‘न्याय पालिका’ के नए ‘प्रशंसनीय आदेश’

Friday, May 15, 2015 - 01:06 AM (IST)

हमारे सत्ताधारियों को न्याय पालिका तथा मीडिया द्वारा कही जाने वाली खरी-खरी बातें बहुत चुभती हैं, परंतु यह कटु वास्तविकता है कि आज जबकि कार्यपालिका और विधायिका निष्क्रिय हो चुकी हैं, केवल न्याय पालिका और मीडिया ही जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों को झिझोड़ रहे हैं। विभिन्न न्यायालयों द्वारा हाल ही में जारी किए गए चंद जनहितकारी आदेश निम्र में दर्ज हैं : 

* 7 जनवरी को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने जेलों में कुप्रबंधन और दुर्दशा में सुधार संबंधी सुझाव देने के लिए पंजाब और हरियाणा की सरकारों तथा चंडीगढ़ प्रशासन को समितियां गठित करने का आदेश दिया। 
 
* 14 जनवरी को गंगा स्वच्छता योजना की असंतोषजनक प्रगति बारे सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए उससे पूछा कि ‘‘तीस वर्षों से गंगा की सफाई का काम चल रहा है और इस पर 2000 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। आप इसे इसी कार्यकाल में पूरा करने का इरादा रखते हैं या अगले कार्यकाल में?’’
 
* 21 अप्रैल को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने मंडियों में रख-रखाव संबंधी त्रुटियों और अधिकारियों की लापरवाही से गेहूं की बर्बादी संबंधी याचिका पर कठोर रुख अपनाते हुए पंजाब और हरियाणा सरकारों को आदेश दिया कि ‘‘गेहूं की बर्बादी के लिए जिम्मेदार लोगों को माफ नहीं किया जाए, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए तथा फसल का सही तरीके से भंडारण सुनिश्चित बनाया जाए।’’
 
* 4 मई को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग में सहायक प्रोफैसरों की नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं तथा अभ्यर्थियों के प्राप्तांंक बदले जाने के संबंध में लगाए गए आरोपों की जांच का हरियाणा सरकार को आदेश दिया। 
 
* 5 मई को बम्बई हाईकोर्ट ने समूचे महाराष्ट सरकार, राज्य के नगर निगमों और नगर परिषदों को नोटिस जारी करके पूछा कि राज्य में, विशेष रूप से वर्षा ऋतु में सड़कों में पड़े गड्ढो के चलते होने वाली दुर्घटनाओं से दोपहिया वाहन चालकों की सुरक्षा तथा सड़कों की हालत पर नजर रखने के लिए उन्होंने क्या पग उठाए हैं? 
 
* 7 मई को बम्बई हाईकोर्ट ने कुम्भ मेले के दौरान गोदावरी नदी के इस्तेमाल पर रोक संबंधी याचिका की सुनवाई करते हुए महाराष्ट सरकार को चेतावनी दी कि यदि उसने 22 मई से पूर्व नदी में 3 स्थानों पर सीवरेज का पानी डालने पर रोक लगाने बारे अपना जवाब दाखिल न किया तो कुम्भ मेले पर गोदावरी के इस्तेमाल पर रोक लगाने से भी संकोच नहीं किया जाएगा। 
 
* 12 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी विज्ञापनों के नियमन से जुड़े दिशा निर्देश जारी करते हुए इन विज्ञापनों में राष्टपति, प्रधानमंत्री तथा प्रमुख न्यायाधीश के अलावा किसी अन्य नेता की तस्वीर न छापने के आदेश जारी किए। न्यायालय ने सरकारी विज्ञापनों के नियमन हेतु केंद्र सरकार को 3 सदस्यीय कमेटी बनाने का आदेश भी दिया। 
 
* 12 मई को ही पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने गन्ना उत्पादकों का भुगतान न होने पर पंजाब और हरियाणा सरकारों को फटकार लगाई और हरियाणा सरकार से यह बताने के लिए कहा कि वह किस योजना के अंतर्गत किसानों को उनकी फसल का भुगतान करने वाली है। 
 
* 12 मई को ही पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार द्वारा 800 से अधिक जे.बी.टी. अध्यापकों की सेवाएं समाप्त करने के निर्णय को गलत बताते हुए फिलहाल उन्हें हटाने पर रोक लगा दी तथा स्पष्ट किया कि कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना अध्यापकों को नहीं निकाला जा सकता। 
 
* 12 मई को ही पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने स्कूली बच्चों की सुरक्षा में त्रुटियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए हरियाणा और पंजाब की सरकारों तथा केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ के प्रशासन से ‘सुरक्षित स्कूल वाहन योजना’ में संशोधन तथा हाइड्रोलिक दरवाजों का प्रावधान करने के संबंध में जवाब मांगा। उक्त टिप्पणियों और आदेशों से एक बार फिर इस कथन की पुष्टि हो गई है कि आज न्याय पालिका ही वह सब काम कर रही है जो सरकारों को स्वयं करने चाहिएं।  
 
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