हाईकोर्टों के मुख्य न्यायाधीशों की हुई नियुक्ति अब न्यायाधीशों के खाली पद भी भरे जाएं

punjabkesari.in Tuesday, Jun 21, 2022 - 03:56 AM (IST)

केंद्रीय कानून मंत्रालय ने 19 जून को 5 राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को पदोन्नत कर मुख्य न्यायाधीश बना दिया है जबकि तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा को स्थानांतरित कर दिल्ली उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है। 

कानून मंत्रालय के उक्त कदम से 6 राज्यों के उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की कमी तो पूरी हो जाएगी पर उच्च न्यायालयों व अधीनस्थ न्यायालयों में व्याप्त न्यायाधीशों की भारी कमी दूर नहीं होगी। कानून मंत्री किरेण रिजिजू के अनुसारइस वर्ष 11 फरवरी को देश के उच्च न्यायालयों में स्वीकृत जजों के कुल 1098 पदों में से 411 पद खाली थे और फरवरी महीने में सरकार तथा सर्वोच्च न्यायालय के कोलेजियम के पास 172 न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले लंबित थे। 

मातहत अदालतों में भी बड़ी संख्या में जजों व अन्य स्टाफ के पद खाली हैं। अत: इस कमी को दूर करने की तुरंत जरूरत है क्योंकि इस समय देश में 4,21,13,041 मामले लंबित हैं। इनमें से 3,15,85,965 (75 प्रतिशत) मामले एक वर्ष पुराने, लगभग 16.58 प्रतिशत (69,82,654) मामले 5 से 10 वर्ष तथा 7.15 प्रतिशत (30,13,101) मामले 10 से 20 वर्ष पुराने तथा कई मामले इससे भी अधिक पुराने होने के कारण पीड़ित को देर से न्याय और दोषी को देर से दंड के चंद उदाहरण निम्न में दर्ज हैं : 

* 4 नवम्बर, 2021 को बीकानेर के एक शिकायतकत्र्ता की 31 वर्ष लम्बी लड़ाई सफल हुई जब उसे रिटायरमैंट से एक वर्ष पूर्व उसकी खोई हुई नौकरी राजस्थान उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग से वापस दिलवाई। 
 * 6 अप्रैल, 2022 को शाहजहांपुर में 9 वर्ष बाद नाबालिग रेप पीड़िता को न्याय मिला, जब अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मोहम्मद कमर ने बलात्कार के आरोपी को उम्र कैद तथा 20,000 जुर्माने की सजा सुनाई।
* 28 मई, 2022 को ‘समाधान दिवस’ के अवसर पर गोरखपुर की बड़हलगंज कोतवाली में अपनी जमीन पर अवैध कब्जा छुड़वाने के लिए 25 वर्ष से न्याय के लिए भटक रहे बुजुर्ग ने अपने हाथ की नस काट ली। 

* 3 जून, 2022 को बिहार के राजो सिंह हत्याकांड की 16 वर्ष 8 महीने चली सुनवाई के बाद नालंदा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश (द्वितीय) संजय सिंह ने प्रमाणों के अभाव में सभी 5 आरोपियों को बरी कर दिया।
* 6 जून, 2022 को वाराणसी बमकांड के सिलसिले में 16 वर्ष लम्बी चली सुनवाई के बाद गाजियाबाद के जिला न्यायाधीश ने आतंकी वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुनाई। वाराणसी में 7 मार्च, 2006 को हुए धमाकों में 11 लोगों की जान चली गई थी और 50 से अधिक लोग घायल हुए थे। 
इस मुकद्दमे की सुनवाई के दौरान 14 जिला न्यायाधीश बदले और 15वें जिला न्यायाधीश जीतेंद्र कुमार सिन्हा ने फैसला सुनाया। 

* 7 जून, 2022 को अलीगढ़ के जिला एवं सत्र न्यायाधीश की विशेष अदालत ने 20 साल पुराने मारपीट के मामले में 2 लोगों को दोषी करार देते हुए 6-6 महीने कैद की सजा सुनाई।
* 15 जून को कानपुर में सिख विरोधी दंगे के दौरान हुए निराला नगर हत्याकांड के मामले में 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। 

इसके साथ ही सिख विरोधी दंगों के दौरान शहर में मारे गए 127 सिखों के परिवारों को न्याय देने की प्रक्रिया की शुरूआत घटना के 38 वर्ष बाद हुई है। 
ज्यादातर मामलों में न्यायालयों में न्यायाधीशों की कमी के कारण ही न्याय प्रक्रिया में विलंब हो रहा है। अत: उच्च न्यायालयों तथा मातहत अदालतों में भी न्यायाधीशों तथा अन्य स्टाफ की खाली पड़ी आसामियों को तुरंत भरने की जरूरत है, ताकि समय रहते न्याय प्राप्ति के अपने अधिकार से पीड़ित वंचित न हों। 
इसी कारण 13 अप्रैल, 2016 को तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने कहा था, ‘‘देर से मिलने वाला न्याय, न्याय न मिलने के बराबर है।’’—विजय कुमार 


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