आगजनी, बम धमाकों और हिंसा के साए में हुए बंगाल के पंचायत चुनाव

Tuesday, May 15, 2018 - 03:01 AM (IST)

बंगाल में 1, 3 व 5 मई को पंचायत चुनाव होने थे परंतु नामांकन प्रक्रिया के दौरान तृणमूल कांग्रेस के वर्करों की ओर से बड़े पैमाने पर हिंसा के चलते विरोधी दलों ने कलकत्ता हाईकोर्ट की शरण ली जिसने 23 अप्रैल को नामांकन शुरू करने तथा 14 मई को एक ही दिन मतदान करवाने का निर्देश दिया। 

नामांकन शुरू होते ही राज्य भर से तृणमूल कांग्रेस, भाजपा व वामदलों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने शुरू कर दिए। इसके साथ ही सभी दलों में बड़े पैमाने पर हिंसा की खबरें आने लगीं तथा चुनावों से पूर्व हुई हिंसा, बमों द्वारा हमलों और आगजनी के चलते 16 लोग मारे गए। इसे देखते हुए 14 मई को मतदान के दिन राज्य में लगभग 71,500 सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया परंतु इसके बावजूद इन चुनावों में लगभग एक दर्जन जिलों में बड़े पैमाने पर हिंसा, विभिन्न बम धमाकों तथा विभिन्न गुटों के बीच झड़पों में कम से कम 13 लोगों की मौत और दर्जनों लोग घायल हो गए। चुनावी हिंसा में 5 पत्रकार भी घायल हुए।

कई जगह तृणमूल कांग्रेस के वर्करों द्वारा बूथ कैप्चरिंग, मतदाताओं को धमकाने, मतदान से रोकने, बैलेट पेपर इधर-उधर करने, मतपेटियों को आग लगाने और उनमें पानी डालने की शिकायतें भी मिली हैं। अनेक मतदान केंद्रों पर हथियार और लाठियां लिए नकाबपोशों को मतदाताओं को धमकाते हुए देखा गया। कई जगह झड़पों के बाद पुलिस ने भीड़ को खदेडऩे के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। उत्तरी 24 परगना के पांचपोटा में बम धमाके में एक माकपा वर्कर की मृत्यु हो गई, अमडंगा के कुलताली में तृणमूल कांग्रेस तथा मुर्शिदाबाद में भाजपा कार्यकत्र्ता मारे गए। नादिया जिले में तृणमूल कांग्रेस से जुड़े एक छात्र  ने 2 अन्य कार्यकत्र्ताओं के साथ मिल कर मतदान केंद्र पर कब्जा करने की कोशिश की जिस पर लोगों ने उसे पीट-पीट कर मार डाला। 

ममता सरकार में मंत्री रविंद्र नाथ घोष ने एक भाजपा समर्थक को थप्पड़ जड़ दिया जबकि एक भाजपा उम्मीदवार पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकत्र्ताओं ने चाकू से हमला करके तथा एक भाजपा कार्यकत्र्ता को गोली मार कर गंभीर रूप से घायल किया था। कुछ स्थानों पर मीडिया पर हमले किए गए तथा उनके वाहनों को आग लगाने के अलावा उनके कैमरे भी तोड़ दिए गए। मिदनापुर व नादिया जिलों में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकत्र्ताओं ने मतदान में बाधा डाली। मुर्शिदाबाद में भाजपा और तृणमूल कार्यकत्र्ताओं के विवाद में बैलेट पेपर तालाब में फैंक दिए गए। 

विपक्षी दलों का आरोप है कि इन चुनावों के दौरान हिंसा के नए कीर्तिमान स्थापित हुए हैं तथा तृणमूल कांग्रेस के कथित बाहुबलियों ने विपक्षी उम्मीदवारों को नामांकन पत्र ही दायर नहीं करने दिए। यह भी उल्लेखनीय है कि 14 मई को हुए मतदान से पूर्व कुल 58,692 सीटों में से 20,076 अर्थात 34.4 प्रतिशत से अधिक सीटों पर पहले ही तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए जो एक रिकार्ड है। इसी कारण तृणमूल कांग्रेस के साथ ही भाजपा, माकपा तथा कांग्रेस ने इन चुनावों में विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

चूंकि बंगाल में ग्रामीण क्षेत्र की सीटों को ही सत्ता की कुंजी माना जाता है अत: सभी राजनीतिक दल इन चुनावों को लोकसभा चुनावों से पहले अपने शक्ति परीक्षण के पैमाने के रूप में देख रहे हैं। इन चुनावों का परिणाम तो चाहे जो भी हो, चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से लेकर मतदान सम्पन्न होने तक 2 दर्जन से अधिक लोगों की मौत से स्पष्टï है कि चुनावों में हिंसा और बल प्रयोग का रुझान किस कदर बढ़ता जा रहा है। ये दोनों बुराइयां चुनावों के लगातार बिगड़ रहे स्वरूप, सभी प्रतिद्वंद्वी दलों में बढ़ रही सत्ता लिप्सा और सिद्धांतहीनता की ओर ही इशारा करती हैं जिसे किसी भी रूप में उचित नहीं कहा जा सकता।—विजय कुमार 

Pardeep

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