भाजपा का ‘आप्रेशन नेता हाईजैक’

Monday, Jul 20, 2015 - 01:17 AM (IST)

चुनावों में प्रचंड सफलता प्राप्त करके 26 मई, 2014 को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनाने से बहुत पहले ही भाजपा ने अपने कुशल रणनीतिकारों के मार्गदर्शन में कांग्रेस से संबंध रखने वाले कद्दावर नेताओं को ‘हाईजैक’ करने का सिलसिला शुरू कर दिया था। 

गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले देश विभाजन के पश्चात 500 से अधिक देशी रियासतों का भारत में विलय करवाने वाले महान कांग्रेसी नेता लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को चुना। 
 
नरेंद्र मोदी ने 2013 में ही सरदार पटेल की स्मृति में वड़ोदरा में 182 मीटर ऊंची लौह प्रतिमा लगाने की योजना की घोषणा करके जोर-शोर से इसके लिए काम शुरू कर दिया था जो विश्व में सबसे ऊंची लौह प्रतिमा होगी।
 
इसी सिलसिले में 15 दिसम्बर, 2013 को देश में 565 स्थानों पर ‘रन फार यूनिटी’ नाम से दौड़ का आयोजन करके देश के हजारों गांवों से इस प्रतिमा के निर्माण के लिए लोहा व मिट्टी इकठ्ठी करने का अभियान शुरू किया। 
 
प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नरेंद्र मोदी ने पिछली कांग्रेस सरकार के ‘निर्मल भारत अभियान’ को ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का नाम देकर राष्टपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन पर 2 अक्तूबर, 2014 को स्वच्छता अभियान शुरू किया। अभी तक मोदी सरकार इसके प्रचार पर 94 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है और 5 वर्षों में 2 लाख करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है। 
 
सरदार पटेल और गांधी जी के बाद भाजपा ने भारतीय संविधान के निर्माता और गरीबों तथा दलितों के मसीहा बाबा साहब भीम राव अम्बेदकर को चुना, इसी रणनीति के अंतर्गत भाजपा ने 14 अप्रैल को अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया तथा नरेंद्र मोदी व भाजपा के अन्य नेता सोशल मीडिया पर अम्बेदकर जयंती की शुभकामनाएं देते नजर आए। इन नेताओं ने यह भी दावा किया कि संघ तो हमेशा बाबा साहब के आदर्शों पर चलता आया है।
 
सरदार पटेल, महात्मा गांधी और बाबा साहब भीम राव अम्बेदकर के बाद भाजपा ने महान कांग्रेसी नेता, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस में ‘किंग मेकर’ के नाम से मशहूर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के. कामराज की विरासत पर कब्जा करने और उनकी ओट में तमिलनाडु में प्रभाव बढ़ाने की अपनी योजना के अंतर्गत 15 जुलाई को कामराज की 113वीं जयंती पर उनके जन्म स्थान विरुध नगर में एक समारोह का आयोजन किया। 
 
इस समारोह में पूर्व भाजपाध्यक्ष एम. वैंकेया नायडू ने अपने भाषण से स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी कामराज की विरासत को गले लगाने के लिए कितनी बेचैन हैे।
 
दूसरों की विरासत हथियाने की नवीनतम कड़ी में भाजपा ने जम्मू-कश्मीर की राजनीति के पुरोधा तथा वरिष्ठ कांग्रेसी पंडित गिरधारी लाल डोगरा को चुना और नरेंद्र मोदी ने 17 जुलाई को जम्मू में स्व. गिरधारी लाल डोगरा के जन्म शताब्दी समारोह में भाषण करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अॢपत की। 
 
मोदी ने कहा कि ‘‘विचारधारा कोई भी हो स्वतंत्रता सेनानियों तथा देश के लिए काम करने वालों का सम्मान होना चाहिए क्योंकि चाहे ये किसी भी राज्य और पार्टी के हों, देश के सांझे होते हैं।’’  यह यकीनन एक सराहनीय विचार है। 
 
जम्मूृ-कश्मीर के वित्त मंत्री के रूप में 26 बार बजट प्रस्तुत करने वाले पं. डोगरा को इंदिरा गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष के पद की पेशकश की थी परंतु उन्होंने इस पद को ठुकरा कर बलराम जाखड़ का नाम आगे बढ़ा दिया था। उनके इस पग से श्रीमती इंदिरा गांधी अत्यधिक प्रभावित हुईं। उल्लेखनीय है कि स्व. डोगरा नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री श्री अरुण जेतली के ससुर हैं जो कि मंच पर ही उपस्थित थे।
 
विडम्बना ही है कि एक ओर तो भाजपा ने अपने वरिष्ठï नेताओं लाल कृष्ण अडवानी आदि को ‘मार्गदर्शक मंडल’ में शामिल करने के बहाने हाशिए पर डाल रखा है तथा दूसरी ओर अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए यह दूसरे दलों के नेताओं को हाईजैक कर रही है। 
 
इसी कारण राजनीतिक क्षेत्रों में कहा जा रहा है कि यदि भाजपा अपनी धर्म निरपेक्षता की नीति के अंतर्गत ऐसा कर रही है तब तो ठीक है परंतु क्या उक्त नेताओं की भांति ही भाजपा नेतृत्व मुस्लिम, ईसाई और अन्य समुदायों के नेताओं जैसे कि मौलाना आजाद, जाकिर हुसैन, मो. अशफाक-उल्ला-खान, खुदा बख्श, 1900 के पूर्वाद्र्ध में राष्ट्रीय आंदोलन को दिशा देने वाले बंगाली ईसाई काली चरण बनर्जी या भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल यात्रा करने वाले ‘यंग इंडिया’ के सम्पादक जे.सी. कुमारप्पा (मूल नाम जॉन जेसुदासन कार्नेलियस) आदि को भी अपना कर अपनी ‘धर्म निरपेक्षता’ की सूची में डालेगा?
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