‘संत नामदेव’ की साधना स्थली घुमाण का कायाकल्प
punjabkesari.in Sunday, Apr 05, 2015 - 12:24 AM (IST)

जिला गुरदासपुर के गांव घुमाण में, जहां महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत नामदेव जी ने अपने जीवन के अंतिम 20 वर्ष बिताए थे, उनकी याद में तीन दिवसीय 88वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन 3 अप्रैल को आरंभ हुआ।
इसमें पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, सिक्किम के राज्यपाल श्रीनिवास पाटिल, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार, केंद्रीय मंत्री विजय सांपला, पंजाब के शिक्षा मंत्री डा. दलजीत सिंह चीमा आदि ने भाग लिया।
संत मत के अग्रदूत नामदेव जी का जन्म सन् 1270 में एक छींबा परिवार में जिला सतारा के गांव नरसी ब्राह्मïणी में हुआ। उन्होंने खिलजी वंश के शासकों और तुगलक वंश के गयासुद्दीन तुगलक व मोहम्मद बिन तुगलक के अत्याचारी शासन को 53 वर्षों तक अच्छी तरह देखा था जब उनके द्वारा हिन्दुओं पर असहनीय तथा अकथनीय अत्याचार किए जा रहे थे।
भक्त कबीर का जन्म नामदेव जी के ब्रह्मलीन होने के 48 वर्ष बाद हुआ और श्री गुरु नानक देव जी ने पूरे 120 वर्ष बाद अवतार धारण किया। उनके जीवन के साथ अनेक अलौकिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं परंतु उन्होंने कभी भी करामाती होने का दावा नहीं किया। उनकी अपनी ही वाणी में :
मेरा किया कच्छु न होय। करि है राम होय है सोय।
संत ज्ञानेश्वर के ब्रह्मलीन होने के बाद संत नामदेव जी महाराष्ट्र छोड़ कर हरिद्वार चले गए। इस बीच सन् 1325 में अत्याचारी सम्राट मोहम्मद बिन तुगलक सिंहासन पर बैठा। उसी के शासनकाल में नामदेव जी को बांध कर दिल्ली लाकर गाय को जिंदा करने के लिए कहा गया।
भक्त पालक ईश्वर ने अपने भक्त की लाज रखी और गाय को जीवित कर दिया। इस घटना से बादशाह को बहुत झटका लगा तथा उसने एक काजी व मौलाना भेजकर नामदेव जी से उसे बख्श देने का अनुरोध किया।
नामदेव जी ने बादशाह को सच्चा-सुच्चा जीवन व्यतीत करने का उपदेश दिया। 53 वर्ष की आयु में आप उत्तर भारत की ओर चले आए व हिन्दू- मुसलमानों को संगठित करके भजन-कीर्तन द्वारा उनमें जागृति उत्पन्न की।
संत नामदेव जी 5 वर्ष तक हरिद्वार में रहने के बाद गुरदासपुर आकर कुछ समय भूतविंड गांव में रहने के बाद कस्बा घुमाण में रहने लगे। उन्होंने अपना शेष जीवन यहीं बिताया व यहीं ब्रह्मलीन हुए। मो. तुगलक के चचेरे भाई फिरोज तुगलक ने इनके सम्मान में इनकी समाधि घुमाण में स्वयं बनवाई थी।
यहां मंदिर तथा गुरुद्वारा एक ही स्थान पर देखे जा सकते हैं और समस्त भारत के हिन्दुओं तथा सिखों को यहां श्रद्धासुमन अर्पित करते देखा जा सकता है। आज यह स्थान एक तीर्थ का रूप धारण कर गया है और जिन दिनों पंजाब जल रहा था यहां एक भी आतंकी घटना नहीं हुई।
यहां 15 महान भक्तों के चित्र लगाए गए हैं जिनमें भक्त नामदेव, गुरु रविदास, भक्त त्रिलोचन, भक्त सदना, भक्त पीपा, भक्त परमानंद, भक्त सूरदास, भक्त रामानंद, संत भीखन, संत कबीर, बाबा फरीद, भक्त धन्ना जट, भक्त जयदेव, भक्त बेणी तथा भक्त सैन शामिल हैं।
समारोह के दूसरे दिन मुझे भी इस सम्मेलन में भाग लेने का अवसर मिला और यह देख कर मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि इस सम्मेलन में बड़े-बड़े नेताओं के आने से पूर्व ही पूरे इलाके का कायाकल्प हो गया है।
घुमाण को जोडऩे वाली सभी सड़कों की या तो मुरम्मत कर दी गई है, या नई सड़कें बना दी गई हैं और सड़कों के किनारों को एकरूप करके अच्छी तरह सफाई कर देने से समूचे इलाके की सुंदरता बढ़ गई है।
श्री नितिन गडकरी ने 157 कि.मी. लम्बे अमृतसर, घुमाण, टांडा, ऊना नैशनल हाईवे को फोर लेन करने की घोषणा करने के अलावा भक्त नामदेव जी के नाम पर डिग्री कालेज का भी नींव पत्थर रखा जबकि श्री प्रकाश सिंह बादल ने यहां के सरकारी हाई स्कूल को अपग्रेड करके तत्काल प्रभाव से 12वीं तक करने के आदेश दिए। इसके अलावा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से यहां नॄसग कालेज बनवाने की घोषणा भी की गई।
यदि प्रत्येक 4 वर्षों के पश्चात यहां यह सम्मेलन होता रहे तो हर बार इलाके को कुछ न कुछ मिलता रहेगा जिससे इस इलाके का कल्याण हो जाएगा।