‘उपराष्ट्रपति धनखड़’ द्वारा वकील के रूप में दायर अपील का 34 वर्ष बाद निपटारा

punjabkesari.in Thursday, Sep 21, 2023 - 04:58 AM (IST)

विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने हाल ही में संसद में बताया था कि देश के उच्च न्यायालयों में 71,204 से अधिक तथा निचली अदालतों में 1,01,837 मामले 30 वर्षों से अधिक समय से लंबित हैं। न्याय मिलने में असाधारण देरी का एक मामला गत 31 अगस्त को जयपुर उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान सामने आया जिसमें 34 वर्ष पूर्व अलवर के एडीशनल जिला जज ने गैर इरादतन हत्या के एक मामले में आरोपी गुरदयाल सिंह को 4 वर्ष कैद और 1000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।

निचली अदालत के इस आदेश के विरुद्ध गुरदयाल सिंह ने जयपुर उच्च न्यायालय में वर्तमान उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ के जरिए 1989 में उस समय अपील दायर की थी जब श्री धनखड़ वकालत किया करते थे। इस केस में जब गुरदयाल सिह 2 महीने कैद काट चुका था तो अदालत ने सजा पर रोक लगा दी और तभी से वह जमानत पर था। इस केस की सुनवाई के दौरान अपीलकत्र्ता की वकील भावना चौधरी ने अदालत को बताया कि न सिर्फ यह घटना 34 वर्ष पुरानी है, बल्कि अपीलकत्र्ता भी 83 वर्ष का हो चुका है, अत: उसकी सजा को पहले भुगती जा चुकी सजा तक सीमित कर देना चाहिए। इस पर जयपुर उच्च न्यायालय के जस्टिस महेंद्र गोयल ने वकील का अनुरोध स्वीकार करते हुए केस का निपटारा कर दिया। 

अदालतों पर मुकद्दमों का भारी बोझ होने के चलते न्याय मिलने में देर को देखते हुए ही लोगों ने कई मामलों में स्वयं कानून हाथ में लेना शुरू कर दिया है और इसीलिए अपराध के शक में लोगों को पकड़ कर बिना सच्चाई जाने ही पीट-पीट कर मार डालने तक के समाचार आने लगे हैं। ऐसी ही आशंका व्यक्त करते हुए 14 मई, 2022 को भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री एन.वी. रमन्ना ने कहा था कि ‘‘विवादों का तेजी से शीघ्र निपटारा स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है तथा न्याय से इंकार करना अंतत: देश को अराजकता की ओर ही ले जाएगा। लोग स्वयं ही अतिरिक्त न्याय तंत्र की तलाश करने लगेंगे, जिससे जल्द ही न्यायपालिका अस्थिर हो जाएगी।’’अत: इसके लिए जहां अदालतों में जजों आदि की कमी यथाशीघ्र दूर करने की आवश्यकता है, वहीं अदालतों में न्यायिक प्रक्रिया को चुस्त और तेज करने की भी जरूरत है।—विजय कुमार  


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