ब्रैग्जिट : ब्रिटेन के गले की हड्डी

Monday, May 27, 2019 - 01:09 AM (IST)

नम आंखों के साथ एक भावुक भाषण देते हुए ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थैरेसा मे ने कंजर्वेटिव नेता के पद से त्यागपत्र देने की घोषणा करते हुए कहा कि वह 7 जून को प्रधानमंत्री कार्यालय छोड़ देंगी जिससे ब्रिटेन के नया प्रधानमंत्री चुनने का रास्ता साफ हो जाएगा। 

10, डाऊनिंग स्ट्रीट में अपने आवास के बाहर खड़ी थैरेसा ने कहा कि उन्होंने ब्रैग्जिट लागू करवाने के लिए तीन बार हरसम्भव प्रयास किए परंतु यह बेहद ‘खेद’ की बात है कि वह सफल नहीं हो सकीं। उन्होंने यह भी कहा कि वह मार्गरेट थैचर के बाद ब्रिटेन की दूसरी महिला प्रधानमंत्री हैं परंतु अंतिम नहीं। वह ब्रैग्जिट की भेंट चढ़ी दूसरी प्रधानमंत्री हैं। पहले डेविड कैमरून थे। हालांकि, थैरेसा ने यूरोपियन यूनियन पार्लियामैंट के साथ समझौते का मसौदा तैयार करने, उसे हाऊस ऑफ कॉमन्स तक लाने तथा असफल होने के बाद फिर से शुरूआत करने में पूर्ण मर्यादा तथा संयम का परिचय दिया। परंतु राजनीति में असफलता के साथ कोई हमदर्दी नहीं होती। अब सारा ध्यान इस बात पर है कि ‘ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा?’

ब्रिटेन के पास दो विकल्प हैं। पहला नए सिरे से चुनाव करवाए जाएं जिसमें कंजर्वेटिव पार्टी अपनी सीटें गंवा सकती है क्योंकि निगेल फराज की ब्रैग्जिट पार्टी टोरी पार्टी की सीटें छीन लेगी। दूसरा विकल्प है कि कंजर्वेटिव पार्टी एक नया नेता चुने। ब्रैग्जिट मुद्दे की शुरूआत करने तथा लम्बे समय से प्रधानमंत्री बनने की चाह रखने वाले बोरिस जॉन्सन को कई लोग प्रधानमंत्री पद का स्वभाविक उत्तराधिकारी मान रहे हैं परंतु दर्जन भर से अधिक सांसद चुनाव लडऩे पर भी गम्भीरता से विमर्श कर रहे हैं। फॉरेन सैक्रेटरी जैरेमी हंट, पूर्व वर्क एंड पैंशन सैक्रेटरी इस्थर मोनी और इंटरनैशनल डिवैल्पमैंट सैक्रेटरी रोजी स्टीवर्ट के साथ ही होम सैक्रेटरी साजिद जावेद भी इनमें शामिल हैं। 

गत एक सदी में 12 प्रधानमंत्री बगैर आम चुनाव जीते सत्ता में आए जिनमें थैरेसा, गोर्डन ब्राऊन, यहां तक कि 1940 में विंस्टन चर्चिल भी शामिल हैं, परंतु इसकी भी एक प्रक्रिया है। 10 जून से शुरू होने वाली लीडरशिप के नामांकन भरने की तिथि एक सप्ताह में समाप्त हो जाएगी। जून के अंत तक सांसद नामांकन भरने वाले उम्मीदवारों में से किन्हीं दो को चुनेंगे। संसद की गर्मियों की छुट्टियों से पहले 1.24 लाख सदस्य वोट करके इनमें से किसी एक का चयन करेंगे। परंतु प्रमुख मुद्दा अभी भी वही है कि ब्रैग्जिट को किस तरह सम्भाला जाएगा। यदि प्रधानमंत्री के रूप में बोरिस जॉन्सन ‘हार्ड ब्रैग्जिट’ यानी किसी भी समझौते के बगैर 31 अक्तूबर तक यूरोपियन यूनियन से अलग होने का आह्वान करते हैं तो वित्त, वाणिज्य, उद्योग तक हर स्तर पर प्रबंधकीय अराजकता फैल जाएगी। 

साथ ही ब्रिटेन की लीडरशिप में बदलाव से ब्रसल्स के विचारों में कोई बदलाव होने वाला नहीं। आयरिश उप प्रधानमंत्री सिमोन कोवनी पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि यूरोपियन यूनियन ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री को किसी बेहतर सौदे की पेशकश नहीं करेगी। यानी थैरेसा के जाने से लीडरशिप का चेहरा तो बदलेगा परंतु लगातार गतिरोध की ओर बढ़ते ब्रिटेन को रोका नहीं जा सकेगा जो शायद दूसरा जनमत संग्रह ही कर सकता है। इसका कोई सुखद नतीजा भले ही न निकले परंतु जैसा कि होम्स का फार्मूला कहता है ‘कभी-कभी जीवन में विकल्पों को खत्म करना ही सर्वोत्तम रहता है।’

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