बाढ़ग्रस्त केरल के भाई-बहनों के संकट की इस घड़ी में सहायता के लिए सभी आगे आएं

punjabkesari.in Wednesday, Aug 22, 2018 - 03:13 AM (IST)

इस वर्ष दक्षिण भारतीय राज्य केरल में सामान्य से अढ़ाई गुणा अधिक वर्षा हुई है। इसके परिणामस्वरूप इस समय यह राज्य शताब्दी की सबसे भयानक और विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहा है और इसे गंभीर प्राकृतिक आपदा घोषित कर दिया गया है। 

लगभग 20 हजार करोड़ रुपए की सम्पत्ति की क्षति हुई है। 40,000 से अधिक हैक्टेयर जमीन पर कृषि और 20,000 मकान नष्टï हो गए हैं। कई राजमार्गों के हिस्से और 200 से अधिक पुल बाढ़ में बह गए हैं। इसके अलावा 373 से अधिक लोगों की मृत्यु और 10 लाख लोग बेघर होकर राहत शिविरों में रह रहे हैं। असंख्य बच्चे अनाथ और महिलाएं विधवा हो गईं। पानी में तैर रही लाशों को निकालने के बाद उन्हें रखने के लिए मुर्दाघर नहीं हैं। जगह-जगह मृत पड़े जानवरों के कारण चारों ओर सड़ांध फैल रही है और महामारी फैलने का खतरा पैदा हो गया है। डेंगू, मलेरिया, हैजा और चिकनपॉक्स तक के मामले सामने आ रहे हैं। दवाओं तक का अभाव है।

उजड़े हुए लोगों के पुनर्वास और पुनॢनर्माण की समस्या राज्य सरकार के सामने खड़ी हो गई है जिसके लिए भारी धनराशि की जरूरत है। यह काम अकेले केरल सरकार के वश का नहीं। अत: संकट की इस घड़ी में केरल के भाई-बहनों की सहायता के लिए केंद्र और राज्य सरकारें ही नहीं बल्कि पूरा देश और यहां तक कि विदेशों में बैठे भारतीय भी आगे आ रहे हैं। जब-जब देश पर कोई संकट आया है पंजाब केसरी पत्र समूह विभिन्न राहत कोष शुरू करके सहायता के लिए आगे आया है और हमेशा की तरह इस बार भी ‘पंजाब केसरी पत्र समूह’ ने 21 लाख रुपए के योगदान से केरल के बाढ़ पीड़ित भाई-बहनों की सहायता के लिए ‘प्राइम मिनिस्टर्स रिलीफ फंड (केरल)’  शुरू किया है। 

परंतु इससे भी बढ़कर बात यह है कि स्वयं पीड़ा में होते हुए भी केरल वासी अपने भाई-बहनों की सहायता के लिए आगे आ रहे हैं। दूसरी कक्षा में पढऩे वाली अनुप्रिया नामक नन्ही बच्ची चार वर्ष से अपनी मम्मी और पापा से लेकर साइकिल खरीदने के लिए पैसे जमा करती आ रही थी और उसके पास 9,000 रुपए जमा हो गए थे। जब उसके घर वालों ने उसे राज्य में आई बाढ़ के बारे में बताया तो उसने यह सारी रकम जो 5-5 रुपए के सिक्कों के रूप में थी, अपने पिता से कह कर राहत कोष में भिजवा दी। 

इसी प्रकार मछलियां बेच कर पढ़ाई और अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाली हनान नामक एक संघर्षरत युवती ने अपनी सवा लाख रुपए की बचत राहत कोष में दान दी है। उसका कहना है कि मेरी जरूरत से मेरे राज्य के भाई-बहनों की जरूरत बड़ी है। इसलिए मैंने यह राशि राहत कोष में दान करने का निर्णय लिया। एक पत्रकार जिसे बाढ़ के कारण अपनी बेटी की सगाई रद्द करनी पड़ी, ने सगाई समारोह के लिए रखी हुई सारी राशि राहत कोष में दान दे दी और वर पक्ष ने भी ऐसा ही किया। 

जब ये लोग दुख की इस घड़ी में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए आगे आ सकते हैं तो हम क्यों नहीं। अत: समाज के सभी वर्ग के लोगों को आगे आकर केरल के बाढ़ पीड़ित भाई-बहनों की सहायता करनी चाहिए ताकि केरल वासियों को लगे कि हम एक हैं, हमारा देश एक है और हर संकट की घड़ी में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। इनकी सहायता के लिए अपनी सहायता राशि का ड्राफ्ट Prime Minister's National Relief Fund(Kerala) Payable at New Delhi बनवाकर पंजाब केसरी समूह, सिविल लाइंस, जालंधर-144001 के पते पर भेजें।—विजय कुमार 


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Pardeep

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