़ा।
 
पहले नए नियमों पर 31 जुलाई तक रोक लगाई गई, फिर ढील देते हुए, बच्चों की शादी, पढ़ाई, बीमारी और गृह निर्माण जैसी कुछ मदों के लिए पूरी रकम निकालने की छूट दी गई और जब बात नहीं बनी तो देर रात नई अधिसूचना को रद्द करके पुरानी व्यवस्था को ही बहाल रखने की घोषणा कर दी गई। 
 
‘कोहिनूर’ हीरे को लेकर भी इन दिनों विवाद छिड़ा हुआ है। इस संबंध में एक जनहित याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की गई है और 18 अप्रैल को सॉलीसिटर जनरल द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर ‘स्टेटस रिपोर्ट’ में भारत सरकार ने कहा कि कोहिनूर हीरा इंगलैंड को उपहार स्वरूप दिया गया था। 
 
रिपोर्ट में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के 1956 के बयान का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि इस पर दावा करने का कोई आधार नहीं तथा इसे वापस लाने के प्रयास से मुश्किलें बढ़ेंगी। 
 
इसका विरोध होने पर अब 19 अप्रैल को इस पर भी पलटी मारते हुए सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘‘सरकार सौहार्दपूर्ण तरीके से इस हीरे को स्वदेश लाने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।’’ 
 
‘‘सॉलीसिटर जनरल ने मौखिक रूप से इस हीरे की जानकारी दी है तथा सरकार ने अभी तक न्यायालय में अपना पक्ष नहीं रखा है जिसके लिए न्यायालय ने इसे 6 महीने का समय दिया है।’’ बाद में अपनी फजीहत को देखते हुए सरकार ने गलत समाचार देने का सारा दोष मीडिया पर मढ़ते हुए कह दिया कि ‘‘सौहार्दपूर्ण तरीके से हीरा वापस लाया जाएगा।’’ 
 
कर्मचारी प्रॉवीडैंट फंड और कोहिनूर की स्वदेश वापसी की भांति ही सरकार की ओर से केंद्रीय बजट में 12 करोड़ रुपए वाॢषक से अधिक के स्वर्णाभूषण बेचने वाले स्वर्णाकारों पर एक प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगाने के विरुद्ध देश के लाखों ज्वैलरों में भारी रोष व्याप्त है। 
 
हालांकि ज्वैलरों ने विवाह-शादियों के मौसम के दृष्टिïगत 13 अप्रैल को अपनी 42 दिन पुरानी हड़ताल अस्थायी रूप से 24 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है परंतु उन्होंने 25 अप्रैल को संसद अधिवेशन शुरू होने के साथ ही फिर से हड़ताल पर चले जाने का फैसला किया है ताकि सरकार पर अपनी मांग मनवाने के लिए नए सिरे से दबाव डाल सकें।
 
ज्वैलरों का कहना है कि ‘‘इस हड़ताल से ज्वैलरी और हीरा उद्योग को एक लाख करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ है। यह सरकार व्यापारियों के कारोबार की राह आसान बनाने का वायदा करके सत्ता में आई थी परंतु स्वर्णकारों पर 1 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी तथा 2 लाख रुपए के आभूषण के खरीदारों पर पैन थोप कर इसने छोटे कारोबारियों को अफसरशाही के हवाले कर दिया है।’’
 
कांग्रेस नेतृत्व पर इसके सहयोगी दल आरोप लगाते थे कि वे उनसे सलाह किए बिना ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय ले लेते हैं। कांग्रेस नेतृत्व के मनमाने फैसलों के कारण ही इसकी गठबंधन सहयोगी तृणमूल कांग्रेस ने इससे नाता तोड़ा। ऐसे आचरण के लिए भाजपा नेता कांग्रेस की खूब आलोचना करते थे परंतु अब स्वयं उसी रास्ते पर चल रहे हैं।
 
पहले ही देश में चारों ओर व्याप्त अशांति, लाकानूनी, महंगाई आदि के चलते लोगों में बेचैनी बढ़ रही है और यदि एकपक्षीय निर्णय लेने का यही सिलसिला जारी रहा तो 2019 में भी सत्ता कब्जाने को संकल्पित भाजपा के लिए अपना यह लक्ष्य पूरा करना मुश्किल ही होगा।
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