बायोमैट्रिक हाजिरी के बाद बम्बई म्यूनिसीपल कार्पोरेशन ने 10,000 लेट कर्मियों के वेतन काटे

Sunday, Mar 18, 2018 - 02:46 AM (IST)

सर्वविदित है कि सरकारी विभागों के अनेक कर्मचारी समय पर ड्यूटी पर न पहुंचने के मामले के अलावा काम के घंटों के दौरान फरलो मारते अथवा ड्यूटी का समय समाप्त होने से पहले ही कार्यालय से खिसक जाते हैं। 

इसी को रोकने और कर्मचारियों में समय का पालन यकीनी बनाने के लिए देश में केंद्र सरकार के कार्यालयों में सितम्बर 2014 में बायोमैट्रिक हाजिरी प्रणाली शुरू की गई थी जिसे अनेक राज्य सरकारों द्वारा अपने विभागों में लागू करने के साथ-साथ निजी प्रतिष्ठानों द्वारा भी अपनाया जा रहा है। इसी हाजिरी के आधार पर कर्मचारियों का वेतन बनता है। बायोमैट्रिक हाजिरी प्रणाली के अंतर्गत कर्मचारियों को एक आई.डी. कार्ड दिया जाता है जिसमें उनका पूरा विवरण दर्ज होता है। बायोमैट्रिक मशीन के सामने कार्ड दिखाने या स्वाइप करने से संबंधित कर्मचारी की हाजिरी लगती है और कुछ मशीनों में उंगली या अंगूठे से भी हाजिरी लगाई जाती है। इससे अन्य लाभों के अलावा जहां प्रशासकीय खर्चे में कमी आती है, वहीं कागजी कार्रवाई और धोखाधड़ी की संभावना भी घटती है। 

इस प्रणाली के लागू होने से कर्मचारियों और अधिकारियों की लेटलतीफी, काम के घंटों के दौरान फरलो मारने की प्रवृत्ति और गैर हाजिरी पर भी रोक लग रही है। इन लाभों के कारण जहां संबंधित कर्मचारियों में सतर्कता और जवाबदेही की भावना बढ़ रही है, वहीं कुछ स्थानों पर कर्मचारियों में इसे लेकर ‘रोष’ भी पाया जा रहा है। उदाहरणस्वरूप बृहन्मुम्बई (बम्बई) म्यूनिसीपल कार्पोरेशन (बी.एम.सी.) द्वारा लागू की गई इस प्रणाली के विरुद्ध इसके कर्मचारियों द्वारा भारी नाराजगी व्यक्त की जा रही है। बी.एम.सी. के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार इसका कारण यह है कि अब उनके लिए ड्यूटी पर देर से आना और ड्यूटी समाप्त होने से पहले छुट्टïी करके जाना मुश्किल हो गया है। 

बी.एम.सी. के एक अधिकारी का कहना है कि, ‘‘बायोमैट्रिक प्रणाली से हमें दोषी कर्मचारियों पर गहराई से नजर रखने में सहायता मिली है।’’ हाल ही में एक सर्वे में पता चला कि बी.एम.सी. के एक लाख से अधिक कर्मचारियों में से लगभग 30,000 अपनी ड्यूटी पर देर से पहुंचे। गत वर्ष जो प्रणाली शुरू हुई थी उसने बी.एम.सी. में हाल ही में उस समय बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया जब 10,000 कर्मचारियों के वेतन में इसलिए कटौती कर दी गई क्योंकि इसे बायोमैट्रिक प्रणाली से जोडऩे के बाद उनके काम के घंटे कम पाए गए थे। इसके विरुद्ध कर्मचारियों में रोष व्याप्त हो गया और अनेक नगर निकाय यूनियनों ने प्रदर्शन भी किया। 

उनकी शिकायत थी कि उनके वेतन में कटौती क्यों की गई। इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि, ‘‘अभी तक हमने बहुत नर्म रवैया अपनाया है लेकिन अब दोषी कर्मचारियों में जवाबदेही की भावना का संचार करने का समय आ गया है तथा इस संबंध में कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी। इससे हमें काफी फायदा पहुंच रहा है और पता चल रहा है कि कौन कर्मचारी कार्यालय को पूरा समय दे रहा है या नहीं।’’ कुछ वर्ष पूर्व तक कर्मचारियोंं में मेहनत से काम करने और अपना काम समाप्त करके ही जाने का जो रुझान था वह अब समाप्त हो रहा है और सरकारी विभागों के कर्मचारियों की देखादेखी अब निजी प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों में भी लेट लतीफी तथा सुस्ती का रुझान पैदा होने लगा है। इसे देखते हुए अब अनेक निजी प्रतिष्ठानों ने बायोमैट्रिक प्रणाली अपनाने के अलावा काम के घंटों के दौरान कर्मचारियों के बाहर जाने पर ही रोक लगा दी है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बायोमैट्रिक हाजिरी प्रणाली लागू करवाने से जहां बोगस हाजिरी नहीं लग सकेगी, वहीं इस बात का भी पता चल सकेगा कि किसी भी कर्मचारी ने कार्यालय के अंदर कितना समय बिताया और कितनी छुट्टियों का लाभ उठाया। इससे कर्मचारियों में जवाबदेही की भावना भी पैदा होगी तथा दफ्तरों में वर्षों से धूल फांक रही फाइलों और लंबित पड़े मामलों का भी जल्दी निपटारा होने में मदद मिलेगी जिससे देश के विकास में तेजी आएगी। जिन सरकारी और निजी प्रतिष्ठïानों में यह प्रणाली लागू नहीं है वहां भी इसे शीघ्र लागू करने की आवश्यकता है।—विजय कुमार 

Punjab Kesari

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