भारत के विरुद्ध चीन का शत्रुतापूर्ण एजैंडा लगातार जारी

Thursday, Jul 02, 2020 - 03:29 AM (IST)

बातचीत द्वारा आपसी मुद्दे सुलझाने की ओट में चीनी शासक लगातार भारत विरोधी चालें चल रहे हैं जो निम्र उदाहरणों से स्पष्ट है :
* हाल ही में चीनी शासकों ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा के निकट भारत के मित्र देश भूटान के वन्य जीव क्षेत्र पर अपना दावा जता दिया है जबकि चीन पहले भी भूटान के 3 क्षेत्रों पर अपना दावा जता चुका है और यह चौथा क्षेत्र है जिस पर इसने दावा जताया है। 

* कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भाजपा सांसद ‘तापिर गाओ’ के बयान का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि ‘‘पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी नदी के दोनों तटों पर मैकमोहन रेखा के कई किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है।’’
* हिमाचल के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने हिमाचल प्रदेश में चीनी ड्रोनों के प्रवेश से निपटने के लिए पर्याप्त प्रबंध करने की जरूरत बताते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से प्रदेश में सुरक्षा घेरा बढ़ाने को कहा है। 
* चीन सरकार की ‘पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी’ की वायुसेना ने अब पाकिस्तान से सटी राजस्थान सीमा के निकट सक्रियता बढ़ा दी है और पी.ओ.के. स्थित एयरबेस पर भी जोर-शोर से युद्धाभ्यास में जुट गई है। उन्होंने पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले गिलगिल -बाल्तिस्तान स्थित स्कर्दू एयरबेस पर लड़ाकू विमान उतार दिए हैं। 

* चीनी सेना ने पैंगोंग झील के ‘फिंगर-4’ और ‘फिंगर-5’ इलाके में जमीन पर अपने देश का बड़ा सा नक्शा उकेर कर झील को विवादित इलाका बताने के साथ ही गलवान, डेपसांग और हाटसिं्प्रग के अच्छे-खासे इलाके पर अपना दावा जताया है तथा 22 जून को पीछे हटने पर सहमति के बावजूद 81 मीटर लम्बे और 25 मीटर चौड़े इलाके में 185 ढांचे खड़े कर दिए हैं।
 * यही नहीं, चीनी सेना ने पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. के साथ मिल कर जम्मू-कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए आतंकी गिरोह ‘अलबद्र’ से बात की है और यह जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ाने तथा ‘बैट आप्रेशन’ को अंजाम देने का प्लान बना रही है। 

इस तरह के घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में भारत के लिए चीन के अतिक्रमणों बारे कठोर स्टैंड लेने की उसी प्रकार आवश्यकता है जिस प्रकार भारतीय सेनाओं ने बालाकोट में कार्रवाई द्वारा अपनी विश्वसनीयता बहाल की है। भारत और चीन दो प्राचीन सभ्यताएं हैं। दोनों ही देशों ने आपसी सहयोग से बहुत कुछ प्राप्त किया है लेकिन दोस्ती में एक-दूसरे से छल की कोई गुंजाइश नहीं होती और चीनी शासकों को यह स्पष्टï कर देने की जरूरत है कि दोस्ती एक-दूसरे का सम्मान करने पर ही टिकती है।—विजय कुमार 

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