नोटबंदी के दौर में भी रिश्वतखोरी का सिलसिला जोरों से जारी

Sunday, Dec 04, 2016 - 01:44 AM (IST)

जैसा कि हम समय-समय पर लिखते रहते हैं, देश को भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के रोग ने इतनी बुरी तरह जकड़ रखा है कि सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद बेकाबू होकर यह देश की जड़ें खोखली कर रहा है। 

हालांकि केंद्र सरकार ने 8 नवम्बर को देश से भ्रष्टाचार, काला धन और नकली करंसी समाप्त करने के उद्देश्य से 500 और 1000 रुपए के नोट रद्द कर दिए हैं और बेहिसाबी सम्पत्ति का पता लगाने के लिए छापेमारी भी कर  रही है परंतु रिश्वतखोरों ने अपना खेल अभी भी पहले की तरह ही जारी रखा हुआ है जो मात्र 5 दिनों में सामने आए निम्र मामलों से स्पष्ट है : 

* 28 नवम्बर को सतर्कता विभाग के अधिकारियों ने शिकायतकत्र्ता से विरासत का इंतकाल करवाने के बदले में 5000 रुपए रिश्वत लेते हुए ‘खुइयां सरवर’ (अबोहर) में तैनात पटवारी कृष्ण लाल को काबू किया। 

* 01 दिसम्बर को जबलपुर में आरोपी पक्ष से 2000 रुपए रिश्वत मांगने वाले ए.एस.आई. ए.के. पटेल को निलंबित किया गया।

* 01 दिसम्बर को ही जोधपुर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने ‘डिस्कॉम’ में मीटर टैस्टिंग रीडर किशोर जोशी को शिकायतकत्र्ता के अस्थायी बिजली कनैक्शन को स्थायी करने के बदले में 5000 रुपए रिश्वत लेते हुए  पकड़ा। 

* 02 दिसम्बर को बिहार के मुजफ्फरपुर में एस.डी.ओ. सतीश कुमार को बिजली का बिल सुधारने के नाम पर शिकायतकत्र्ता से 10,000 रुपए रिश्वत लेते पकड़ा गया। सतीश की इसी 9 दिसम्बर को शादी है। उस पर आरोप है कि यह बिना रिश्वत लिए किसी का काम नहीं करता था।  

* 02 दिसम्बर को ही शिवपुरी में लोकायुक्त पुलिस की टीम ने शिवपुरी की मिड-डे मील की टास्क मैनेजर ‘कीनल त्रिपाठी’ को नए नोटों में 20,000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। ‘कीनल त्रिपाठी’ पर शिवपुरी जिले में मिड-डे मील का ठेका देने की जिम्मेदारी है। 

* 02 दिसम्बर को ही मध्यप्रदेश में ‘रीवा’ की लोकायुक्त पुलिस ने सतना जिले के अमर पाटन में तहसील कार्यालय में रीडर मन भरन वर्मा को 3500 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। 

* 02 दिसम्बर को ही ‘बावल’ (हरि.) के एस.डी.एम. कार्यालय में  कम्प्यूटर ऑप्रेटर महेश कुमार को शिकायतकत्र्ता से उसकी जमीन के स्वामित्व के फर्जी दस्तावेज देकर 1 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा गया। 

* 03 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश की ‘कादीपुर’ कोतवाली के सिपाही सूरज प्रकाश को बनियान और कच्छे में ड्यूटी देते और रिश्वत लेते पकड़ा गया। 

* 03 दिसम्बर को राजस्थान के डूंगरपुर में ‘बस्सी’ के पटवारी प्रवीण सिंह को शिकायतकत्र्ता से उसकी पुश्तैनी भूमि की नकल देने के बदले में 2000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। 

और अब 3 दिसम्बर को ही सुबह के समय मध्यप्रदेश के इंदौर में पी.डब्ल्यू.डी. के एक  एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आनंद प्रकाश राणे और उसके भाई विजय प्रकाश राणे के मकानों पर लोकायुक्त पुलिस द्वारा मारे गए छापे में करोड़ों रुपए की अघोषित सम्पत्ति के दस्तावेज कब्जे में लिए गए हैं। 

इनमें ग्वालियर में आदित्य प्लाजा और मोहन नगर में 2 मकान, भोपाल में चूना भठ्ठी और कम्फर्ट कालोनी में 2 मकान, इंदौर की शहनाई रैजीडैंसी में 2 फ्लैट, विजय नगर की स्कीम 114 में इनकी मां बिमला रानी के नाम पर एक प्लॉट, विजय नगर में आनंद प्रकाश राणे की पत्नी अनिता राणे के नाम पर एक प्लॉट, भाई के नाम पर लग्जरी कार और इंदौर के बी.सी.एम. हाईट्स में एक फ्लैट के दस्तावेज शामिल हैं।  

ये तो रिश्वतखोरी के वे मामले हैं जो मीडिया में उजागर हुए हैं परंतु इनके अलावा भी न जाने कितने ही ऐसे मामले हुए होंगे जो पकड़े न जा सकने के कारण सामने नहीं आ सके।

बहरहाल लगातार सामने आ रहे भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामलों से स्पष्ट है कि सरकारी कर्मचारियों के दिल से गलत काम करने पर मिलने वाले दंड का भय लगभग समाप्त हो गया है और वे पूरी निर्लज्जता के साथ रिश्वत का लेन-देन कर रहे हैं। 

स्पष्ट है कि जितनी बुरी तरह सरकारी कर्मचारी और अधिकारी रिश्वत की दलदल में फंसे हुए हैं, उन पर कानूनी कार्रवाई का उतना ही मजबूत और कांटेदार जाल बिछाने की जरूरत है।    
 

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