‘पहले गलतबयानी फिर कहने पर माफी’‘यह उचित समाधान नहीं’

punjabkesari.in Wednesday, Oct 21, 2020 - 04:20 AM (IST)

मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री इमरती देवी को ‘आइटम’ बताने वाले अपने बयान पर सफाई देते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (कांग्रेस) ने खेद जताया और कहा, ‘‘जब विधानसभा में कार्य सूची आती है तो उसमें ‘आइटम’ नंबर-1, 2, 3 आदि लिखा होता है। अत: यह अपमानजनक शब्द नहीं है और मैंने दुर्भावनावश ऐसा कहा भी नहीं।’’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि ‘‘कमलनाथ मेरी पार्टी के हैं लेकिन व्यक्तिगत रूप से मुझे यह भाषा पसंद नहीं, जिसका उन्होंने इस्तेमाल किया है।’’ कमलनाथ ने यह भी कहा था कि ‘‘भाजपा ने जनता को वरगलाने के लिए इसे मुद्दा बनाया है क्योंकि उपचुनावों में भाजपा पिट रही है।’’ 

कमलनाथ द्वारा सफाई देने के बावजूद उनकी मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं क्योंकि ‘राष्ट्रीय महिला आयोग’ ने कमलनाथ द्वारा इमरती देवी के विरुद्ध टिप्पणी को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे पत्र में उनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई करने की मांग कर दी है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने कमलनाथ से इस सम्बन्ध में जवाब मांगा है और उनके इस बयान को ‘गैर-जिम्मेदाराना’ और ‘अपमानजनक’ बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। एक ओर कमलनाथ के बयान से मध्यप्रदेश की राजनीति में यह तूफान आया हुआ है तो दूसरी ओर भाजपा के विभिन्न नेताओं की ओर से ऐसे ही अनावश्यक विवादित बयान लगातार आ रहे हैं। मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनावों के प्रचार में विवादास्पद बयान देने का एक उदाहरण मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री बिसाहु लाल सिंह ने पेश किया : 

उन्होंने 19 अक्तूबर को अनूपपुर उप चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह (कांग्रेस) की पत्नी को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की। उन्होंने कहा, ‘‘विश्वनाथ सिंह ने नामांकन में अपनी पहली पत्नी का नहीं बल्कि ‘रखैल’ का ब्यौरा दिया है।’’ इस पर आपत्ति करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सैय्यद जाफर ने कहा, ‘‘इसे कहते हैं महिला का अपमान। बिसाहु लाल सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी की पत्नी को कहा है ‘रखैल’। क्या महिलाओं के लिए ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल करती है ‘भाजपा’? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तत्काल इस पर संज्ञान लेते हुए ‘‘मंत्री को पद से हटाएं और प्रदेश की महिलाओं से माफी मांगें।’’ उल्लेखनीय है कि अपने ही क्षेत्र के सबसे अमीर उम्मीदवार बिसाहु लाल सिंह हाल ही में एक ‘वीडियो में नोट बांटते भी नजर’ आए थे, हालांकि उन्होंने इसे ‘पुराना वीडियो’ बताया था। 

इसी प्रकार दो विवादित बयान उत्तर प्रदेश के भाजपा नेताओं के आए हैं। पहला योगी आदित्यनाथ सरकार में राज्यमंत्री ‘मनोहर लाल पंथ’ उर्फ ‘मन्नु कोरी’ ने ललितपुर में प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं की रक्षा के लिए शुरू किए  गए ‘मिशन शक्ति’ अभियान के अंतर्गत पुलिस लाइन के समारोह में मुख्यातिथि के रूप में दिया। इस समय जबकि प्रदेश में बलात्कारों और महिलाओं के विरुद्ध अन्य अपराधों की आंधी आई हुई है और दूध पीती बच्चियां दरिंदों की हवस की बलि चढ़ रही हैं, मनोहर लाल पंथ ने पहले तो अपने संबोधन में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई और अवंति बाई जैसी वीरांगनाओं को याद किया परन्तु जब नारी सुरक्षा की बात आई तो उन्होंने देश की समूह नारियों को स्वयं ही अपनी सुरक्षा करने की ‘सलाह’ दे डाली और कहा : 

‘‘लड़कियों को एक हाथ में छोटा-सा चाकू रखना चाहिए। यदि कोई मुसीबत आती है तो सामने वाले पर उससे वार कर देना चाहिए। बाद में जो होगा देखा जाएगा।’’ उक्त सभी बयान वायरल होकर चर्चा का विषय बने हुए हैं जो इस बात का प्रमाण है कि जहां हमारे जन प्रतिनिधियों को स्वयं को ‘एक आदर्श और उदाहरण’ के रूप में जनता के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए, वे कर इसके विपरीत रहे हैैं। स्वभाव से मजबूर हमारे नेतागण संवेदनशील मुद्दों पर अविवेकपूर्ण बयान देकर अनावश्यक विवाद पैदा करते हैं वहीं अपनी ‘असलीयत नंगी’ कर रहे हैं। ऐसे बयान जुबान फिसलने से नहीं, उनकी अंदर की असली भावनाएं उजागर हो रही हैं। इसके पीछे उनकी ‘बौद्धिक सोच की कमी और अज्ञानता’ असली कारण हैं। 

इसी कारण हमने अपने 20 अक्तूबर को प्रकाशित संपादकीय में लिखा था कि ‘‘स्वतंत्रता के 73 वर्ष बाद जबकि हमारे देशवासी विश्व भर में नाम कमा रहे हैं और अन्य देशों में मंत्री बन कर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं परंतु अपने ही देश में ‘हम क्या कर रहे हैं और क्यों करते जा रहे हैं?’’यह कुप्रवृत्ति गत 5-7 वर्षों में और भी बढ़ी है तथा इसके थमने का कोई संकेत दिखाई दे ही नहीं रहा। पहले गलतबयानी करना और फिर कहने पर खेद जताना और फिर माफी मांग लेना कतई उचित समाधान नहीं है।—विजय कुमार


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