कश्मीर-अनुच्छेद 370 व 35 ए समाप्त करने की भाजपा की ऐतिहासिक घोषणा

Tuesday, Aug 06, 2019 - 01:46 AM (IST)

अंतत: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के सभी आपत्तिजनक प्रावधानों और 35 (ए) को समाप्त करने के साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित क्षेत्र बनाने की चिरप्रतीक्षित घोषणा कर दी है। 

जम्मू-कश्मीर में पिछले एक पखवाड़े के राजनीतिक घटनाक्रम और सुरक्षा बलों की तैनाती में वृद्धि, अचानक 2 अगस्त को अमरनाथ यात्रा रद्द करने और श्रद्धालुओं व घाटी में मौजूद पर्यटकों को यथाशीघ्र वापस लौट जाने की प्रदेश सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी से ही यह अनुमान लगाया जाने लगा था कि केंद्र सरकार यहां कोई बड़ा कदम उठाने वाली है। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह, गृह सचिव राजीव गौबा व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल में मंत्रणा हुई और 4-5 अगस्त रात को 2 पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी तथा 5 अगस्त सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक घंटे लम्बी चली कैबिनेट की बैठक के बाद अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर बारे पार्टी का संकल्प घोषित कर दिया। 

उन्होंने जम्मूृ-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा और विशेषाधिकार देने वाला संविधान का अनुच्छेद 370 समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटने व जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के अलग-अलग लैफ्टिनैंट गवर्नर नियुक्त करने का संकल्प राज्यसभा में पेश किया। अनुच्छेद 370 के अंतर्गत ही 26 जनवरी, 1957 को जम्मू-कश्मीर का विशेष संविधान लागू किया गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी संविधान के अनुच्छेद-370 के खंड-1 के अंतर्गत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए अनुच्छेद 35 (ए) को तुरंत प्रभाव से समाप्त कर दिया। अनुच्छेद-35 (ए) राज्य के लोगों की पहचान और उनके विशेष अधिकारों से संबंधित है। अब राज्यसभा में पारित हो जाने के बाद इसके कानून बनने में कोई दिक्कत नहीं होगी। 

अब जम्मू-कश्मीर भी भारत के अन्य राज्यों की तरह एक सामान्य राज्य हो जाएगा तथा देश के सब कानून वहां लागू होंगे जबकि इससे पहले भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में 3 क्षेत्रों रक्षा, विदेशी मामले और संचार के सिवा अन्य मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती थी। वहां कोई कानून लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की स्वीकृति की जरूरत पड़ती थी। राष्ट्रपति के पास राज्य का संविधान बर्खास्त करने का अधिकार भी नहीं था। यहां बाहर के लोग जमीन भी नहीं खरीद सकते थे। कश्मीरी महिलाओं के भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर लेने पर उनकी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता समाप्त हो जाती थी। 

जम्मू-कश्मीर का झंडा अलग होने के अलावा वहां भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं था। इसी प्रकार अनुच्छेद 35-ए द्वारा जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य में स्थायी नागरिकों की व्याख्या करने का अधिकार प्राप्त था। जहां तक जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का सम्बन्ध है, अमित शाह के अनुसार लद्दाख के लोग लम्बे समय से इसे केंद्र शासित राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे थे ताकि यहां रहने वाले लोग अपने लक्ष्य प्राप्त कर सकें। अब लद्दाख को केंद्र शासित राज्य का दर्जा दे दिया गया है लेकिन वहां विधानसभा नहीं होगी। 

राज्यसभा में कांग्रेस, टी.एम.सी. और द्रमुक सांसदों ने इस घोषणा पर सदन में भारी हंगामा किया। पी.डी.पी. सांसद तो कपड़े फाड़ कर सदन में बैठ गए। पी.डी.पी. के 2 सदस्यों ने संविधान की प्रति फाड़ने का प्रयास भी किया। जहां भाजपा की सहयोगी जद (यू) ने उक्त फैसले का विरोध किया वहीं भाजपा की विरोधी बसपा ने अनुच्छेद 370 समाप्त करने का समर्थन किया है। महबूबा मुफ्ती ने सोमवार के दिन को ‘काला दिन’  करार दिया तथा गुलाम नबी आजाद ने कहा कि,‘‘भाजपा ने संविधान की हत्या की है।’’ 

उल्लेखनीय है कि धारा 370 हटाकर सरकार ने न सिर्फ लोगों की 7 दशक पुरानी मांग को पूरा कर दिया है बल्कि धारा-370 हटाने के लिए आंदोलन चलाने और 1953 में अपना बलिदान देने वाले जनसंघ के संस्थापक डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी तथा अन्य अनेक बलिदानियों का सपना भी साकार कर दिया है। निश्चय ही जम्मू-कश्मीर में 70 वर्षों से अधिक समय से लटकते आ रहे महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेकर व जम्मू-कश्मीर के साथ भारत की अखंडता को कमजोर करने वाले अनुच्छेद हटाकर केंद्र की भाजपा सरकार ने जम्मू-कश्मीर को अन्य राज्यों के बराबर लाने का सराहनीय कार्य किया है। अब जरूरत इन संकल्पों पर अडिग रह कर इन्हें जल्दी से जल्दी लागू करने की है। देर आयद, दुरुस्त आयद।—विजय कुमार 

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