पाकिस्तान में ‘शियाओं’ पर हमले

Sunday, Feb 15, 2015 - 04:03 AM (IST)

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हमले कोई नई बात नहीं है। हिन्दुओं, सिखों, ईसाइयों और कादियानियों पर हमलों के अलावा वहां शिया मुसलमानों को अपना दुश्मन समझने वाले सुन्नी इस्लामी संगठन आमतौर पर उन्हें भी निशाना बनाते रहते हैं। जिन देशों में सुन्नियों की सरकारें हैं वहां शिया गरीबों में गिने जाते हैं और वे भेदभाव तथा दमन के भारी शिकार हैं।

विश्व में इनकी संख्या कुल मुस्लिम जनसंख्या के 10 प्रतिशत के लगभग है। ईरान, ईराक, बहरीन, अजरबैजान व यमन में शियाओं का बहुमत है जबकि भारत, पाक, अफगानिस्तान आदि में भी इनकी अच्छी-खासी संख्या है। 
 
‘तालिबान’ जैसे कट्टरपंथी सुन्नी संगठन जिन्हें पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. का समर्थन प्राप्त है, खासतौर से शियाओं व उनके धार्मिक स्थानों को निशाना बनाते रहते हैं जिससे शिया और सुन्नी समुदायों में दूरी लगातार बढ़ती जा रही है। शिया समुदाय पर हुए कुछ बड़े हमले निम्र हैं : 
 
* नवम्बर, 2012 रावलपिंडी में शियाओं के एक धार्मिक जलूस पर किए गए एक आत्मघाती हमले में 23 लोगों की मृत्यु हो गई। 
* 17 फरवरी, 2013 को क्वेटा में बम विस्फोट में 89 शिया मारे गए। 
* 21 जनवरी, 2014 को बलूचिस्तान प्रांत में निशाना बनाकर किए गए एक बम विस्फोट में 22 निर्दोष शिया अपनी जान से हाथ धो बैठे। 
* 30 जनवरी, 2015 को सिंध प्रांत में जुम्मे (शुक्रवार) की नमाज के दौरान एक शिया मस्जिद पर हुए आत्मघाती बम विस्फोट के परिणामस्वरूप अनेक बच्चों सहित 61 निर्दोष लोगों की मृत्यु हो गई। 
 
और अब 12 फरवरी को पेशावर के फैशनेबल हायताबादी इलाके में स्थित एक शिया मस्जिद इमाम बारगाह को निशाना बनाकर किए गए आत्मघाती धमाकों में 22 लोगों की मृत्यु और 50 अन्य घायल हो गए। 
 
जुम्मे की नमाज के समय जब मस्जिद में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे आतंकवादियों के एक दस्ते ने मस्जिद में अचानक घुस कर लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं। इस दौरान एक के बाद एक 3 आत्मघाती बम धमाके भी हुए। 
 
इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए ‘तहरीक-ए-तालिबान-पाकिस्तान’ के  कमांडर खलीफा उमर मंसूर ने एक वीडियो के माध्यम से दी गई चेतावनी में कहा है कि यह हमला दिसम्बर में हुए पेशावर स्कूल नरसंहार के बाद आतंकियों के विरुद्ध पाकिस्तान की नवाज शरीफ सरकार द्वारा शुरू किए गए अभियान के इंतकाम का एक हिस्सा है।
 
वीडियो में ए.के.-47 असाल्ट राइफलें थामे 3 आतंकवादियों के साथ खड़े खलीफा मंसूर ने धमकी दी है कि ‘‘या तो पाकिस्तान तुम लोगों का कब्रिस्तान बन जाएगा या यहां खुदा का कानून शरिया लागू होगा। इंतकाम के लिए शुरू किए गए हमलों की यह पहली कड़ी है...बाकी का इंतजार करो।’’
 
इससे पहले खलीफा उमर मंसूर ने 16 दिसम्बर, 2014 को पेशावर के सैनिक स्कूल पर किए गए हमले की भी जिम्मेदारी ली थी जिसमें 150 से अधिक छात्र एवं अन्य लोग मारे गए थे। 
 
इस मस्जिद पर हमला करने के लिए भी वही तरीका अमल में लाया गया जो पेशावर के स्कूल पर हमला करने के लिए अपनाया गया था जब कार में आए बंदूकधारियों ने उसे आग लगा दी थी और इमारत में पिछला दरवाजा तोड़ कर घुसे थे। 
 
पाकिस्तान में आतंकवादियों के विरुद्ध शुरू किए गए अभियान और पेशावर कांड के बाद फांसी की सजा प्राप्त अपराधियों को फांसी देना शुरू करने के बावजूद आतंकवादियों द्वारा अपनी कार्रवाइयां जारी रखना इस बात का प्रमाण है कि वहां आतंकवादी तत्व कितनी गहरी जड़ें जमा चुके हैं।
 
अब तो मुशर्रफ ने भी पुष्टि कर दी है कि तालिबान को पाक गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. ने ही खड़ा किया है। अत: जब तक वहां की नवाज शरीफ सरकार आतंकवादी संगठनों के सफाए के साथ-साथ अपनी गुप्तचर एजैंसी का ‘शुद्धिकरण’ करके इसे ‘तालिबान’ व दूसरे आतंकवादी संगठनों को सहायता देने से नहीं रोकेगी तब तक वहां रक्तपात रुकने वाला नहीं।
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