‘गले की फांस’ बनने लगे ‘2000 रुपए के नए नोट’

Friday, Feb 24, 2017 - 11:30 PM (IST)

जाली करंसी और काले धन पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 8 नवम्ंबर, 2016 को 500 तथा 1000 रुपए वाले पुराने नोट रद्द करके लागू की गई ‘नोटबंदी’ की पीड़ा लोग अभी तक झेल रहे हैं। 

सरकार के ये दावे भी अब झूठे पड़ रहे हैं कि 500 और 2000 रुपए के नए नोटों की नकल करना आसान नहीं होगा। बाजार में नई नकली करंसी आनी शुरू हो चुकी है जिसमें अधिक संख्या नए 2000 रुपए के नोटों की ही है। अब तो सरकारी एजैंसियां भी स्वीकार करने लगी हैं कि पहले शायद ही कभी इस तरह लगातार देश के ओर-छोर में इतनी बड़ी मात्रा में नकली करंसी की बरामदगी हुई हो। निम्र में चंद उदाहरण दर्ज हैं :

10 फरवरी को साइबराबाद (हैदराबाद) में 2000 रुपए के नकली नए नोटों के रूप में 34.86 लाख रुपए जब्त किए गए।18 फरवरी को जम्मू के सिंबल कैम्प से 2000 रुपए और 500 रुपए के नकली नए नोटों के रूप में 3.9 लाख रुपए पकड़े गए। 20 फरवरी को बंगाल के मालदा में 96,000 रुपए मूल्य के 2000 रुपए के नकली नोट जब्त किए गए। 23 फरवरी को दक्षिण दिल्ली में स्टेट बैंक के ए.टी.एम. में कैश लोड करने वाले कर्मचारी को उक्त ए.टी.एम. में 2000-2000 रुपए वाले 5 असली नोटों को चूर्ण पत्ती वाले नोटों से बदलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

उल्लेखनीय है कि गत 6 फरवरी को जब एक व्यक्ति ने 8000 रुपए निकालने के लिए उक्त ए.टी.एम. का इस्तेमाल किया तो उसमें से असली नोटों के स्थान पर उनसे मिलते जुलते 4 ‘चूर्ण पत्ती’ वाले नोट निकले थे जिस पर उसने उच्चाधिकारियों से इस संबंध में शिकायत की थी। 23 फरवरी को लुधियाना में एक खाताधारी के अनुसार उसने एक राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा से फार्म भर कर 4000 रुपए निकलवाए। बैंक कर्मचारी ने उसे पासबुक में रख कर 2000-2000 रुपए के जो दो नोट दिए वे नकली निकले और उन पर ‘चिल्ड्रन बैंक आफ इंडिया’ लिखा हुआ था। 

नकली नोटों की लगातार बरामदगी व ए.टी.एम. से ‘चूर्ण पत्ती’ वाला नोट निकलने से मची खलबली के बीच अधिकारियों ने इस घटना को ‘अत्यंत विरल’ बताते हुए इसके पीछे किसी की शरारत का अंदेशा व्यक्त किया है। हालांकि सरकार बैंकों में लेन-देन से पूर्व नकली नोटों को पकडऩा सुनिश्चित करने वाली कैश ‘रीसाइकिल मशीनें’ लगाने की योजना पर आगे बढ़ रही है परंतु इन घटनाओं से सिद्ध हो गया है कि नकली करंसी के धंधेबाज कितना आगे बढ़ चुके हैं। इसी को देखते हुए जानकारों ने 2000 रुपए का नया नोट जारी करने के सरकारी निर्णय के औचित्य पर प्रश्र चिन्ह लगाते हुए कहा है कि ‘‘यह लाभदायक की बजाय हानिकारक ही सिद्ध होगा तथा नकली करंसी के व्यापारियों के लिए कम मेहनत और कम खर्च करके अधिक रकम की नकली करंसी बाजार में उतारना आसान हो गया है।’’

बड़ी रकमें ले जाने वाले नशों व अवैध हथियारों के व्यापारियों, तस्करों आदि के लिए बड़े मूल्य के नोट ले जाना आसान होता है। अत: विश्व भर में नकली करंसी निर्माता बड़ी रकम के नोट बनाने को ही अधिमान देते हैं। ऐसी जटिल परिस्थिति में देश में ‘कैश लैस’ प्रणाली भी एक विकल्प हो सकती है जो अभी दूर की कौड़ी लाने जैसा ही प्रतीत होता है। इसीलिए नकली मुद्रा का प्रचलन रोकने के लिए ठोस पग उठाना और सरकारी मशीनरी को चुस्त-दुरुस्त करना जरूरी है। साथ ही ए.टी.एम्स के कैश लोडरों पर ध्यान रखना तथा करंसी के सुरक्षा फीचर्स की ओर विशेष ध्यान देने की भी आवश्यकता है जिनमें पिछले काफी समय से बदलाव नहीं किया गया है ताकि नई करंसी की नकल की संभावना को न्यूनतम किया जा सके। —विजय कुमार 

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