‘नोटबंदी’ मामले में लोगों की कठिनाई का मजाक उड़ा रहे कुछ भाजपा नेताओं के ‘पीड़ादायक बयान’

Thursday, Nov 17, 2016 - 01:46 AM (IST)

गत 8 नवम्बर को देर शाम केंद्र सरकार द्वारा देश से काला धन निकलवाने के लिए की गई ‘सर्जिकल स्ट्राइक-2’ के 8 दिनों के बाद भी देश में कोहराम की स्थिति बनी हुई है। लोगों को रोटी तक के लाले पड़ते जा रहे हैं और नई मुद्रा के धीमे वितरण की भारी आलोचना भी हो रही है। 

‘शिवसेना’ नेता उद्धव ठाकरे के अनुसार, ‘‘आम जनता से विश्वासघात कर सरकार जो कदम उठा रही है उसे रोकना ही होगा। यदि सरकार से परेशान व नाराज लोग उसके विरुद्ध सर्जिकल स्ट्राइक शुरू कर दें तो क्या होगा?’’

राहुल गांधी ने कहा है कि ‘‘सरकार द्वारा बिना किसी तैयारी के यह फैसला ले लेने के कारण लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं और नरेंद्र मोदी ने दिखा दिया है कि वह देश के आम लोगों का कितना ध्यान रखते हैं।’’ ममता बनर्जी के अनुसार, ‘‘सरकार के इस पग ने लोगों को भिखारी बना दिया है।’’  

अभी तक पुराने नोटों को बदलवाने के प्रयास में देश भर में कम से कम 25 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि अनेक स्थानों पर नोट बदलवाने के लिए बैंकों में आ रहे लोगों को अपराधी तत्वों ने लूटा है। 

बैंक से रुपए निकलवाने में असफल रहने पर 13 नवम्बर को रायगढ़ में एक किसान ने और 14 नवम्बर को अनूपशहर में 12वीं कक्षा के एक छात्र ने आत्महत्या कर ली। वैध नोटों के न होने के चलते मुरादाबाद के अस्पताल में दवा न मिलने और मेरठ में बैंक के बाहर कतार में खड़े वृद्ध की धक्कामुक्की के चलते हालत बिगडऩे से मौत हो गई। 

बेटी की शादी के लिए वैध करंसी जुटाने में असफल रहने और बैंक से पैसे न मिलने की परेशानी के कारण तरनतारन के गांव कल्ला में एक व्यक्ति की तथा 15 नवम्बर को रतलाम जिले में नोट बदलवाने के लिए बैंक  के बाहर खड़े युवक की दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गई।

हालांकि सरकार ने आपातकालीन सेवाओं में पुराने नोट स्वीकार करना जारी रखने संबंधी ऐलान किए हैं परंतु सभी सरकारी विभाग इन आदेशों का पालन नहीं कर रहे। पंजाब में अनेक स्थानों पर किसानों ने पी.एस.पी.सी.एल. द्वारा पुराने नोट स्वीकार न करने की शिकायतें की हैं।

किसानों की फसल के खरीदारों में कमी के चलते किसानों के पास अगली फसल के लिए बीज खरीदने तक के पैसे न रहने के कारण उन्हें भारी परेशानी हो रही है। भारत की सबसे बड़ी प्याज की मंडियों ‘लासल गांव’ और ‘पिपला गांव’ में प्याज की खरीद बंद होने से देश में एक बार फिर प्याज की किल्लत हो जाने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है। 

इस तरह के माहौल में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के इस अभियान में विपक्ष से सहयोग की याचना की है वहीं भाजपा के चंद शीर्ष नेता इस संबंध में चुभने वाली बयानबाजी करके लोगों के घावों पर नमक छिड़क रहे हैं।

इसकी एक घिनौनी मिसाल भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुधे ने 14 नवम्बर को भोपाल में यह कह कर पेश की कि :

* ‘‘लोगों का (बैंक) लाइन में लग कर मरना ये सिर्फ हादसे ही हैं। कई लोग राशन की कतार में भी इंतजार करते-करते मर जाते हैं।’’ 

भाजपा के एक अन्य राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर को भी जनता की परेशानी बनावटी लग रही है तथा उन्होंने भी इसी दिन आगरा में कहा : 

* ‘‘जनता इस फैसले में प्रधानमंत्री के साथ है परंतु कालाबाजारी तथा टैक्स चोरी करने वालों को ही परेशानी हो रही है। लाइन में लगने वाली मौतों का भ्रम फैलाया जा रहा है और एक-दो घटनाएं ही हुई हैं।’’ 

बेशक अब सरकार ने नोट बदलवाने के लिए बैंकों में लगने वाली लम्बी कतारों से निपटने तथा बैंकों में एक ही व्यक्ति को बार-बार कतार में लगने से रोकने के लिए नोट बदलवाने आने वाले लोगों के नाखून पर मतदान के समय स्याही लगाने की प्रक्रिया अपनाने का निर्णय किया है परंतु यह उपाय कितना सफल होगा अभी कहना कठिन है।

चुनाव आयोग ने सरकार को सावधान करते हुए कहा है कि शीघ्र ही होने जा रहे पांच राज्यों के चुनाव को भी ध्यान में रखा जाए क्योंकि वहां जाली मतदान रोकने के लिए यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

लोगों को हो रही असुविधा के लिए प्रधानमंत्री द्वारा सहयोग की याचना करना जितना स्वागतयोग्य है उतने ही निंदनीय भाजपा के 2 राष्ट्रीय उपाध्यक्षों के बयान हैं। अत: भाजपा सरकार को नोटबंदी से उत्पन्न समस्याएं दूर करने के लिए फौरी पग उठाने तथा अपनी ही पार्टी के ऐसे नेताओं की जुबान को लगाम लगाने की भी उतनी ही जरूरत है।     
 

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