पंजाब सरकार की ‘वित्तीय गड़बडिय़ों पर बरसा कैग’

Tuesday, Mar 24, 2015 - 12:28 AM (IST)

भारतीय ऑडिट एवं अकाऊंट विभाग ‘कैग’ केंद्र व राज्य सरकारों पर पहरेदार का काम कर रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री कमलनाथ ने इसकी प्रशंसा करते हुए सितम्बर, 2012 में कहा था कि :

‘‘कैग हमारी शासन प्रणाली के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण संस्था है। वित्तीय ऑडिट, कारगुजारी के ऑडिट और कार्यनिष्पादन ऑडिट अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और कैग इन तमाम पहलुओं के संबंध में हमें महत्वपूर्ण सूचनाएं देता है।’’उक्त कथन की पुष्टि 20 मार्च को पंजाब विधानसभा में कैग द्वारा पंजाब की वित्तीय स्थिति पर प्रस्तुत रिपोर्ट से फिर हो गई है जिसने विभिन्न विभागों में 2013-14 में लगभग 2422 करोड़ रुपए की अनियमितताएं उजागर की हैं।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न विभागों और बोर्डों द्वारा प्राप्त राजस्व को हिसाब में शामिल नहीं किया गया। नियमों की अनदेखी कर 36.72 करोड़ रुपए का हैलीकाप्टर खरीदा गया जबकि राज्य वित्तीय संकट से गुजर रहा है।
 
पुलिस विभाग ने 2.17 करोड़ रुपए के हथियार तो खरीदे लेकिन उनके लिए उपयुक्त गोली-सिक्का नहीं लिया। 3 वर्ष पूर्व स्विट्जरलैंड व इसराईल से खरीदी 10 लाइट मशीनगनें और एस.जी. 553 राइफलों के लिए खरीदे गए 18 अंडरब्रीज लांचर भी अभी तक इस्तेमाल नहीं किए गए।
 
बहादुरगढ़ शस्त्रागार द्वारा कानपुर की लघुशस्त्र फैक्टरी से दिसम्बर 2011 में ‘एक्सपायर’ हो चुके 50,000 कारतूस खरीदे गए जिनका निर्माण 2001 में हुआ था। पुलिस विभाग अभी भी नाकारा हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है। 
 
रक्षा मंत्रालय के हवाले से कहा गया कि जुलाई, 2011 में इसने स्पष्टï कर दिया था कि 9 एम.एम. के गोली-सिक्के की मियाद 5 से 7 साल होती है परंतु ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि 8 से 10 वर्ष पुराने 10.55 लाख कालातीत (एक्सपायर्ड) कारतूसों का अभी तक निपटारा नहीं किया गया। 
 
शगुन स्कीम के अंतर्गत 1,06,393 लाभाॢथयों को वित्तीय सहायता देने में 12 से 48 महीनों तक की देरी हुई जबकि अनुसूचित जातियों की 11.28 लाख स्कूली छात्राओं में से 7.13 लाख को स्कूलों में पूरी उपस्थिति के लिए दी जाने वाली 50 रुपए मासिक की छात्रवृत्ति भी नहीं दी गई। लड़कियों को सैकेंडरी शिक्षा के लिए 3.3 करोड़ रुपए भी वितरित नहीं किए गए। 
 
नियमों का पालन न करने के परिणामस्वरूप 12 सार्वजनिक उद्यमों ने 30 सितम्बर, 2014 तक 758.92 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया है। कुल 52 सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में 21,551.05 करोड़ रुपए का निवेश तो हुआ परंतु इस पर रिटर्न केवल 0.01 से 0.05 प्रतिशत ही रही। 
 
8471 आंगनबाडिय़ां धर्मशालाओं, गुरुद्वारों आदि में चल रही हैं जबकि इनका निजी भवन होना आवश्यक है तथा 114 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए आबंटित 38 करोड़ रुपए में से मात्र 4.59 करोड़ रुपए ही रिलीज किए गए। 
 
‘माई भागो योजना’ के अंतर्गत राज्य की 29,280 छात्राओं को साइकिल भी नहीं दिए जा सके। बजट में इसके लिए 152 करोड़ रुपए का प्रावधान  किया गया था लेकिन सरकार केवल 70 करोड़ रुपए ही खर्च कर सकी।
 
रिपोर्ट के अनुसार पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा मूल्य तय न करने के कारण सन् 2013-14 में कोयला खदानों को 29.59 करोड़ रुपए की अधिक अदायगी की गई है।
 
बिक्री कर और वैट संबंधी 324 इकाइयों के रिकार्ड की जांच के बाद 477 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का पता चला है। इसी प्रकार ‘पुडा’ में 221.64 करोड़ रुपए ऋण की वसूली न किए जाने का भी पता चला है। 
 
कैग की रिपोर्ट प्रतिवर्ष विधानसभा में बजट सत्र के दौरान पेश की जाती है। इसमें विभिन्न अनियमितताओं, वित्तीय कुप्रबंधन तथा कोष के दुरुपयोग की ओर ध्यान दिलाया जाता है परंतु सरकार द्वारा इसकी रिपोर्ट पर एक्शन लेने में वर्षों लग जाते हैं। राज्य सरकार की लोकलेखा समिति अभी तक 2011-12 की कैग की रिपोर्ट पर ही चर्चा कर रही है। 
 
पंजाब सरकार के कार्यकलाप के संबंध में कैग की यह रिपोर्ट आंखें खोलने वाली है। एक ओर तो पंजाब सरकार धन के अभाव का रोना रो रही है, वहीं दूसरी ओर सार्वजनिक धन की 2422 करोड़ रुपए की बर्बादी सरकार की कथनी और करनी में अंतर का प्रमाण है।  
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