‘पत्र युद्ध’ छोटी चिट्ठी का जवाब बड़ी चिट्ठी से मिल कर ही सरकार पर दबाव डालना होगा

Sunday, Jul 28, 2019 - 03:42 AM (IST)

देश में विभिन्न सामाजिक मुद्दों की ओर सरकार का ध्यान दिलाने के लिए हाल ही में महत्वपूर्ण हस्तियों के 2 समूहों द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए दो पत्रों को लेकर विवाद शुरू हो गया है। पहला पत्र 49 हस्तियों ने 23 जुलाई को लिखा जिनमें अभिनेत्रियां अपर्णा सेन और कोंकणा सेन शर्मा, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप तथा शास्त्रीय गायिका शुभा मुद्गल आदि शामिल हैं। 

इसमें देश में ‘जय श्री राम’ के नारे के दुरुपयोग, इसके आधार पर लोगों को उकसाने और दलित, मुस्लिम तथा अन्य कमजोर वर्गों की मॉब लिंचिग रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग करते हुए लिखा है कि : 

‘‘आपके द्वारा मॉब लिङ्क्षचग की घटनाओं की निंदा करना ही काफी नहीं है अत: ऐसी घटनाएं रोकने के लिए ठोस कानून बनाना चाहिए।’’  बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस ने इस पत्र का समर्थन किया है। उक्त पत्र के सार्वजनिक होने के तुरंत बाद फिल्म, कला, संगीत और साहित्य जगत के कई जाने-माने चेहरों समेत 62 प्रबुद्ध लोगों ने भी प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र लिखा है जिनमें मोहन ‘वीणा’ वादक पं. विश्व मोहन भट्टï, अभिनेत्री कंगना राणावत, गीतकार प्रसून जोशी, फिल्मकार मधुर भंडारकर, नृत्यांगना सोनल मानसिंह, गायिका मालिनी अवस्थी आदि शामिल हैं। 

इन हस्तियों का आरोप है कि 23 जुलाई का पत्र राजनीतिक दृष्टिï से पक्षपातपूर्ण एवं विशेष उद्देश्य से लिखा गया जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धूमिल करना है। पत्र में कहा गया है कि :

‘‘ये लोग तब क्यों चुप थे जब आदिवासी व हाशिए पर रह रहे लोग नक्सलियों और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अलगाववादियों की ङ्क्षहसा का शिकार हुए, जब अलगाववादियों ने कश्मीर में स्कूलों को आग लगाने का आदेश दिया और देश के टुकड़े करने की बात कही?’’ पत्र में यह सवाल भी उठाया गया है कि ‘‘ये लोग ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने वालों की हत्या और कश्मीरी पंडितों तथा कैराना से हिन्दुओं के पलायन पर कुछ क्यों नहीं बोलते?’’दरअसल दोनों ही पत्रों में लिखी गई बातें किसी सीमा तक सही हैं, लिहाजा इस मामले में आपस में विवाद खड़े करने की बजाय दोनों ही पक्षों को संयुक्त रूप से उक्त समस्याओं तथा देश को दरपेश अन्य समस्याएं आदि दूर करने के लिए मिल कर सरकार पर दबाव डालना चाहिए।—विजय कुमार  

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