‘यह है भारत देश हमारा’

Friday, Jan 16, 2015 - 02:39 AM (IST)

कभी उच्च आदर्शों और नैतिकता का सजीव उदाहरण रहे हमारे देश के लोग आज न सिर्फ अपने प्राचीन उच्च आदर्शों से विमुख हो चुके हैं बल्कि नैतिक पतन, लापरवाही, अमानवीयता, अव्यावहारिकता, पिछड़ेपन, असहनशीलता, हताशा और निरंकुशता की जीती-जागती तस्वीर भी बन रहे हैं। 

पेश हैं मात्र 15 दिनों में हुई ऐसी ही चंद निम्र घटनाएं :  
* 31 दिसम्बर 2014 को दक्षिण भारत में कोच्चि की एक फैक्टरी के भीतर वाशरूम में किसी महिला कर्मचारी द्वारा इस्तेमाल किया हुआ सैनेटरी नैपकिन छोड़ जाने पर कम्पनी की 2 अधिकारियों ने 15 महिला कर्मचारियों के कपड़े उतरवा कर तलाशी ली जिस पर प्रबंधकों के विरुद्ध भारी रोष पैदा हो गया और महिलाओं ने उन्हें इस्तेमाल किए हुए नैपकिन भेजने शुरू कर दिए।
 
* 9 जनवरी 2015 को शामचौरासी के गांव बरिआल में जमीन के विवाद में गांव की पूर्व सरपंच बेअंत कौर तथा अन्यों ने विधवा गुरचरण कौर से मारपीट करके उसके कपड़े फाड़ डाले तथा कैंची से बाल भी काट दिए। 
 
* 9 जनवरी शाम को सोनीपत के रुखी गांव में ज्योति नामक महिला ने अपनी एक वर्षीय बेटी खुशी के लगातार रोने से तंग आकर उसका गला घोंट दिया जिसके परिणामस्वरूप बच्ची की मृत्यु हो गई। 
 
* 10 जनवरी को मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों को एक विज्ञापन द्वारा यह सलाह देकर हैरान कर दिया कि वे ठंड की मार से अपनी फसलें बचाने के लिए ‘हीटरों’ का इस्तेमाल करें क्योंकि अधिक ठंड से दालों के अलावा पपीते और केले जैसे फलदार पौधों पर कुप्रभाव पड़ता है। इस संबंध में एक किसान ने कहा कि अव्वल तो यह सुझाव अव्यावहारिक है और फिर यदि इसे मान भी लिया जाए तो भी हीटर कैसे जलाए जा सकते हैं क्योंकि यहां तो घरेलू इस्तेमाल के लिए भी बिजली नहीं आती। 
 
* 10 जनवरी को दिल्ली में कुछ लोगों ने फतेहपुरी की रहने वाली एक 30 वर्षीय महिला से सामूहिक दुष्कर्म और गुदा मैथुन के बाद गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी और उसके गुप्तांगों में लकड़ी डाल दी।
 
* 11 जनवरी को मध्यप्रदेश के तिरोढी गांव में एक नाबालिग लड़की से प्रेम के चक्कर में विरोधी पक्ष द्वारा 3 युवकों दीपक, राजेश और निहाल को बेरहमी से पीटने के बाद जिंदा जला दिया गया।
 
* 12 जनवरी को विश्व हिन्दू परिषद की दक्षिण असम में कछार शाखा की ओर से 8 बच्चों को जन्म देने वाले मालती और सुशांत नाथ नामक दम्पति को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विहिप के नेता दिनेश उपाध्याय ने इन दोनों को सच्चे देशभक्त बताया।
 
* 13 जनवरी को राजस्थान मैडीकल सर्विस कार्पोरेशन ने राज्य के 9 जिलों में गर्भवती महिलाओं को लगाए जाने वाले कुछ टीकों की बजाय जानवरों को लगाए जाने वाले टीके भेज दिए। समय रहते इस गड़बड़ी का पता चल गया नहीं तो अनेक महिलाओं की जान जोखिम में पड़ सकती थी। 
 
* 13 जनवरी को एक अविश्वसनीय रहस्योद्घाटन के अनुसार स्वतंत्रता के 68 वर्ष बाद भी देश के सभी गांवों का बिजलीकरण नहीं हो पाया। उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद का गांव सादिकपुर 1947 से बिजली के लिए तरस रहा है। 
 
दूसरे गांवों के लोग इस ‘अंधियारे गांव’ में अपनी बेटियों की शादी नहीं करना चाहते। कुछ लोग तो दहेज में मिले हुए रैफ्रिजरेटरों को अलमारियों के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और अपने मोबाइल फोन चार्ज करने के लिए भी उन्हें पड़ोसी गांव में जाना पड़ता है। 
 
इस गांव में आसपास के उन्हीं गिने-चुने गांवों के लोग अपनी बेटी का रिश्ता करते हैं जहां अभी बिजली नहीं आई है। एक महिला ने कहा कि उसके ससुरालवालों ने धोखे से अपने बेटे की शादी उससे करवा दी और अब गांव में बिजली न होने के कारण उनमें रोज झगड़ा होता है।
 
सामाजिक जीवन के विभिन्न नकारात्मक पहलुओं को उजागर करने वाली ये तो वे चंद घटनाएं हैं जो प्रकाश में आईं, इनसे स्पष्ट है कि विकास और प्र्रगति के तमाम दावे करने के बावजूद हमारा देश किस कदर खामियों का बुरी तरह शिकार है। 
 
जब तक ऐसी कमियां और खामियां हमारे देश में मौजूद रहेंगी तब तक सही अर्थों में 2020 तक पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के सपनों का ‘विकसित भारत’ बना पाना असंभव ही है।  
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