भविष्य में होने वाले चुनावों को प्रभावित कर सकती है ‘आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस’

Monday, Oct 09, 2023 - 04:50 AM (IST)

वर्ष 2024 को लोकतंत्र का वर्ष करार दिया जा रहा है क्योंकि इस वर्ष भारत के अलावा विश्व के आधा दर्जन से अधिक देशों अमरीका, इंगलैंड, ब्राजील, इंडोनेशिया, ताइवान और मैक्सिको में चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों में लगभग 4 अरब लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और यदि डेढ़ वर्ष का हिसाब लगाएं तो 8 देशों में चुनाव होने वाले हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी देश हैं जिनमें लोकतंत्र का क्षरण हो रहा है। इस लिहाज से वर्ष 2024 काफी कुछ नया लाने वाला है।

‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ अर्थात ‘आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस’ इन चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी जिसके कारण चुनावों में गड़बड़ हो सकती है। पहले रूस चुनावों में हस्तक्षेप करता था तो 20-40 लोग मिल कर एक वीडियो बनाते थे परंतु अब एक अकेला व्यक्ति ही ऐसे वीडियो बना सकता है जिसके द्वारा किसी दूसरे की आवाज की नकल करने के अलावा सारे कंटैंट की नकल करके कुछ भी बोगस बना कर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर डाल कर खेल को पलटा जा सकता है।

कुछ समय पहले तक तो सभी सरकारें इस बारे नियम बनाने की बात कह रही थीं परंतु अब ट्विटर (एक्स) के मालिक एलन मस्क ने किसी भी प्रकार के नियम और मापदंड लागू करने से इन्कार कर दिया है जबकि अन्य वैबसाइटें भी इस मामले में कोई नीति लागू करने के लिए तैयार नहीं हैं जिससे यह बताया जा सके कि कौन सा वीडियो सच्चा और कौन सा झूठा है। ऐसे में लोगों को कैसे पता चलेगा कि जो प्रचार किया जा रहा है उसकी वास्तविकता क्या हैै।

इस प्रकार चुनावों में आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस का इस्तेमाल करके अनेक रूपों में चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की जा सकती है। अत: इसे रोकने के लिए सभी पक्षों द्वारा जरूरी कदम उठाने चाहिएं ताकि आर्टीफिशियल इंटैलीजैंस को निष्पक्ष चुनावों को प्रभावित करने से रोक कर लोकतंत्र की पवित्रता को बचाया जा सके। 

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