‘भारत से नाराजगी’ के कारण चीन कर रहा ‘बदलाखोरी’ की कार्रवाई

Saturday, Jun 20, 2020 - 03:43 AM (IST)

चीनी नेताओं को भारत सरकार के निर्णय और नीतियां पसंद न हों परंतु इसका मतलब यह कदापि नहीं हो सकता कि भारत अपनी स्वतंत्रता और सम्प्रभुता को दाव पर लगा कर चीन के शासकों की इच्छा के अनुरूप चले। 

इसी कारण खुन्नस में आकर चीनी नेता एक ओर लगातार भारत को विभिन्न विवादों के निपटारे के लिए बातचीत में उलझाए रखते हैं और दूसरी ओर भारत के विरुद्ध अपनी आक्रामक नीतियां लगातार जारी रखते हैं जो चीनी सेनाओं द्वारा 15 जून को ‘गलवान घाटी’ में भारतीय सैनिकों पर किए गए खूनी हमले से स्पष्ट है। 
भारत द्वारा उठाए गए निम्न पग चीन की आक्रामकता का कारण हो सकते हैं : 

* 27 मई को ताईवान (जिसे चीन अपना हिस्सा बताता है जबकि ताईवान स्वयं को स्वतंत्र मानता है)की राष्ट्रपति ‘साई इंग वेन’ के शपथ ग्रहण समारोह में 2 भाजपा सांसदों मीनाक्षी लेखी और राहुल कासवान की ‘वर्चुअल मौजूदगी’ और उनका बधाई संदेश दिखाए जाने से भी चीन तिलमिलाया हुआ है। नई दिल्ली में चीनी दूतावास के कौंसलर ‘लियु बिंग’ ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि ‘‘भारतीय प्रतिनिधियों द्वारा ताईवान की राष्ट्रपति को बधाई संदेश देना बेहद गलत था।’’ 

* भारत, अमरीका, जापान और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों सहित 6 देशों की कम्पनियों द्वारा ताईवान को पनडुब्बी बनाने की तकनीक देना भी चीनी नेताओं को नागवार गुजरा है और उन्होंने भारत को चेतावनी भी दी है कि ‘‘इससे इन देशों के साथ चीन के द्विपक्षीय संबंधों को आघात पहुंच सकता है।’’
* ‘कोरोना’ संक्रमण फैलाने के आरोपों के चलते जहां चीन से बड़ी संख्या में विदेशी कम्पनियां दूसरे देशों में जाने की सोच रही हैं, भारत द्वारा उन्हें अपने यहां आमंत्रित करने के प्रयास से भी चीनी शासकों के पेट में मरोड़ उठ रहे हैं। 

* ‘कोरोना’ के कारण भारत में आर्थिक मंदी का लाभ उठाने के उद्देश्य से चीनी कम्पनियां यहां निवेश करना चाहती थीं परंतु भारत सरकार द्वारा चीन से आने वाले निवेश पर सख्ती करने से भी चीनी नेताओं को तकलीफ हो रही है। 
* भारत द्वारा अमरीका, आस्ट्रेलिया और जापान से संबंध जोडऩे तथा अमरीका द्वारा भारत को जी-7 समूह का सदस्य बनाने के प्रयासों से भी चीन नाराज है। उसे डर है कि भारत जी-7 समूह का सदस्य बन कर अमरीका के हितों को आगे बढ़ा सकता है। 

* चीनी नेताओं को भारत सरकार की अमरीका के साथ बढ़ रही नजदीकी भी पच नहीं रही। कुछ समय से लगातार भारत विरोधी टिप्पणियां कर रहे चीनी समाचार पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ के अनुसार,‘‘नरेंद्र मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद चीन के प्रति भारत का नजरिया बदल गया है और भारत सरकार चीन को निशाना बनाने वाली अनेक अमरीकी योजनाओं का हिस्सा बन रही है।’’

* भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा-370 समाप्त करने से चीन प्रसन्न नहीं क्योंकि उसका मानना है कि इससे पाकिस्तान की सम्प्रभुता को खतरा पैदा हो गया है। इसी कारण 50 वर्षों में पहली बार इस वर्ष जनवरी में उसने यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाया था। भारत से नाराजगी के कारण ही वह नेपाल और पाकिस्तान को भी भारत विरोधी गतिविधियों के लिए उकसा रहा है और अब उसने बंगलादेश पर भी डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। उसी के उकसावे पर नेपाल सरकार ने भारत के साथ अनेक विवाद खड़े किए हैं वहीं पाकिस्तान ने भी सीमा पर भारत विरोधी गतिविधियां तेज कर रखी हैं जिससे स्पष्ट है कि अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए चीनी शासक किसी भी हद तक जा सकते हैं।—विजय कुमार 

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