असम सरकार द्वारा बड़ी प्लास्टिक बोतलों से पानी की बर्बादी होगी और प्लास्टिक भी ज्यादा लगेगा

Sunday, Aug 13, 2023 - 04:54 AM (IST)

प्लास्टिक आज हमारे दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। करंसी नोटों से लेकर कम्प्यूटर तक, तेल, घी, कोल्ड ड्रिंक्स तथा पानी तक, पैकेजिंग सामग्री, फर्नीचर, इलैक्ट्रानिक उपकरणों तक हर चीज के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है, परंतु इसकी कुछ हानियां भी हैं। प्लास्टिक का कचरा पर्यावरण तथा लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर संकट बन गया है। इसके नष्ट न होने, इसकी रीसाइक्लिंग की कोई प्रभावी व्यवस्था न होने और रीसाइक्लिंग प्रक्रिया द्वारा भी प्रदूषण बढऩे के कारण पर्यावरण को भारी नुक्सान पहुंचता है। 

प्लास्टिक की इन्हीं हानियों के दृष्टिगत पूर्व भाजपा सांसद श्री अविनाश राय खन्ना ने 2005-06 में ‘शताब्दी’ रेलगाडिय़ों में दी जाने वाली पानी की एक लिटर वाली बोतल की बजाय छोटी बोतल देने के लिए तत्कालीन रेल मंत्री पवन कुमार बंसल (कांग्रेस) व जल संसाधन मंत्री आदि को लिखना शुरू किया था। 8 वर्ष के प्रयासों के बाद उन्हें 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार के सत्तारूढ़ होने पर सफलता मिली तथा अब ‘शताब्दी’ व अन्य रेलगाडिय़ों में पानी की छोटी बोतल ही दी जाती हैं ताकि प्लास्टिक का इस्तेमाल कम हो और पानी की बर्बादी भी न हो। श्री खन्ना के अनुसार ‘वंदे भारत’ रेलगाड़ियों में अभी भी पानी की एक लिटर वाली ही बोतल दी जा रही है तथा वह इन गाडिय़ों में भी छोटी बोतल ही देने के लिए अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं। 

दूसरी ओर, हाल ही में असम सरकार ने एक लिटर से कम वाली पानी की बोतलों पर 2 अक्तूबर से पाबंदी लगाने का फैसला किया है, जो प्लास्टिक कचरे से होने वाली हानियों के कारण उचित नहीं है। हर जगह बड़ी बोतल ले जाना असुविधाजनक होने के अलावा पूरा पानी पीना भी संभव नहीं होता। अत: बड़ी बोतल से जहां पानी की बर्बादी होगी और प्लास्टिक भी अधिक लगेगा, वहीं छोटी बोतल से पानी की बचत होगी और प्लास्टिक भी कम लगेगा। अत: असम सरकार को अपने इस फैसले पर पुनॢवचार करके छोटी बोतलों में पानी की बिक्री जारी रखनी चाहिए। रेल मंत्रालय को भी अन्य रेलगाडिय़ों की भांति वंदे भारत गाडिय़ों में एक लिटर पानी वाली बोतल के स्थान पर छोटी बोतलें ही देनी चाहिएं।—विजय कुमार   

Advertising