गाय प्रेमी ‘मोहम्मद फैज खान’ देश भर में ‘गऊ कथा’ सुना रहे हैं

Monday, Mar 30, 2015 - 03:19 AM (IST)

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास है। गाय का दूध और घी ही नहीं बल्कि गौ मूत्र भी समान रूप से उपयोगी है। गाय के मूत्र से मधुमेह, जोड़ों के दर्द, दमा, टी.बी. आदि 48 रोगों की औषधि बनती है और बाजार में दवा के रूप में एक लीटर गौ मूत्र का रेट 500 रुपए है। 

हिन्दू धर्म में ‘गौवंश’ को पूज्य माना गया है जबकि समाज के एक वर्ग में गौ वध को बुरा नहीं माना जाता, हालांकि यह भी एक वास्तविकता है कि भारत में जितने भी मुसलमान शासक हुए उनमें से एक ने भी गौ वध का समर्थन नहीं किया बल्कि कुछ ने तो गौ वध के विरुद्ध कानून भी बनाए।
 
यहां तक कि मुगल सम्राट बाबर ने अपनी पुस्तक ‘बाबरनामा’ में लिखवाया कि ‘‘मेरे मरने के बाद भी गौ वध विरोधी कानून जारी रहना चाहिए।’’ बाबर के बेटे हुमायूं के अलावा औरंगजेब सहित जितने भी मुसलमान शासक हुए सबने इस कानून का पालन किया।
 
दक्षिण भारत के शासक हैदर अली ने गौ वध करने वाले के लिए मृत्यु दंड निर्धारित किया था और सैंकड़ों कसाइयों की गर्दन काटी थी। हैदर के बेटे टीपू सुल्तान ने इस कानून को थोड़ा हल्का करके दोषी के हाथ काट देने का कानून बना दिया था।
 
इसी सिलसिले में प्रसिद्ध इस्लामी अदारे दारूल उलूम देवबंद के मोहतमिम (कुलपति) मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने गत वर्ष 14 अक्तूबर को जारी बयान में हिंदू भाईचारे की भावनाओं का ख्याल रखते हुए बकरीद पर गाय की कुर्बानी न करने की अपील मुसलमानों से की थी और इससे पूर्व दारूल उलूम देवबंद गाय की कुर्बानी न करने के संबंध में फतवा भी जारी कर चुका है।
 
छत्तीसगढ़ में रायगढ़ के रहने वाले एक मुस्लिम धर्म प्रचारक ‘मोहम्मद फैज खान’ देश भर में गौ वध पर रोक लगाने के लिए प्रचार के सिलसिले में स्थान-स्थान पर पिछले 2 वर्षों से गऊ कथाओं का आयोजन करके लोगों को ‘गौवंश’ की रक्षा और इसके संवद्र्धन की प्रेरणा दे रहे हैं। 
 
अब तक देश के स्कूलों व अन्य संस्थाओं में गाय की महत्ता पर 200 से अधिक लैक्चर देने के अलावा गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों में 15 गऊ कथाओं का आयोजन कर चुके मोहम्मद फैज खान का कहना है कि ‘‘गाय सिर्फ हिन्दुओं की ही माता नहीं है बल्कि वेदों के अनुसार वह सबकी माता (विश्व माता) है।’’
 
मोहम्मद फैज खान के अनुसार वह 10 वर्ष के थे जब उनके पिता की मृत्यु हो गई और 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी माता को भी खो दिया। गिरीश पंकज के उपन्यास ‘एक गाय की आत्मकथा’ पढ़ कर उन्हें गाय की महत्ता का पता चला तथा उन्होंने स्वयं को ‘गौवंश’ की रक्षा के लिए समॢपत करने का फैसला करके ‘गौ सेवा’ को ही अपना लक्ष्य बना लिया।
 
प्रवचनों के दौरान उन्हें जो भी ‘दक्षिणा’ मिलती है वह उसे ‘गौ सेवा’ पर व्यय कर देते हैं। गत दिवस वाराणसी के प्रसिद्ध अस्सीघाट पर भगवा वस्त्रधारी मोहम्मद फैज खान को ‘गौ रक्षा’ पर प्रवचन करते और गौ संवद्र्धन की अपील करते हुए देख कर लोग सुखद आश्चर्य में भर गए। 
 
फैज खान के इस अभियान पर टिप्पणी करते हुए शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि ‘‘वह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं’’ जबकि जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम नरेशाचार्य के अनुसार, ‘‘फैज के मुख से ‘गऊ कथा’ सुनना एक भावपूर्ण अनुभव था।’’
 
इस समय जबकि देश में गौ वध पर रोक के पक्ष तथा विपक्ष में बहस छिड़ी हुई है, मोहम्मद फैज खान द्वारा ‘गौ संरक्षण’ और संवद्र्धन के लिए चलाया जा रहा अभियान प्रशंसनीय है जिससे निश्चय ही ‘गौवंश’ के संरक्षण के प्रति लोगों में कुछ जागरूकता आएगी जो देश और समाज के लिए समान रूप से लाभदायक सिद्ध होगी। 
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