नीट प्रश्नपत्र लीक मामले में केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकारें हुईं सख्त

punjabkesari.in Friday, Jun 28, 2024 - 05:14 AM (IST)

इस वर्ष ‘नैशनल टेस्टिंग एजैंसी’ (एन.टी.ए.) द्वारा मैडीकल के विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए 5 मई को ली गई ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा’ नीट यू.जी.-2024 का परिणाम विवादों में है तथा इसके तार अलग-अलग राज्यों से जुड़े हुए हैं। शुरू में बिहार और गुजरात में इसका पेपर लीक होने के आरोप लगे थे परंतु 4 जून को इसके नतीजों में एक ही सैंटर से कई-कई टॉपर निकलने और 67 छात्रों को 720 में से 720 अंक मिलने, ग्रेस माक्र्स देने व पेपर लीक जैसे मुद्दे सामने आने के बाद अब यह मामला अदालत में पहुंच चुका है। उक्त परीक्षा में भ्रष्टाचार का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि सबसे पहले नीट प्रश्रपत्रों के अवैध धंधे में मुख्य संदिग्ध के रूप में गिरफ्तार एक आरोपी ने पुलिस को बताया कि प्रश्नपत्र के लिए उसने 4 उम्मीदवारों से 40-40 लाख रुपए लिए। 

‘नैशनल टेस्टिंग एजैंसी’ (एन.टी.ए.) राष्ट्रीय स्तर की नीट और नैट जैसी 15 भर्ती परीक्षाएं आयोजित करती है। मात्र 9 दिनों में इसे यू.जी.सी. नैट सहित 3 परीक्षाएं रद्द या स्थगित करनी पड़ी हैं तथा इसमें व्याप्त अनियमितताओं को देखते हुए लोगों ने इसे ‘नो ट्रस्ट एजैंसी’ कहना शुरू कर दिया है। प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया है कि,‘‘भाजपा के राज में पेपर लीक होना राष्ट्रीय समस्या बन गया है तथा पिछले 5 वर्षों में 43 भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक होने से अब तक असंख्य युवाओं का भविष्य बर्बाद हुआ है।’’ इस तरह के हालात के बीच 23 जून को प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ को लेकर आलोचना का सामना कर रही केंद्र सरकार ने ‘नैशनल टेस्टिंग एजैंसी’ (एन.टी.ए.) के महानिदेशक सुबोध सिंह को उनके पद से हटा दिया है। 

बिहार एस.आई.टी. की जांच में नीट-यू.जी. की परीक्षा से  पहले कथित रूप से नकली परीक्षा लिए जाने का मामला भी सामने आया है जिसमें 35 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी तथा उन्हें उत्तरों के साथ प्रश्नपत्र दिया गया था। इसके साथ ही नीट-यू.जी. में अनियमितताओं की जांच सी.बी.आई. को सौंपने के अलावा शिक्षा मंत्रालय ने ‘नैशनल टेस्टिंग एजैंसी’ (एन.टी.ए.) के कामकाज की समीक्षा और परीक्षा सुधारों की सिफारिश करने के लिए ‘इसरो’ के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय कमेटी का गठन भी कर दिया है। ऐसे हालात में 23 जून को सी.बी.आई. ने नीट-यू.जी. परीक्षा के आयोजन में कथित अनियमितताओं बारे पहली एफ.आई.आर. दर्ज करके आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है तथा 27 जून को इस सिलसिले में पहली बार 2 लोगों को हिरासत में लिया तथा 6 एफ.आई.आर. दर्ज की हैं। 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी नीट परीक्षा में पाठ्यक्रम से बाहर पूछे जाने वाले प्रश्नों का आरोप लगाने वाली याचिका पर ‘नैशनल टेस्टिंग एजैंसी’ (एन.टी.ए.) से जवाब मांगा है। इस बीच 21 जून को केंद्र सरकार द्वारा पारित पेपर लीक विरोधी ‘लोक परीक्षा कानून-2024’ लागू होने के बाद सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों के इस्तेमाल पर 3 से 5 वर्ष तक कैद व 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने के अलावा ऐसे संगठित अपराध में शामिल लोगों को कैद के अलावा न्यूनतम 1 करोड़ रुपए के जुर्माने का प्रावधान कर दिया गया है। 

परीक्षाओं को निष्पक्ष और लीक रहित बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी कठोर रवैया अपनाते हुए ‘उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा’ (अनुचित साधनों की रोकथाम) अध्यादेश 2024 को मंजूरी दे दी है। इसके अंतर्गत अब 2 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा और एक करोड़ रुपए जुर्माने का प्रावधान कर दिया गया है। नई संसद के प्रथम अधिवेशन में ही पेपर लीक मामले की गूंज सुनाई दी और विपक्ष के कुछ सदस्यों ने नीट परीक्षा में गड़बडिय़ों को लेकर नारे भी लगाए। इस अवसर पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक होने की हालिया घटना की जांच करवाने और दोषियों को सजा दिलाने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है। अत: जितनी जल्दी इस मामले में जांच को अंजाम तक पहुंचाकर इस घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और उनके साथियों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी उतना ही अच्छा होगा।—विजय कुमार 


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