रेल मंत्री सुरेश प्रभु का बुनियादी ढांचे को सुधारने वाला बजट

Friday, Feb 27, 2015 - 03:18 AM (IST)

सी.के. जाफर शरीफ ने 1995 में अंतिम बार कांग्रेस सरकार के रेल मंत्री के रूप में रेल बजट पेश किया था और उसके बाद से सिवाय एकाध बार के, विभिन्न क्षेत्रीय दलों के नेता ही रेल मंत्री बनते रहे।

उन्होंने अपने वोट बैंक की खातिर किरायों में वृद्धि नहीं होने दी लेकिन सभी ने अपने-अपने तरीके से रेलों के ढांचे में कुछ न कुछ सुधार करने की कोशिश अवश्य की। इनमें चाहे अपने इलाके में ही सही नई रेलगाडिय़ां चलाना, रेलगाडिय़ों के डिब्बों की संख्या बढ़ाना, किराया न बढ़ाना, स्टेशनों में सुधार, विद्युतीकरण आदि शामिल है।
 
2014 में केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार में तत्कालीन रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने 8 जुलाई को रेल बजट पेश करने से दो सप्ताह पहले ही यात्री किरायों में 14.2 प्रतिशत व मालभाड़े में 6 प्रतिशत वृद्धि करने के अलावा सीजनल टिकटों में लगभग दोगुनी वृद्धि कर दी थी लेकिन शिवसेना के भारी विरोध पर सीजनल टिकटों में वृद्धि वापस लेनी पड़ी।
 
अब 26 फरवरी को रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 2015-16 का मोदी सरकार का दूसरा रेल बजट पेश करते हुए इनमें सुधार के लिए 11 क्षेत्रों (सफाई, बिस्तर, हैल्पलाइन, टिकट, भोजन, प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग, सुरक्षा, निगरानी, मनोरंजन, गाड़ी क्षमता में वृद्धि व आरामदेह यात्रा) में मिशन के रूप में काम करने पर जोर देते हुए कहा कि देश की स्वतंत्रता के बाद भारतीय रेलों पर बोझ तो बढ़ा लेकिन इसके बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं हुआ।
 
इस बार कोई नई रेलगाड़ी चलाने की घोषणा नहीं की गई परंतु उन्होंने भी यात्री किराया न बढ़ाते हुए कहा कि निवेश की कमी से ही भारतीय रेलों की हालत नहीं सुधर पाई तथा एक ही ट्रैक पर तीव्रगामी ‘शताब्दी’ से लेकर पैसेंजर व मालगाडिय़ां तक चलाई जा रही हैं। हमें यह समस्या सुलझानी होगी।
 
इस बजट में 108 गाडिय़ों में ई-केटरिंग शुरू करने, चुने हुए स्टेशनों पर ‘बेस किचन’ और स्वच्छ पानी की आपूर्ति के लिए वैंडिग मशीनें लगाने, यात्रियों को अनारक्षित टिकट 5 मिनट में उपलब्ध कराने के लिए ‘आप्रेशन 5 मिनट’ शुरू करने, टिकटों की बुकिंग में दलालों को समाप्त करने के लिए यात्रा तिथि से 4 महीने पूर्व टिकट बुकिंग की सुविधा देने का प्रस्ताव है।
 
व्हीलचेयर की ऑन लाइन बुकिंग, नेत्रहीन यात्रियों हेतु बे्रल संकेत लगाने, वयोवृद्ध यात्रियों के लिए नीचे की सीट उपलब्ध करवाने, चुनिंदा स्टेशनों पर लिफ्ट व एस्केलेटर, 200 नए आदर्श रेलवे स्टेशन बनाने, 400 स्टेशनों पर वाई-फाई व दिल्ली डिवीजन के महिला डिब्बों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने का प्रस्ताव है। 
 
9 रूटों पर तीव्रगामी यात्री रेलगाडिय़ों की अधिकतम गति मौजूदा 130 से बढ़ा कर 200 कि.मी. प्रतिघंटा करने, मालगाडिय़ों की गति बढ़ाने, 6608 कि.मी. रेलमार्ग के विद्युतीकरण, पूर्वोत्तर तथा तटीय इलाकों को रेलवे नैटवर्क से जोडऩे, 24 डिब्बों वाली यात्री गाडिय़ों के डिब्बों की संख्या 26 करने, पूर्व में स्वीकृत रेल लाइनों का दोहरीकरण तेज करने, 10 सैटेलाइट स्टेशन विकसित करने व रेल दुर्घटनाएं रोकने के लिए एक्शन प्लान बनाने का भी प्रस्ताव है।
 
 लोकल गाडिय़ों की हालत सुधारने, डैबिट कार्ड द्वारा टिकट खरीदने, 1000 पुल बनाने, 3438 मानवरहित क्रासिंग खत्म करने, रेलवे आधुनिकीकरण योजना आरंभ करने, रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण छुड़वाने के लिए पग उठाए जाएंगे। 
 
उत्पादकता बढ़ाने और रेलवे के फ्रंट लाइन कर्मचारियों को ग्राहकों से निपटने में अधिक व्यवहार कुशल बनाने के लिए प्रशिक्षण देने, स्टाफ क्वार्टरों और बैरकों की मुरम्मत के साथ-साथ आगामी 2 वर्षों में यात्रा में लगने वाले समय में 20 प्रतिशत की कमी लाने का भी प्रस्ताव है। गाडिय़ों में बायोटायलैट और 6 महीनों में विमानों जैसे वैक्यूम टायलैट लगाने की भी योजना है।
 
2015-16 के रेल बजट में भारी निवेश की आवश्यकता होगी जिसके लिए कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने इच्छा जताई है। रेल मंत्री के अनुसार सिर्फ राज्यों से ही नहीं बल्कि सांसदों की ऐच्छिक निधि, सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के उपक्रमों के साथ भी सांझेदारी की योजना है। 
 
सुरेश प्रभु ने देश को एक हाई-फाई व आशा से भरपूर रेल बजट दिया है जिसके लिए काफी धन की जरूरत होगी परंतु यदि बिना टिकट यात्रा, मालगाडिय़ों, माल-गोदामों व रेलवे वर्कशापों से सामान की चोरी रोक दी जाए तो भारतीय रेलों की दशा सुधारना मुश्किल नहीं है। 
 
हाल के वर्षों में यह पहला ऐसा रेल बजट है जिसमें बुनियादी ढांचा मजबूत करने पर जोर दिया गया है। संक्षेप में कहा जाए तो यह बजट अच्छा दिखाई देता है परंतु क्या यह जल्दी और वास्तव में लागू हो पाएगा, इस प्रश्र का उत्तर तो समय ही देगा।  
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