चौधरी बीरेंद्र सिंह और राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बाद अब अनिल विज और दुष्यंत चौटाला ने कहा ‘वार्ता से ही समाप्त होगा किसान आंदोलन’

punjabkesari.in Tuesday, Apr 20, 2021 - 03:07 AM (IST)

केंद्र सरकार द्वारा लागू तीनों कृषि कानूनों के विरुद्ध 26 नवम्बर, 2020 से जारी आंदोलन का अभी तक कोई हल नहीं निकला। इस बीच केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े अनेक वरिष्ठï नेता समय-समय पर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से इस मामले में किसानों से बातचीत करके कोई रास्ता निकालने की गुहार लगा चुके हैं। उदाहरण स्वरूप : 

* 18 दिसम्बर, 2020 को वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने कहा, ‘‘किसानों को आशंका है कि ये कानून उनके विरुद्ध हैं अत: उनके संदेह दूर करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। किसानों के संघर्ष का समर्थन करना मेरी नैतिक जिम्मेदारी है।’’
* 14 मार्च, 2021 को जम्मू-कश्मीर के पूर्व तथा मेघालय के वर्तमान राज्यपाल सत्यपाल मलिक (भाजपा) भी आंदोलनकारी किसानों का पक्ष लेते हुए बोले :
‘‘जिस देश का किसान और जवान असंतुष्टï हो वह कभी आगे नहीं बढ़ सकता। यदि केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) को कानूनी मान्यता दे देती है तो मैं किसान आंदोलन को समाप्त करवा दूंगा।’’ ‘‘सरकार को किसानों के बारे में सोचना चाहिए। किसानों के मामले में मुझे जितनी दूर तक जाना पड़ेगा, मैं जाऊंगा क्योंकि मुझे किसानों की तकलीफ मालूम है।’’ 

* 12 अप्रैल को हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक पत्र लिख कर अपील की : 
‘‘मेरी चिंता हरियाणा की सीमा पर बैठे हजारों आंदोलनकारी किसानों को लेकर है। उन्हें बचाना है। कहीं उनके कारण हरियाणा में कोरोना न फैल जाए। बातचीत रुकने से अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।’’ ‘‘चूंकि यह समस्या बातचीत से ही सुलझ सकती है, अत: आपसे अनुरोध है कि बातचीत का नया दौर दोबारा शुरू किया जाए।’’ उल्लेखनीय है कि संयुक्त किसान मोर्चे के अनुसार किसान आंदोलन शुरू होने से अब तक 300 से अधिक आंदोलनकारी किसानों की मौत हो चुकी है। 

* और अब 17 अप्रैल को हरियाणा की भाजपा सरकार में सहयोगी ‘जननायक जनता पार्टी’ (जजपा) के नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर यही आग्रह किया है कि :
‘‘सरकार 3 से 4 वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों की एक कमेटी बनाए ताकि किसानों की मांगों का यथाशीघ्र सौहार्दपूर्ण समाधान हो सके। आंदोलन लम्बा चलना चिंता का विषय है। हमारा अन्नदाता नए कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर सड़कों पर बैठा है। हर समस्या आपसी चर्चा से ही सुलझती है।’’ कुछ समय पूर्व जहां जजपा के ही दिग्विजय चौटाला आंदोलनकारी किसानों के विरुद्ध दर्ज केस वापस लेने की मांग कर चुके हैं वहीं अब 16 अप्रैल को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी किसानों से मानवता के आधार पर कोरोना महामारी को देखते हुए धरना समाप्त करने की अपील की है। 

उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष जनवरी में केंद्र सरकार विवादास्पद कृषि कानूनों को एक या डेढ़ वर्ष के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव पहले ही दे चुकी है। अत: यदि इस समस्या का समाधान होने तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों को लागू करना स्थगित ही कर दे तो इससे आंदोलन समाप्त होने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। इस बीच देश की 10 गण्यमान्य हस्तियों, बुद्धिजीवियों, सिविल सोसायटी के सदस्यों आदि ने, जिनमें पूर्व केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री सोमपाल शास्त्री (भाजपा) तथा ग्रामीण और औद्योगिक विकास विभाग से जुड़े प्रोफैसर आर.एस. घुम्मण भी शामिल हैं, केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को पत्र लिख कर आपस में बातचीत शुरू करने और गतिरोध समाप्त करने का अनुरोध किया है। 

यहां यह बात उल्लेखनीय है कि अगले वर्ष देश के 6 राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश और गोवा में चुनाव होने वाले हैं अत: यदि किसानों का आंदोलन उनकी संतुष्टिï के अनुसार सुलझा दिया जाए तो इन चुनावों में भाजपा को इससे लाभ पहुंचेगा क्योंकि इनमें अधिकांश राज्य कृषि प्रधान ही हैं।—विजय कुमार


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