उत्तर प्रदेश सरकार को कौन चला रहा है

Thursday, Jul 16, 2015 - 12:43 AM (IST)

सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव के 2012 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से लोगों को आशा बंधी थी कि उन्हें बसपा सरकार के कुशासन से मुक्ति मिलेगी परंतु हुआ इसके विपरीत। प्रदेश में सपा के लोगों द्वारा भी बसपा के शासन जैसी ही दबंगई की जा रही है और अपने रास्ते की हर बाधा को हटाया जा रहा है। 

इसकी शुरूआत गौतमबुद्ध नगर में सक्रिय रेत माफिया के विरुद्ध अभियान चलाने वाली आई.ए.एस. अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के 28 जुलाई, 2013 को निलम्बन से हुई जिसके लिए प्रदेश सरकार की भारी आलोचना हुई थी परंतु विरोधियों की जुबानबंदी का सिलसिला फिर भी जारी है।
 
प्रदेश में पत्रकारों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले डेढ़ महीने में ही कम से कम 3 पत्रकारों पर हमला हो चुका है। पहला हमला शाहजहांपुर में 1 जून को जगेंद्र सिंह पर अखिलेश सरकार के एक मंत्री राममूर्ति वर्मा की कथित शह पर हुआ जिसे आग लगा कर जला दिया गया और 8 जून को उसकी मृत्यु हो गई। दूसरा हमला कानपुर में दीपक मिश्रा पर और तीसरा पीलीभीत में पत्रकार हैदर खान पर हुआ जिसे मोटरसाइकिल से बांध कर घसीटा गया।
 
7 जुलाई को बाराबंकी के कोठी केसरगंज थाने में थानाध्यक्ष राय साहिब यादव व दारोगा अखिलेश राय ने एक पत्रकार की मां का रेप करने में नाकाम रहने पर उसे जला कर मार डाला। यही नहीं, पुलिस वालों ने महिला से 10,000 रुपए, उसकी सोने की अंगूठी और चेन भी छीन ली। 
 
12 जुलाई को आगरा में कुछ सपा वर्कर पहले तो एक शराब घर में शराब पीकर टल्ली हो गए, फिर कर्मचारियों द्वारा पैसे मांगने पर उनकी जम कर पिटाई की और उनमें से एक का अपहरण करके अपने साथ ले गए। इसी दिन कुछ सपा वालों ने एक टोल प्लाजा पर भी झगड़ा किया। 
 
 यही नहीं, मुलायम सिंह के विरुद्ध 10 जुलाई को उसे धमकाने की शिकायत दर्ज करवाने वाले उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक (नागरिक सुरक्षा) अमिताभ ठाकुर को 13 जुलाई को अनुशासनहीनता, शासन विरोधी दृष्टिकोण अपनाने, हाईकोर्ट के निर्देशों की अनदेखी करने तथा राष्टपिता महात्मा गांधी के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में निलम्बित कर दिया गया परंतु कहा जा रहा है कि सारा मामला अवैध खनन से जुड़ा हुआ है।  
 
इसी दिन ठाकुर के विरुद्ध एक महिला ने बलात्कार की शिकायत भी दर्ज करवा दी जिसे ठाकुर ने सपा सुप्रीमो का ‘रिटर्न गिफ्ट’ करार दिया है। इस मामले में उनकी पत्नी नूतन ठाकुर को सह-अभियुक्त बनाया गया है। 
 
महिला शिकायतकत्र्ता का कहना है कि  गत वर्ष 31 दिसम्बर रात को वह अपने पति के साथ नौकरी के सिलसिले में इनके घर गई थी। नूतन ने उसे अपने पति के कमरे में भेजा था जहां ठाकुर ने उससे बलात्कार किया।
 
एक ओर प्रदेश सरकार ठाकुर को गिरफ्तार करने का आधार तैयार कर रही बताई जाती है तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के ही एक अन्य आई.ए.एस. अधिकारी विजय शंकर पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके प्रदेश सरकार पर ईमानदार अधिकारियों को परेशान करने का आरोप लगाया है। पांडे के अनुसार उन्हें अखिलेश यादव सरकार के गलत कार्यों के विरुद्ध याचिका दायर करने के बदले में परेशान किया जा रहा है।
 
इस सारे घटनाक्रम ने यह प्रश्र उत्पन्न कर दिया है कि प्रदेश में ला-कानूनी तथा सपा कार्यकत्र्ताओं और नेताओं की दबंगई  के पीछे किसका हाथ है, ईमानदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई  के पीछे कौन-सी ताकतें काम कर रही हैं और अखिलेश सरकार को कौन चला रहा है? 
 
क्या शासन की बागडोर वास्तव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ही हाथ में है या इसमें मुलायम सिंह यादव अथवा उनके चाचा और ताऊ राम गोपाल यादव, शिवपाल यादव अथवा मामा प्रमोद कुमार गुप्ता (मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के भाई) का बड़ा हाथ है? या सपा ने अपने किसी विरोधी को उठने न देने की नीति ही बना ली है? इसके साथ ही कुछ का कहना है कि शुरू से ही शासन की बागडोर मुलायम के हाथ आ गई थी। 
 
जो भी हो, अब जबकि प्रदेश में चुनाव बहुत दूर नहीं हैं, यदि यही सिलसिला जारी रहा तो अगले चुनावों में सपा को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। आज प्रदेश की सपा सरकार से प्रदेश के लोग उसी तरह दुखी हैं जिस तरह पिछली बसपा सरकार से दुखी थे। ऐसे में मुलायम सिंह को खुद उसी सलाह पर चलने की जरूरत है जो उन्होंने अमिताभ ठाकुर को दी थी,‘‘सुधर जाओ।’’
 
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